सुल्तानपुर : राजा बाबू हत्याकांड में पांच दोषियों को मिली उम्र-कैद की सजा, 5.52 लाख रुपये का जुर्माना

सुल्तानपुर। बहुचर्चित राजा बाबू हत्याकांड में तीन दिन पूर्व दोषी ठहराये गए पांचों अभियुक्तों को जिला एवं सत्र न्यायाधीश जय प्रकाश पांडेय की अदालत ने उम्र-कैद व कुल 5.52 लाख रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। अदालत ने अर्थदंड की 70 प्रतिशत धनराशि मृतक की पत्नी को देने का आदेश पारित किया है। मामला धम्मौर थाना क्षेत्र के स्थानीय इलाके से जुड़ा है। जहां की तत्कालीन ग्राम प्रधान अनीता सिंह के पति विजय कुमार सिंह उर्फ राजा बाबू की 16 नवंबर 2015 को हरिहरपुर (अकारीपुर) के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वारदात को अंजाम देने के पीछे चुनावी रंजिश की वजह बताई गई थी। मृतक राजा बाबू के भाई अभियोगी मनोज सिंह के मुताबिक राजा बाबू घटना के दिन ग्राम प्रधान पद के लिए नामांकन पत्र खरीदने दूबेपुर ब्लॉक मुख्यालय जा रहे थे।

इसी दौरान पहले से ही घात लगाए बैठे आरोपियों ने उनकी हत्या कर दी। अभियोगी मनोज सिंह ने मामले में धम्मौर निवासी अनुराग सिंह उर्फ अन्नू सिंह, कर्मवीर सिंह उर्फ विक्की व रमैयापुर निवासी तीरथराज सिंह और अज्ञात के खिलाफ हत्या सहित अन्य आरोपो में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस की तफ्तीश में कुड़वार क्षेत्र के भंडरा गांव निवासी निर्भय सिंह उर्फ शिब्बू व नौगवांतीर निवासी शिवम सिंह की भी संलिप्तता बताई गई। जिसके उपरांत विवेचक ने सभी आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट फाइल की थी। मामले का विचारण जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चला। इस दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ताओ ने अपने साक्ष्यो एवं तर्को को प्रस्तुत कर आरोपियों को बेकसूर बताने का भरसक प्रयास किया। वहीं अभियोजन पक्ष से पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता तारकेश्वर सिंह व एमपी त्रिपाठी एवं प्रभारी डीजीसी रामअचल मिश्र ने पैरवी कर आरोपियों की ही घटना में संलिप्तता बताते हुए उन्हें दोषी ठहराकर कड़ी से कड़ी सजा से दण्डित किये जाने की मांग की।

हालाकिं पत्रावली फैसले की कार्यवाही में पहुंचने पर आरोपी कर्मवीर सिंह उर्फ विक्की सिंह ने जिला न्यायाधीश व एक पूर्व शासकीय अधिवक्ता पर गम्भीर आरोप लगाते हुए उनकी सेटिंग-गेटिंग के परिणाम स्वरूप निष्पक्ष न्याय न मिलने का अंदेशा जताया और मुकदमा किसी अन्य सक्षम अदालत में ट्रांसफर कर सुनवाई करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। फिलहाल हाईकोर्ट ने कर्मवीर सिंह की याचिका को निराधार मानते हुए खारिज कर दिया। जिसके बाद बिना किसी देरी के आरोपी कर्मवीर सिंह की तरफ से हाईकोर्ट के आदेश को भी चुनौती देते हुए देश के सबसे बड़ी अदालत की शरण ली गई। जहां अर्जी विचाराधीन रहने तक जिला एवं सत्र न्यायालय से फैसले की कार्यवाही स्थगित करने की मांग सम्बन्धी अर्जी दी जाती रही। इस बीच करीब तीन पेशियों तक फैसला टलता रहा और जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करते रहे। फिलहाल कर्मवीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली और उनकी ट्रांसफर सम्बन्धी अर्जी खारिज कर दी गई।

जिसके बाद बीते सात जनवरी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश जय प्रकाश पांडेय की अदालत ने अभियुक्त अनुराग उर्फ अन्नू सिंह, कर्मवीर सिंह उर्फ विक्की, तीरथराज सिंह, निर्भय सिंह उर्फ शिब्बू व शिवम सिंह को हत्या के प्रयास के आरोप में बरी कर दिया पर हत्या के अपराध में दोषी करार देते हुए उनकी सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 10 जनवरी की तारीख तय की। मंगलवार को पुलिस ने कड़ी सुरक्षा के बीच पांचों दोषियों को जेल से लाकर कोर्ट में पेश किया। जहां सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कड़ी से कड़ी सजा से दण्डित किये जाने की मांग की। वहीं बचाव पक्ष ने भी अपनी दलीलें पेश की। दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अदालत ने प्रत्येक को उम्र कैद व एक लाख दस हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई।

अदालत ने अनुराग सिंह उर्फ अन्नू व शिवम सिंह को आर्म्स एक्ट के अपराध में एक-एक वर्ष की कैद व एक-एक हजार रुपये अतिरिक्त अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। कोर्ट के फैसले पर मृतक के भाई मनोज सिंह ने कहा कि उन्हें अदालत से न्याय मिलने की पूरी उम्मीद थी, न्याय के लिए जिला न्यायालय व हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी करनी पड़ी, उन्होंने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि अदालत के फैसले से न्याय की जीत हुई है। वहीं बचाव पक्ष ने कोर्ट के फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि वे निर्दोष है, लेकिन कोर्ट ने उनकी बातों को सही से नहीं सुना और उन्हें बेकसूर होने के बावजूद दोषी बता दिया। उन्होंने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देकर वहां से निष्पक्ष न्याय मिलने की उम्मीद जाहिर की है।

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