फतेहपुर: तीन दशक पहले बनी टँकी हुई बदहाल, पानी के लिए तरस रहे पांच गांव

दैनिक भास्कर ब्यूरो

जोनिहा, फतेहपुर । खजुहा विकासखंड के शाहबाजपुर गांव में जल निगम द्वारा पानी की टंकी तीन दशक पूर्व बनाई गई थी। जिसका शिलान्यास 1992 में हुआ था जबकि इसे पूर्ण रूप से सन 2002 में एक दशक बाद तैयार किया गया। यह टंकी जोनिहा में जगह ना मिलने के कारण शाहबाजपुर गांव में बनाई गई थी। आज यह टँकी पूरी तरह से बदहाल है पांच गांवो के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं।

पांच गांवो के लिए बनाई गई थी टंकी

यह टंकी पांच गांव के लिए बनाई गई थी जिससे सुचारू रूप से पानी की व्यवस्था लोगों तक पहुंचाई जा सके। जिनमें से मुख्य गांव जोनिहा, शाहबाजपुर, बेहटा, धानेमऊ, गौरी और इसमें लगने वाले मजरो के लिए बनाई गई थी। वर्तमान में यह बदहाल है यहां के लोगों के लिए पानी सबसे बड़ी समस्या बन चुका है ग्रामीणों ने बताया यह टंकी सिर्फ नाम के लिए बनी है जिसके कारण इस गांव को हैंडपंप भी नहीं मिल पाते और टंकी के इतने बुरे हाल हैं कि पानी के लिए दूसरे के दरवाजे पर घंटों लाइन लगानी पड़ती है।

डेढ़ वर्ष से स्विच रॉड खराब, ऑपरेटर भी गायब

ग्रामीणों ने बताया कि टंकी का स्विच रॉड बिगड़ गया था जो एक वर्ष पहले बनने गया था मगर आज तक वापस बनकर नहीं आया। लोगों ने बताया कि डेढ़ साल से टंकी का वॉल खराब है जिससे टंकी में पानी नहीं रुकता और सप्लाई सीधी चलती है जिसके कारण गांव के निचले हिस्सों मे जो घर बने हैं उन तक तो पानी पहुंच जाता है परंतु जो घर ऊंचाई पर हैं उन पर पानी नहीं पहुंच पाता जिसके कारण लोगों ने कनेक्शन भी कटवा दिए हैं। लोगों ने बताया ऑपरेटर ना होने के कारण खुद से ही पानी की टंकी चलाई जाती थी परंतु कुछ महीनों से स्टार्टर और मोटर दोनों जल जाने के कारण पानी की किल्लत इतनी ज्यादा है कि सब काम छोड़कर घंटों लाइन लगाकर पानी भरना पड़ता है।

जेई का नाम सुनते ही भड़के लोग

जेई से शिकायत करने की बात पर ग्रामीण भड़क गए और बोले आज तक जेई को देखा ही नही, यहां आए भी हैं। उनको 50 बार फोन से बताने पर कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। कभी-कभी तो वह फोन भी नहीं उठाते।

पांच गांवो मे तीन को ही मिल पाता है पानी

पांच गांव के लिए बनी टंकी में सिर्फ तीन ही गांव को ही पानी मिल पाता है उनमें भी गांव के आगे की हिस्सों पर ही पानी मिल पाता है जबकि दो गांव धानेमऊ और गौरी व उनके मजरो में आज तक पानी नहीं पहुंच पाया है।

टंकी सफाई व क्लोरिनेशन में होता खेल

ग्रामीणों ने बताया कि 2015 में कोई बीमारी आ जाने के कारण इसकी सफाई 2015 में ही हुई थी तब से आज तक कोई आया ही नहीं। मतलब उसके बाद आज तक सफाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि क्लोरिनेशन मशीन सिर्फ देखने के लिए ही बनी है जिला मुख्यालय 22 किलोमीटर दूर होने के कारण क्लोरिनेशन पाउडर लाने का भाड़ा ना जे ई- देने को तैयार है और ना ही ऑपरेटर जिसके कारण वह मशीन आज तक नहीं चली।

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