डॉक्टरों का 50 लाख से 5 करोड़ रुपए का इंश्योरेंस होना आवश्यक : डीपी श्रीवास्तव

रोहिणी स्थित जयपुर गोल्डन अस्पताल में मनाया गया डाक्टर्स डे

भास्कर समाचार सेवा

नई दिल्ली। रोहिणी स्थित जयपुर गोल्डन अस्पताल में आज डाक्टर्स डे बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं विभिन्न संस्थाओं में वरिष्ठ पदों आसीन रहे डीपी श्रीवास्तव मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत में अस्पताल के एमडी डॉ डीके बलूजा ने कहा एक मरीज के लिए उसका डॉक्टर किसी फरिश्ता से कम नहीं होता है। कोरोना काल में हमने सीखा कि हमारे समाज में डॉक्टर किसी वॉरियर से कम नहीं है। यह सिर्फ एक प्रोफेशन नहीं बल्कि एक इंसान कि लाइफ लाइन है। उन्होंने कहा कि इलाज करने वाले चिकित्सकों के साथ होने वाली हिंसा और भेदभाव किया जाता है। डॉक्टरों के हितों की देखभाल करने तथा उनकी सुरक्षा और “उनकी गरिमा को बहाल करने” के लिए एक सख्त अधिनियम पारित किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं विभिन्न संस्थाओं में वरिष्ठ पदों आसीन रहे डीपी श्रीवास्तव ने सुझाव देते हुए कहा कि सबसे पहले डॉक्टरों का 50 लाख से 5 करोड़ रुपए का इंश्योरेंस होना आवश्यक है। डाक्टरों के साथ इस तरह के अपमानजनक व्यवहार तथा हिंसा के पीछे एक कारण जनता में जागरूकता और शिक्षा की कमी है। लोग चमत्कार की उम्मीद करते हैं, वे भूल जाते हैं कि डॉक्टर इंसान हैं, सुपरहीरो नहीं। उन्होंने कहा सरकार ने 28 सितंबर, 2020 को महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम, 2020 पारित किया, जिसके तहत किसी भी स्थिति के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा के कृत्यों को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीवास्तव ने कहा कि महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम के तहत, हिंसा के कृत्यों को अंजाम देना या उकसाना या किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना तीन महीने से पांच साल की कैद और 50,000 रुपये से 2,00,000 रुपये के जुर्माने से दंडनीय है। गंभीर चोट पहुंचाने के मामले में छह महीने से सात साल तक की कैद और 1,00,000 रुपये से 5,00,000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा, अपराधी पीड़ित को मुआवजा और संपत्ति के नुकसान के लिए उचित बाजार मूल्य का दोगुना भुगतान करने के लिए भी उत्तरदायी होगा। चूंकि, कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसलिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारें भी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)/दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के तहत स्वास्थ्य पेशेवरों/संस्थानों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाती हैं।

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