
औरैया। उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा कोरोना काल के दौरान छात्र छात्राओं से वसूली गई शुल्क में 15 प्रतिशत धनराशि आगामी सत्रों में छात्रों की फीस में समायोजित किए जाने या उक्त धनराशि छात्र या उसके अभिभावक को वापस किए जाने का शासनादेश जारी किया है। शासन के आदेश के बावजूद अधिकांश शिक्षण संस्थाओं द्वारा निर्धारित शुल्क का समायोजन नहीं किया जा रहा है जिससे छात्रों व उनके अभिभावकों में भारी नाराजगी है। पीडि़त अभिभावकों के साथ क्षेत्रीय जागरूक लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व जिला प्रशासन से जल्द समस्या का निदान कराए जाने की मांग की गई है।
शिक्षण संस्थान संचालकों की मनमानी से छात्र अभिभावक परेशान
मालूम हो कि उच्च न्यायालय में दायर की गई जनहित याचिका पर न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया गया था कि कोरोना काल के दौरान वर्ष 2020, 2021 में शिक्षण संस्थाओं द्वारा छात्र छात्राओं से वसूली गई शुल्क की कुल धनराशि में से 15 प्रतिशत धनराशि या तो छात्र को वापस की जाए या फिर आगामी शिक्षा सत्र की शुल्क में उक्त 15 प्रतिशत धनराशि समायोजित कर दी जाए।
उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव द्वारा जिलाधिकारी को भेजे गए शासनादेश में सभी बोर्डों से संबंधित शिक्षण संस्थाओं से कोरोना काल के दौरान छात्र-छात्राओं से वसूल की गई शुल्क में से 15 प्रतिशत शुल्क धनराशि वापस करा दी जाए। शासनादेश जारी होने के बावजूद इन दिनों देखने में आ रहा है जिले की अधिकांश शिक्षण संस्थाओं द्वारा खासकर सीबीएसई से संबंधित शिक्षण संस्थाओं द्वारा उक्त शासनादेश को नजरअंदाज कर छात्र छात्राओं से लगातार अपने द्वारा मनमाने तरीके से निर्धारित की गई पूरी शुल्क वसूली जा रही है।
aछात्रों व उनके अभिभावकों द्वारा जब शासनादेश की बात कह कर शिक्षण संस्थाओं के संचालकों से 15 प्रतिशत शुल्क के समायोजन की बात की जाती है तो ज्यादातर शिक्षण संस्थाओं के संचालक छात्रों व उनके अभिभावकों के साथ अभद्रता पर भी उतरने से नहीं चूक रहे जिससे छात्रों व उनके अभिभावकों में प्रशासन के प्रति भारी नाराजगी है। धीरेंद्र सिंह अनिल कुमार श्याम सुंदर महेंद्र सिंह आदि क्षेत्रीय जागरूक लोगों द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व जिला प्रशासन को शिकायती पत्र भेजकर जल्द शिक्षण संस्थाओं से कोरोना काल की 15ः शुल्क समायोजन के शासन आदेश का पालन कराने और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की गई है।