दैनिक भास्कर ब्यूरो
फतेहपुर । यूपी में धर्मान्तरण का मुद्दा जोर पकड़ रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी धर्मांतरण को देश की सुरक्षा व आज़ादी को प्रभावित करने वाला मामला बताया है साथ ही केंद्र सरकार से सवाल किया है कि जबरन धर्मान्तरण रोकने के लिए वह क्या कर रही है? इसके पूर्व में भी छत्तीसगढ़, झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में मिशनरी संस्थाओ पर धर्मान्तरण के आरोप लगते रहे है। 1991 की जनगणना के बाद ईसाइयो की संख्या में इजाफा हुआ है। इसके पहले इनकी संख्या 2.4 प्रतिशत ही थी।
लाल बंधुओ को गिरफ्तार करने में पुलिस नाकाम
यूपी में ईसाई धर्मांतरण के मामले पहले मऊ, वाराणसी सहित पूर्वांचल से सुनने को मिलते थे लेकिन अब ये जाल फतेहपुर सहित पूरे यूपी में फैल गया है। धर्मान्तरण के खिलाफ कई हिन्दू संगठन खड़े होते थे लेकिन कानून में कोई कड़ी सजा का प्रावधान नहीं था। वही ईसाई आरोप लगाते रहे की दक्षिणपंथी संस्थाए उन्हें प्रार्थनासभा करने से रोकती है व मारपीट करने में आमादा हो जाती है। इसीलिए वह प्रार्थनासभा के लिए किसी घर या बंद जगह को चुनते है। हालांकि संविधान किसी भी व्यक्ति को अपनी स्वेच्छा से धर्म चुनने की आज़ादी देता है लेकिन लालच व प्रलोभन देकर कराया गया धर्मान्तरण जबरन धर्मान्तरण की श्रेणी में आएगा।
फ़तेहपुर में धर्मांतरण का मायाजाल
फतेहपुर में 15 अप्रैल 2022 को चल रही प्रार्थना सभा को विहिप व बजरंगदल ने रोक दिया। आरोप लगाया कि भोले भाले गरीब दलित हिंदुओं को प्रलोभन देकर धर्मान्तरण कराया जा रहा है। वैसे तो जनपद में ऐसी खबरें पिछले 10 साल से सुनने को मिलती रही है लेकिन पुलिस द्वारा इतनी बड़ी कार्यवाही पहली बार हुई जिसमे 30 नामजद व 26 अज्ञात लोगों पर मुकदमा पंजीकृत हुआ जिसमें चर्च के पादरी, मिशन अस्पताल के कर्मचारी शामिल थे।
उसके बाद मुकदमों की संख्या में इजाफा हुआ और इसी क्रम एक मुकदमा प्रयागराज स्थिति शुआट्स की वीसी आर बी लाल व निदेशक विनोद बी लाल सहित उन प्रमुख लोगो पर हुआ जो यूपी में धर्मान्तरण के सूत्रधार थे। जांच में ये बात भी सामने आई कि धर्मातरण के लिए विदेशो से करोड़ो की फंडिंग हुई है।और धर्मान्तरण की जड़ें उम्मीद से भी ज्यादा गहरी है। हिन्दू संगठनों का दावा है कि लाल बंधुओ का जाल पूरे यूपी के प्रत्येक जनपद, ब्लॉक व ग्राम स्तर पर फैल चुका है! औऱ फ़तेहपुर की प्रत्येक विधानसभा में धर्मान्तरित हुए लोगो की संख्या लगभग 15000 से अधिक हो चुकी है।
मामले को गहनता से देखेंगे तो धर्मान्तरण करने के लिए दलित, गरीब परिवारों को सबसे पहले टारगेट किया गया। उन्हें जरूरत के समान जैसे बॉक्स, बकरी, सोलर आदि के साथ रोजगार व लड़की की शादी के लिए धन उपलब्ध कराया गया फिर उन्हें धर्मान्तरित कर दिया गया। लाल बंधुओ और मिशनरी संस्थाओ का दखल यूपी की राजनीति में इतना बढ़ गया कि आंकड़े बताते है बसपा का परंपरागत वोटर पिछले दल चुनाव में सपा के साथ चला गया! बताते है कि लाल बधुओं का प्रभाव ब्यूरोक्रेसी, डेमोक्रेसी व जुडिशियली में भी है।आज तक इनके खिलाफ कार्यवाही करने वाले अफसर या तो पैदल कर दिए गए या ट्रांसफर करके साइडलाइन कर दिए गए। लाल बधुओं के ख़िलाफ़ यूपी में 50 से ऊपर मुकदमे है जिसमे धोखाधड़ी, मारपीट व धर्मान्तरण के है।
यूपी पुलिस के अलावा ईडी व सीबीआई भी इनको अपनी कार्यवाही की जद में ले चुकी है लेकिन कई अधिकारियों व प्रमुख व्यक्तियों के नजदीकी रिस्तेदारो को शुआट्स में भारी वेतनमान में नौकरी व मेडिकल में दाखिला जैसी मदद बहुत ही आम है जिससे एक बड़ा समूह इनके लिए सुरक्षा कवच बन जाता है और जब कोई अधिकारी इन पर कार्यवाही करने के लिए बढ़ता है तो उसे नुकसान उठाना पड़ जाता है। लाल बंधुओ के गहरे रिश्ते समाजवादी पार्टी के नेताओं से थे। 15 अप्रैल के बाद से फतेहपुर में यूपी पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही ने खूब सुर्खियां तो बटोरी लेकिन अब नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
यूपी पुलिस की जांच जब ज्यादा गहरी जड़ो तक जाने लगी तो एक सवाल एक खतरा उन एजेंसियों को भी महसूस होने लगा जिनकी कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगने लगा कि अखिर धर्मान्तरण का कार्य दशकों से चल रहा था व धर्मांतरित हुए लोगो की संख्या लाखो में पहुच चुकी है! फिर भी खूफिया एजेंसियो ने आंख क्यो मूंद रखी थी। आज भी धर्मांतरण का यह मामला कितना भी बड़ा क्यों न हो लाल बंधुओ की गिरफ्तारी न होना पूरे सिस्टम के लिए सवालिया निशान है। ऐसे में पुलिस की आधा दर्जन एफआईआर और सख्त कार्रवाई की बयानबाजी का क्या मतलब जब लाल बंधुओ को जमानत का पूरा मौका मिले। सरकार को भी जबरन धर्मांतरण के मामले में आगे आकर एक सख्त कानून बनाना होगा तभी इस मायाजाल को तोड़ने में कामयाब होंगे अन्यथा धर्मांतरण की बड़ी मछलियां हर बार की तरह बचत का कोई रास्ता ढूढ़ ही लेंगी।