गोंडा: संगम स्नान तट पर स्वच्छता को मुंह चिढ़ा रही गन्दगी, जिम्मेदार बने मौन

परसपुर, गोंडा।। पसका सूकरखेत में छह जनवरी को सरयू संगम त्रिमुहानी तट पर पौष पूर्णिमा स्नान मेला मेला आयोजित होगा। कड़ाके की ठंडक मौसम में माह भर से साधु संत गृहस्थ जन कल्पवास में लीन है। सरयू संगम तट पर बजबजा रही गन्दगी कूड़े कचरे के ढेर स्वच्छता को मुंह चिढ़ा रही है।

पौष पूर्णिमा मुख्य स्नान पर्व, संगम मेला एवं सूकरखेत महोत्सव

त्रिमुहानी तट पर जगह जगह शवदाह की अधजली लकड़ियों के अवशेष, कूड़ा कचरा के ढेर लगे हैं। प्रतिदिवस 28 सफाई कर्मी तैनाती के बावजूद भी गंदगी की समस्या जस की तस बनी हुई है। कड़ाके की ठंडक में अलाव, बिजली, हैंडपंप पानी की किल्लत है। वहीं इसके जिम्मेदार अफसर इस गम्भीर समस्या पर मौन बने हुए हैं। कल्पवासी साधु संतों का कहना है कि पौष पूर्णिमा स्नान को सप्ताह भर दिन शेष है। स्नान तट पर गंदगी का बोलबाला है।

पक्का घाट पर कीचड़ है। यहां सरयू घाघरा दो पावन नदियों का पवित्र संगम है। विश्व ग्रन्थ श्रीराम चरित मानस के रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर एवं गुरु नरहरि आश्रम स्थित है। पसका सूकरखेत के सरयू संगम त्रिमुहानी तट पर प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा स्नान को विशाल संगम मेला आयोजित होता है। और आसपास क्षेत्र व गैर जिलों से लाखों श्रद्धालु पहुँचकर सरयू संगम में आस्था की डुबकी लगाते हैं।

माह भर के लिये सरयू संगम तट पर जप तप कीर्तन भजन में लीन कल्पवासी साधु संतों का जमावड़ा बना हुआ है। जिम्मेदार अफसरों के अनदेखी के चलते स्नान तट पर गंदगी बजबजा रही है। चारो तरफ कूड़े कचरे के ढेर लगे हैं। पसका मेला क्षेत्र में फैली गंदगी स्वच्छता को मुंह चिढ़ा रहा है। सम्बन्धित सफाई कर्मी नदारद रहते हैं। जिससे साधु संतों को स्नान ध्यान पूजा पाठ करने में दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। पौष पूर्णिमा मेला के दृष्टिगत पण्डा पुजारी पहुँचकर साफ सफाई करने को मजबूर हैं।

पौराणिक मान्यता है कि पसका सूकरखेत में भगवान विष्णु का वाराह रूप में अवतार स्थल माना गया है। काल कालांतर में भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष नामक महादैत्य का संहार किया, और धरती माता को उसके चंगुल से मुक्त कराया था। कल्पवासी साधु संतों द्वारा नित्य संगम स्नान ध्यान, पूजा पाठ व कीर्तन भजन भंडारा के आयोजन से सम्पूर्ण सूकरखेत लघु प्रयाग बन गया है।

परसपुर क्षेत्र के पसका सूकरखेत में पौष पूर्णिमा स्नान मेला के मद्देनजर सरयू संगम त्रिमुहानी तट पर साधु संत सन्यासी व गृहस्थ जनों का जमावड़ा हैं। नित्य प्रति सरयू संगम में स्नान ध्यान पूजा पाठ कीर्तन भंडारा आयोजन से सम्पूर्ण क्षेत्र लघु प्रयाग बन गया। सरयू मैया वाराह भगवान के जयकारे से गुंजायमान संगम के त्रिमुहानी तट पर साधु संतों का जमावड़ा है। मोह माया से विरक्त होकर साधु संत कीर्तन भजन जप तप में जुटे हुए हैं।

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