सिरसा नदी अस्तित्व में आई तो पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा

भास्कर समाचार सेवा

जसवन्तनगर/इटावा। जीवन की आस तभी तक है जब तक पानी से प्यास बुझ रही है। पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, गर्मी के समय में पानी के लिए बड़ी किल्लत होती है। सिरसा नदी को अस्तित्व में लाने के लिए सरकार ने इसका कार्य कराने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में मनरेगा योजना के तहत कार्य कराया था। लेकिन धरातल पर कार्य हुआ लेकिन उसका लाभ नहीं मिला, ये सिरसा नदी हरियाणा के गोरखपुर खजुरी गांव से शुरू होकर पश्चिम के कई जिलों व स्थानीय ब्लॉकों से होती हुई इटावा में आकर समाप्त हो जाती है। फिरोजाबाद जिले के टूंडला, शिकोहाबाद, से होकर गुजरने के बाद इटावा जिले के जसवन्तनगर तहसील और पालिका क्षेत्र से होती हुई जिले के पूर्व में समाप्त हो जाती है। यदि यह नदी अपने अस्तित्व में आ गई तो क्षेत्र में चल रही पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा। किसानों को सिंचाई के लिए हर समय पानी उपलब्ध होगा। लोगों को हर समय पानी मिलेगा और वाटर लेवल भी तेजी से ऊपर आएगा।नदी के सूखने के बाद लोगों ने उस पर अतिक्रमण कर लिया है। जगह-जगह सिल्ट और कूड़ा करकट एकत्रित हो जाने के कारण नदी में पानी नहीं पहुंच पा रहा था। क्षेत्र की इस मांग को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरा करने के निर्देश दिए थे और उसके बाद ही पूर्व में जिले में रहे मुख्य विकास अधिकारी ए गणपति राजा ने शासन की मंशा के अनुरूप मनरेगा योजना से सिरसा नदी को साफ करने का काम भी शुरू करा दिया था।लेकिन जिले में पानी की समस्या का समाधान होगा और पर्यावरणीय इतिहास में यह योजना मील का पत्थर साबित होगी। लेकिन करोड़ो रूपये खर्च होने के बाद भी रहे ढाक के तीन पात।अस्सी के दशक के जिले के सैकड़ों ग्रामों में सिंचाई के लिए भरपूर पानी उपलब्ध कराने वाली सिरसा नदी वर्तमान स्थिति में कई जगहों पर नाले के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। सरकार ने सिरसा नदी के पुनर्जीवन व पुर्नस्थापना के संबंध में ठोस तर्कों के साथ सिरसा नदी के पुनर्जीवन एवं पुनर्स्थापन संबंध में ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया था।बुजुर्गों की मानें तो अस्सी के दशक में ब्लॉक के आधा सैकड़ा के करीब गांवों बीबामऊ, बलरई, नागरी, मानिकपुर, धरवार, राजपुर, तमेरी, सिसहाट, नगर क्षेत्र, कैस्त, मलाजनी, भतौरा आदि गाँव में सिरसा नदी प्रमुख सिंचाई साधनों में शुमार थी। ऐसे में अगर इस नदी का जीर्णोद्वार किया जाता है तो किसानों ने बताया कि इस नदी के अस्तित्व में आने से क्षेत्र के किसानों की पानी की समस्या समाप्त हो जाएगी। फसल की सिंचाई के लिए किसानों को बिजली आने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। नदी में पानी होगा तो उसका सदुपयोग किया जा सकेगा। क्षेत्र से गुजरने वाली सिरसा नदी की हालत एक गंदे नाले की तरह हो चुकी है जिसमें सिल्ट, खरपतवार व जलमंजनी ही दिखाई देता है। नदी का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। नदी किनारे बने घरों में दुर्गंध आती रहती।