केसीआर के आने से बढ़ेगी विपक्ष की ताकत !

मोदी को हटाने के लिए केसीआर की जरूरत, विपक्ष का संदेश लेकर हैदराबाद पहुंचे अखिलेश यादव
भास्कर समाचार सेवा

नई दिल्ली/ हैदराबाद।‌ विपक्ष की मजबूत किलेबंदी और शक्तिशाली भाजपा को दिल्ली की सत्ता से हटाने के लिए अब विपक्षी दलों को भारतीय राष्ट्रीय समिति (बीआरएस) की अहमियत और उसकी उपयोगिता साफ समझ में आने लगी है। भारतीय जनता पार्टी जिस तरह लगातार विपक्षी दलों में फूट डालने का और तोड़फोड़ करने का कार्य कर रही है उसे रोकने के लिए अब सभी विपक्षी दलों को केसीआर की मदद की जरूरत महसूस होने लगी है। यही वजह है कि अब विपक्ष ने केसीआर को मनाने और उन्हें विपक्षी खेमे में सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मोर्चे पर लगाया है। अखिलेश यादव ने सोमवार को हैदराबाद जाकर केसीआर से मुलाकात की और जिस प्रकार केसीआर ने गर्मजोशी के साथ अखिलेश यादव का स्वागत किया और अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों को उन्हें रिसीव करने के लिए हवाई अड्डे पर भेजा उससे अब इस बात की गंध आने लगी है कि केसीआर भी आब विपक्ष का सहयोग करने के लिए रजामंद हो सकते हैं।

दक्षिण भारत के राजनेताओं में केसीआर का कद सबसे ऊपर

तमिलनाडु में एमके स्टालिन हो या आंध्र में जगन मोहन रेड्डी अथवा चंद्रबाबू नायडू, केरल हो या कर्नाटका केसीआर ने जिस तरह तेलंगाना मॉडल तैयार किया है और हर समुदाय और वर्ग में जिस तरह उनकी स्वीकार्यता बढ़ी है, उसने उनका कद न सिर्फ समूचे दक्षिण में बल्कि उत्तर और मध्य के राज्यों में भी काफी बड़ा कर लिया है। पिछले कुछ महीनों में शायद ही कोई राष्ट्रीय स्तर का नेता रहा होगा जिसने केसीआर से मुलाकात ना की हो क्योंकि विपक्ष अच्छी तरह जानता है कि अगर दक्षिण में कोई भारतीय जनता पार्टी का रथ रोकने का काम कर सकता है वह केवल केसीआर ही हैं।

केसीआर के विपक्षी खेमे में आ जाने से महाराष्ट्र में हुए नुकसान की होगी भरपाई

सूत्रों का कहना है कि अगर अखिलेश यादव केसीआर को विपक्षी खेमे में लाने में कामयाब होते हैं तो इसका दोहरा लाभ होगा। एक तो महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस में हुई तोड़फोड़ से लोगों का ध्यान हटेगा और अजित पवार सहित कुछ नेताओं के भाजपा के खेमे में जाने से जो वैक्यूम पैदा हुआ उसकी भरपाई केसीआर बड़े आराम से कर लेंगे। केसीआर अब अपना प्रभाव महाराष्ट्र में भी बढ़ा रहे हैं और उन्होंने संगठनात्मक स्तर पर पार्टी को आगे बढ़ाने का काम किया है अगर उनकी शक्ति वहां विपक्ष के साथ मिल जाती है तो इससे महाराष्ट्र में जो विपक्ष का नुकसान हुआ है उसकी पूर्ति हो सकेगी। इसके अलावा तेलंगाना में भी अगर कांग्रेस के साथ बीआरएस की सुलह हो जाती है तो पिछली बार जो भाजपा को यहां कुछ सीटें मिली मिली थी इस बार उसे भी शून्य तक किया जा सकता है।

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