
–मानक के विपरीत फैक्ट्रियों को प्रशासन द्वारा अनुमति देने पर उठ रहे सवाल
–फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंयें से पर्यावरण को हो रहा नुकसान
भास्कर समाचार सेवा
मैनपुरीघिरोर। कस्बे की घनी बस्तियों में बूरा-बतासा व अन्य सामान बनाने वाली फैक्ट्रियों में लगी चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुआं स्थानीय लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है। फैक्ट्रियों में कोयले की जगह चमड़ा, तूरी व अन्य कबाड़ा जलाया जा रहा है। जिससे चिमनी से निकलने वाले धुयें से सांस व अन्य फेफड़ों से सम्बधित बीमारियॉं जन्म लेती जा रही है। हैरानी की बात तो यह है कि इन फैक्ट्रियों को घनी बस्तियों में लगाने की अनुमति प्रशासन ने कैसे दे दी ? ये सवाल लोगों के जहन में घूम रहा है। कस्बे में इस तरह की 2 से लेकर 3 तक फैक्ट्रियां जो संचालित हैं जिनसे जहरीला धुआं पिछले पांच साल से निकल रहा है। जिससे लोगों में सांस की बीमारियां फैलने की संभावना बन गई है। कस्बे के ही काकुल शर्मा, सीटू यादव, अली दराज, मुख़लेश, लहीक अहमद, राजपाल, शिव प्रताप, सुधीर कुमार यादव, अंकुर यादव, मनोज कुमार, राहुल कुमार आदि लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की जहर उगलने वाली फैक्ट्रियों को आबादी वाले स्थान से हटाया जाये जिससे लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ न हो सके।
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कस्बे में संचालित हो रही फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंयें से हो रहे नुकसान के बारे में जानकारी नहीं थी जांच कराकर ऐसी फैक्ट्रियों पर क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।