हाईकोर्ट की सख्ती, सपा विधायक मनोज पारस के जेल से निकलने के दूर तक आसार नही

शहजाद अंसारी

बिजनौर। दलित महिला से सामुहिक दुष्कर्म के मांमले में पिछले कई माह से जेल में बंद मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री व मौजूदा सपा विधायक मनोज पारस को जमानत न मिलने के कारण बडा झटका लगा है। न्यायालय ने सोमवार को आरोपी मनोज पारस के वकीलों के तर्को व दलीलों से असंतुष्ट होकर जमानत प्रार्थना पत्र पर कोई सुनवाई न कर मामला पैंडिग में डाल दिया है जिससे आरोपी मनोज पारस की ज्यादा मुश्किलें बढ़ गई हैं।

गौरतलब है कि जनपद बिजनौर थाना नगीना के ग्राम बिंजाहैडी निवासी एक दलित महिला से वर्ष 2007 में राशन की दुकान का कोटा दिलाने के बहाने सामुहिक दुष्कर्म के मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री व मौजूदा सपा विधायक मनोज पारस ने 13 साल बाद 31 मई 19 को इलाहाबाद की विशेष अदालत में सरेंडर किया था। विशेष अदालत ने अभियुक्त मनोज पारस की जमानत याचिका खारिज करते हुए उसे इलाहाबाद की नैनी जेल भेज दिया था। जेल में बंद आरोपी विधायक मनोज पारस को सवा दो माह बीत जाने के बाद भी कोई राहत नहीं मिल सकी है।

क्योंकि 05 अगस्त को हाईकोर्ट के कोर्ट नम्बर 67 के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने आरोपी मनोज पारस के वकीलों के तर्को व दलीलों को दरकिनार करते हुए जमानत प्रार्थना पत्र पर कोई सुनवाई न कर मामला पैंडिग में डाल दिया है जिससे आरोपी मनोज पारस की मुश्किलें बढ़ने के आसार हैं। क्योंकि हाईकोर्ट द्वारा लिस्टिंग किये जाने के बाद अब इस मांमले की सुनवाई होने में कई माह लगेंगे। क्यांकि हाईकोर्ट में पहले से ही पैंडेंसी बहुत है जिससे और सुनवाई देर से होगी इसी कारण मनोज पारस के जेल से बाहर आने का फिलहाल कोई रास्ता नही है।

इस बहुचर्चित गैंगरेप के मांमले में आरोपी सपा विधायक मनोज पारस को जेल की सलाखों तक पहुंचाने में भले ही 13 वर्षों से अधिक का समय लगा हो लेकिन इससे दो बातें साफ हो गई कि भारतीय न्याय प्रणाली में इंसाफ मिलने में देर हो सकती है लेकिन अंधेर नहीं। उधर गरीब व दलित महिला गैंगरेप के बाद निराशा के दल दल में धंस चुकी थी क्योंकि आरोपी मनोज पारस सत्ताधारी और कानून को ताक पर समझने वाला विधायक था और इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता कि सत्ता की हनक में 13 साल तक कानून के दांव पेंचों और पैसे के बल पर विधायक मनोज पारस कानून से लुका छिपी का खेल खेलता रहा और दलित महिला दूसरे प्रदेश में रहकर अपनी जान बचाते हुए लगातार इंसाफ की गुहार अदालत दर अदालत लगाती रही। लेकिन पीडिता ने उम्मीद और सब्र का दामन नहीं छोड़ा और न्यायपालिका पर विश्वास रखा कि एक दिन उसे इंसाफ जरूर मिलेगा।

पीड़ित दलित महिला के उसी विश्वास की जीत हुई और आज सत्ता की हनक में अकड़कर चलने वाला आरोपी मनोज पारस अपराधियों की तरह जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया। वहीं हाईकोर्ट द्वारा मामला पैंडिग में डालने के बाद जेल में बंद विधायक मनोज पारस की मुश्किले बढ़ ही रही है।