टीबी रोगियों के लिए वरदान साबित हो रहे निक्षय मित्र

भास्कर समाचार सेवा
इटावा। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जनपद में क्षय रोगियों की देखभाल के लिए जिस तरह से निक्षय मित्र सहयोग प्रदान कर रहे हैं। वह रोगियों के इलाज के लिए वरदान साबित हो रहा है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ गीताराम ने कहा
कि इस अभियान के तहत पिछले साल सितंबर में निक्षय मित्र की मुहिम शुरू हुई थी। इसके तहत सामाजिक संस्थाएं विभिन्न संगठन और व्यक्तिगत तौर पर लोगों ने टीबी ग्रसित मरीजों को मदद करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर क्षय रोगियों को गोद लेना शुरू किया। जनपद में जनवरी 2023 से अबतक 72 निक्षय मित्र ने 112 रोगियों को गोद लेकर उन्हें पोषक आहार और भावनात्मक सहयोग प्रदान किया। सीएमओ ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वरिष्ठ पत्रकार अतुल बीएन चतुर्वेदी और स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त उर्वशी दीक्षित राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के लिए विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर काम करेंगे।
समाजसेवी व पान कुंवर इंटरनेशनल विद्यालय के संरक्षक डॉ कैलाश यादव ने काशीराम आवास में रहने वाले 5 क्षय रोगियों को गोद लिया। इसके बाद वह उनसे निरंतर घर पर जाकर संपर्क कर रहे हैं। घर-घर जाकर पोषक आहार वितरित कर रहे हैं। डॉ कैलाश ने बताया कि कोई भी बीमारी हो दवा के साथ यदि रोगी को भावात्मक सहयोग दिया जाए तो वह जल्दी स्वस्थ हो जाता है। उन्होंने कहा कि मेरा व्यक्तिगत रूप से गोद लिए गए क्षय रोगियों से मिलने का मकसद है। उनके बीच जाकर उनके साथ बातचीत कर उनकी मन की बात को समझना और टीबी के इलाज के साथ उचित खानपान और पौष्टिक आहार देते समय उनको इलाज शुरू होने के बाद हुए स्वास्थ्य सुधार के बाद उनके जीवन में आए बदलाव और अनुभवों को साझा करना। उन्होंने लोगों से अपील की है कि निक्षय मित्र के रूप में जनपद के सभी समृद्ध वर्ग और गणमान्य लोग व प्रशासनिक अधिकारी अपनी सहभागिता निभाएं और 6 माह तक इलाज के दौरान इन रोगियों को भावात्मक और पौष्टिक आहार का सहयोग दें तो जल्द ही हमारा जनपद क्षय मुक्त बन सकता है।
जिला जेल वरिष्ठ अधीक्षक डॉ रामधनी ने बताया कि जिला जेल में टीबी के प्रति जेल कैदियों को निरंतर जागरूक कर रहा हूं। इससे टीबी से ग्रसित रोगियों के साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं हो और जेल में उपस्थित क्षय रोगियों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क में रहता हूं। उन्होंने बताया कि टीबी ग्रस्त कैदियों को भी खास तौर पर इलाज व पोषण के संदर्भ में पूरा सहयोग दिया जा रहा है। समय-समय पर इन रोगियों के लिए स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन भी किए जाते हैं। डॉ रामधीन ने बताया कि मैंने 5 क्षय रोगियों को गोद लिया है। मेरा मानना है कि अन्य रोगियों की तुलना में जेल में क्षय रोगियों को ज्यादा भावनात्मक सहयोग की आवश्यकता पड़ती है।
काशीराम कॉलोनी में रहने वाले 38 वर्षीय रहीम (काल्पनिक नाम) ने बताया कि निक्षय मित्र जब भी हमसे मिलते हैं। सबसे पहले यही पूछते हैं कि दवाई समय से ले रहे हो या नहीं , कोई परेशानी तो नहीं मैं उनको और सरकार का धन्यवाद देता हूं कि मेरे जैसे मरीज के लिए इतना प्रयास किया जा रहा है।

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