
परिक्रमा मार्ग में शरबत वितरण तो कही किया गया श्रद्धालुओं को पूड़ी सब्जी का प्रसाद वितरण भास्कर समाचार सेवा
मथुरा। गोवर्धन ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा के अवसर पर गोवर्धन में स्थित मानसी गंगा के घाटों पर लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी। मंगलवार की सुबह से ही स्नानार्थियों की भीड़ मानसी गंगा के घाट पर लगी रही।और हर हर गंगे जय मां गंगे के जयघोष के साथ भक्तों ने गंगा पूजन स्नान और ध्यान करने के बाद दान पुण्य भी किया।वही महिलाओं ने सूर्य नारायण को अर्घ्य देकर मां गंगा को पुष्प और दीप अर्पित किया।उसके बाद गंगाधर भगवान भोलेनाथ और गिरिराज जी को शीश नवाने के लिए आस्थावानों ने गोवर्धन के प्राचीन शिव मंदिर शिवालयों में जाकर बेल पत्र अर्पित कर पूजा अर्चना की।इस दौरान कुसुम सरोवर राधा कुंड आदि स्थानों पर भी लोगों ने स्नान किया।मान्यता है की मोक्षदायिनी भागीरथी गंगा को भगवान श्रीकृष्ण ने यहां मन से उत्पन्न किया जिससे गंगा को यहां मानसी गंगा के नाम से जाना जाने लगा।गोवर्धन में गिरिराज जी की परिक्रमा लगाकर श्रद्धालु मानसी गंगा में स्नान कर धार्मिक यात्रा पूर्ण करते हैं।भगवान श्रीकृष्ण के मन से उत्पन्न मानसी गंगा को समस्त पापों का नाश कर मोक्ष दायिनी बताया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रीकृष्ण ने गोपियों के कहने पर वृष हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए अपने मन से इसे प्रकट किया।इसलिए इसका नाम मानसी गंगा पड़ा तथा इसमें स्नान कर पाप मुक्त हुए।वहीं एक बार श्री नंदबाबा यशोदा मैया सभी ब्रजवासियों सहित चार धाम की तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे।रात्रि को इन्होंने गोवर्धन में विश्राम किया। कृष्ण ने सोचा सारे तीर्थ ब्रज में विद्यमान होने चाहिए।उन्होंने गंगा सहित चारों तीर्थ ब्रज मंडल में प्रकट किए।वही गंगा दशहरा को लेकर लोगो मे काफी उत्साह।कही परिक्रमा मार्ग में शरबत वितरण किया गया तो कही गिरिराज जी की परिक्रमा कर रहे श्रद्धालुओं को पूड़ी सब्जी का प्रसाद वितरण किया गया।