दैनिक भास्कर ब्यूरो
बरेली। नगर निगम में इंजीनियर और ठेकेदारों का अघोषित गठबंधन शहरवासियों के लिए मुसीबत बन चुका है। सीएम की वीडियो कांफ्रेंसिंग या कमिश्नर की बैठक में नगर निगम इंजीनियर काम जल्द पूरा करने के बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकते। मगर, उन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और है। डेढ़ साल से सड़क का निर्माण अधूरा पड़ा है। ठेकेदार ने 12 महीने पहले टेंडर ले रखा है। मगर, सड़क नहीं बना रहा है। कॉलोनी के पीड़ितों ने सीएम पोर्टल पर इस बात की शिकायत की तो नगर निगम के इंजीनियरों ने उस शिकायत का निस्तारण में यह लिखकर भेज दिया कि ठेकेदार को नोटिस दिया गया है। जनता चाहे जितनी मुसीबत झेले, लेकिन ठेकेदारों को बचाना नगर निगम की पहली प्राथमिकता है।
निपटाई सीएम पोर्टल की शिकायत
मुख्यमंत्री या कमिश्नर की बैठक में नगर निगम के अधिकारी या इंजीनियर बरेली को स्मार्ट बताते नहीं थकते। मगर, जमीनी हकीकत जनता अच्छी तरह से जानती है। कर्मचारी नगर में 300 मीटर की सड़क डेढ़ साल से बदहाल है। 12 महीने पहले ठेकेदार ने निर्माण का टेंडर भी ले लिया। मगर, सड़क नहीं बनी। जनता ने शिकायत भी की। मगर, जब सुनवाई नहीं हुई तो सीएम पोर्टल पर शिकायत की गई। उसके निस्तारण में नगर निगम के चीफ इंजीनियर ने ठेकेदार पर कार्यवाही करने के स्थान पर यह रिपोर्ट लगा दी कि ठेकेदार को सात दिन का समय दिया गया है।
नगर निगम से ऐसी ही रिपोर्ट सीएम पोर्टल को भेजी बाकी शिकायतों में भी किया गया है। सूत्रों के अनुसार कुछ ही ऐसे ठेकेदार होंगे जिन्हें 4 या उससे अधिक चेतावनी नोटिस जारी किए गए। जिन ठेकेदारों से दोस्ती नहीं है, उन पर दूसरे ही नोटिस में कार्रवाई हो जाती है। चंद ठेकेदारों को बचाने के लिए नोटिस- नोटिस का खेल लंबे समय से जारी है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर समेत अन्य अफसरों के सीयूजी नंबरों पर बात करने की कोशिश की गई तो किसी ने भी सीयूजी नंबर नहीं उठाया।
एई नगर निगम मुकेश शाक्य का बयान
कर्मचारी नगर अब मेरा एरिया नहीं है। यह पल्लवी सक्सेना के पास है। वह जेई हैं। एई भी दूसरे हैं। इसलिए वही इस बारे में कुछ बता पाएंगे। मुकेश शाक्य, एई नगर निगम