देशभर में चुनावी माहौल है. 5 चरण के लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. दो चरणों के और बाकी हैं जिसके बाद 23 मई को नतीजे आ जाएंगे. जाहिर है, सियासत गरम है, इसके बीच एक नया विवाद सामने आ गया है. अमरीका की मशहूर टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित कवर पेज जारी किया है. मैगजीन ने पीएम नरेंद्र मोदी को भारत में समाज को बांटने वाला (India’s Divider in Chief) बताया है.
टाइम पत्रिका के एशिया एडिशन ने लोकसभा चुनाव 2019 और पिछले पांच सालों में नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज पर लीड स्टोरी की है. प्रधानमंत्री के कामकाज पर सख्त आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए पत्रिका ने नेहरू के समाजवाद और भारत की मौजूदा सामाजिक परिस्थिति की तुलना की है. आतिश तासीर नाम के पत्रकार द्वारा लिखे गए इस आलेख में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी ने हिन्दू और मुसलमानों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ाने के लिए कोई इच्छा नहीं जताई.
इस बीच बताते चले पीएम मोदी के इस कवर पेज पर एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा ने मोदी पर तंज कसा है. टाइम की कवर पेज पर पीएम मोदी की तस्वीर पर तंज कसते हुए ऋचा चड्ढा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. ऋचा चड्ढा ने लिखा, ‘जब आप देश से बाहर की प्रेस और मीडिया को खरीदने की ताकत नहीं रखते हैं तो ऐसा ही होता है.’ पीएम मोदी के इस तस्वीर की चर्चा पूरे सोशल मीडिया पर हो रही है.
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रिचा चड्ढा के इस ट्वीट को मशहूर फिल्ममेकर अनुराग कश्यप ने रीट्वीट भी किया है.
टाइम मैगजीन ने अपने इस खास अंक में ‘क्या विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र एक बार फिर मोदी सरकार को पांच साल देगा?’ की हेडलाइन से भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव पर विशेष स्टोरी छापी है. पत्रिका के इस कवर स्टोरी में पत्रकार आतिश तसीर तुर्की, ब्राजील, ब्रिटेन, अमेरिका और भारत के लोकतंत्र व्यवस्था में ‘लोकप्रियता’ के बढ़ते वर्चस्व के बारे में बात कर रहे हैं.
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स्टोरी में ये भी कहा गया है कि मोदी ने भारत के महान शख्सियतों पर राजनीतिक हमले किए जैसे कि नेहरू. वह कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं, उन्होंने कभी भी हिन्दू-मुसलमानों के बीच भाईचारे की भावना को मजबूत करने के लिए कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई. इस लेख में 1984 के सिख दंगों और 2002 के गुजरात दंगों का भी जिक्र किया गया है. कहा गया है कि हालांकि कांग्रेस नेतृत्व भी 1984 के दंगों को लेकर आरोप मुक्त नहीं है लेकिन फिर भी इसने दंगों के दौरान उन्मादी भीड़ को खुद से अलग रखा, लेकिन नरेंद्र मोदी 2002 के दंगों के दौरान अपनी चुप्पी से ‘दंगाइयों के लिए दोस्त’ साबित हुए.
तासीर ने लिखा है कि 2014 में लोगों के बीच पनप रहे गुस्से को नरेंद्र मोदी ने आर्थिक वायदे में बदल दिया. उन्होंने नौकरी और विकास की बात की, लेकिन अब ये विश्वास करना मुश्किल लगता है कि ये उम्मीदों का चुनाव था. आलेख में कहा गया है कि मोदी द्वारा आर्थिक चमत्कार लाने के वायदे फेल हो गये, यही नहीं उन्होंने देश में जहरीला धार्मिक राष्ट्रवाद का माहौल तैयार करने में जरूर मदद किया.
इस लेख में लिंचिंग और गाय के नाम पर हुई हिंसा का भी जिक्र किया गया है. लेखक आतीश तासीर ने कहा है कि गाय को लेकर मुसलमानों पर बार-बार हमले हुए और उन्हें मारा गया. एक भी ऐसा महीना न गुजरा हो जब लोगों के स्मार्टफोन पर वो तस्वीरें न आई जिसमें गुस्साई हिन्दू भीड़ एक मुस्लिम को पीट न रही हो.
बता दें कि पीएम मोदी के कवर वाली यह मैगजीन 20 मई 2019 को जारी की जाएगी. इससे पहले टाइम ने अपनी वेबसाइट पर इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है.