भारत में हृदय रोगियों की संख्या में वृधि हो रही है, और यह लोगों की मृत्यु का भी बड़ा कारण है। रोग में तेजी से हो रही वृद्धि के अलावा सबसे चिंताजनक बात है कि 10 साल पहले से ही भारतीय, हृदय रोग की चपेट में आ रहे हैं, जिनकी मृत्यु दर यूरोपीय देशों के लोगों की तुलना में अधिक है।
देश में तेजी के साथ बढ़ रहे इस रोग के कई कारण हैं, जिनमें बदलती जीवनशैली, बढ़ती आबादी, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, सुस्त जीवन शैली, खराब खान-पान की आदत, तंबाकू का प्रयोग और तनाव आदि हैं। इन वजहों को खत्म करने या कम करने के लिये भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें हृदय रोगियों की पड़ताल और उनके गुणवत्तापूर्ण इलाज के लिये क्षेत्रीय स्तर पर समुचित सुविधाओं का अभाव होना मुख्य रूप से शामिल है।
विशेष रूप से युवाओं में अचानक हृदय संबंधी मृत्यु (सडेन कार्डिएक डेथ) की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। हालांकि केवल 2 प्रतिशत आबादी ही इस खतरे के आने पर सीपीआर(कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) की उपयोगिता के बारे में जागरूक है। यह अन्तर्राष्ट्रीय औसत 30 प्रतिशत से काफी कम है। इस बेहद जरूरी कौशल को सीखकर हृदय रोगों से होने वाली मोतों की संख्या में कमी लाई जा सकती है। गौर करने वाली बात है कि अगर समय पर पीड़ित को सीपीआर दी जा सके तो लगभग 40 प्रतिशत लोगों की जान बचाई जा सकती है।
विशेषज्ञ इस बात की सलाह देते हैं कि कम से कम हृदय रोगियों की देखभाल करने वालों और परिवार के सदस्यों को सीपीआर के लिये प्रशिक्षित किया जाना चाहिये। लोगों को एससीडी (सडेन कार्डिएक डेथ) के बारे में जागरूक करने और उन्हें सीपीआर तकनीक के बुनियादी प्रशिक्षण देने के लिये सीएसआई (कार्डियोलॉजिकल सोसाईटी ऑफ इंडिया) और सैट्स संगठन (सोसाईटी फॉर इमरजेंसी मेडिसीन इन इंडिया) ने एक पहल कॉल्स (सीपीआर एज ए लाईफ स्किल इनिशिएटिव) की शुरूआत की। इस परियोजना को सन फार्मा के माननीय सीएसआई सचिव डॉ. देबब्रत रॉय की पहल मेकिंग इंडिया हार्ट स्ट्रॉंग द्वारा समर्थन दिया जा रहा है।
अस्पताल से बाहर, कार्डियक अरेस्ट एक प्रमुख हृदय संबंधी घटना है जिसके लिए सामान्य समुदाय में कार्डियक अरेस्ट और सीपीआर कौशल के बारे में सार्वजनिक जागरूकता की आवश्यकता होती है। कार्डियक अरेस्ट से सावधान रहें, सीपीआर सीखें, जीवन बचाएं –डॉ. विजय हरिकिसन बंग, अध्यक्ष सीएसआई। इसका मुख्य उद्येश्य अगले एक वर्ष में 10 मिलियन से अधिक भारतीयों को शारीरिक रूप से और डिजिटल मंच के माध्यम से सीपीआर के लिये प्रशिक्षित करना और जागरूक करना है।
पहल के पहले चरण में सीएसआई के 1000 से अधिक सदस्य डॉक्टरों द्वारा देश में 25 से अधिक शहरों में शारीरिक प्रशिक्षण कार्यशालाओं को आयोजित किया जाएगा। यह कार्यशालाएं आगामी एक वर्ष में पूरे भारत में आयोजित की जाएंगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागी सीपीआर के महत्व, इसकी जरूरत वाले लोगों की पहचान करने और सीपीआर के प्रभावी तरीकों को जानेंगे। प्रशिक्षण को सही तरीके से सुनिश्चित करने के लिये पुतलों और खास सीपीआर क्यूब का इस्तेमाल किया जाएगा।
लोगों तक व्यापक पहुंच बनाने के लिये समाचारपत्रों, पत्रिकाओं और डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल किया जाएगा। लोगों को सीपीआर के संबंध में प्रशिक्षण देने के लिये विशेष रूप से तैयार किये गये 18 विडियो उपलब्ध किये जाएंगे। इन डिजिटल सामग्रियों के साथ सक्रियता से जुड़ने वाले प्रतिभागियों को सीपीआर के बारे में जागरूकता प्राप्त करने के लिये बैज देकर सम्मानित किया जाएगा।