मुंबई (ईएमएस)। निर्देशक ओम राउत की फिल्म आदिपुरुष को लेकर एक ओर जहां विवाद जारी है वहीं फिल्म के लेखक ने अब जाकर माफी मांगी है। नित-नए विवादों को जन्म देने के बाद मनोज मुंतसिर ने कहा है कि हनुमान जी भी भगवान हैं। इतना ही नहीं उन्होंने दर्शकों से उनकी भावनाओं को आहत होने का हवाला देकर बिना शर्त माफी मांगी है।
गौरतलब है कि फिल्म आदिपुरष पिछले माह 16 जून को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। फिल्म की रिलीज से पहले जहां दर्शकों में इसको लेकर काफी उत्साह था तो वहीं रिलीज के बाद फिल्म को काफी ट्रोल किया गया। फिल्म के डायलॉग्स को बहुत ही भद्दा कहा गया, और किरदारों के लुक्स की वजह से सनातन धर्म का मजाक उड़ाने तक के आरोप मेकर्स पर लगाए गए। मेकर्स के साथ ही फिल्म के लेखक मनोज मुंतशिर ने आदिपुरुष को काफी सपोर्ट किया लेकिन अब उन्होंने आखिरकार माफी मांग ली है। एक ट्वीट में लेखक मनोज मुंतशिर ने अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं।
उन्होंने ट्विटर पर आदिपुरुष विवाद पर रिएक्ट करते हुए माफी मांगी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि मैं स्वीकार करता हूं कि फिल्म आदिपुरुष से जन भावनायें आहत हुईं हैं। अपने सभी भाइयों-बहनों, बड़ों, पूज्य साधु-संतों और श्री राम के भक्तों से, मैं हाथ जोड़ कर, बिना शर्त क्षमा मांगता हूं। भगवान बजरंग बली हम सब पर कृपा करें, हमें एकता और अटूट रहकर अपने पवित्र सनातन और महान देश की सेवा करने की शक्ति दें। गौरतलब है कि लेखक मनोज मुंतशिर को सोशल मीडिया यूजर्स काफी ट्रोल कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, पहले तो बड़ा सपोर्ट कर रहा था, अब क्या हुआ, गिरगिट जैसे रंग बदल रहा। एक दूसरे ने लिखा कि दोस्तों इसकी बातों में मत आना, काम मिलना बंद हो गया तो तेवर बदल रहे हैं। मनोज मुंतशिर के लिए कुछ ट्विटर यूदर्स ने भद्दे शब्दों का भी इस्तेमाल किया है।
वहीं कुछ यूजर्स ने उनकी इस माफी को सराहा है। गौरतलब है कि फिल्म रिलीज के बाद मनोज ने हर तरह से खुद को सही साबित करने की कोशिश की थी, जिससे विवाद और बढ़ गया था। मनोज ने ये तक कह दिया था कि हनुमान भगवान नहीं, भक्त हैं । वहीं एक दूसरे बयान में उन्होंने कहा था, कुछ लोग हैं जो फ़िल्म को आज से नहीं डे-वन से टारगेट कर रहे हैं। हमने कभी फ़िल्म को शुद्धता के पैमाने पर सेल नहीं किया। हमने आज तक ये नहीं बोला कि हम ऐसी फ़िल्म बना रहे हैं जो प्रामाणिक तौर पर उसी भाषा का प्रयोग कर रही है जो भाषा वाल्मिकी ने लिखी थी। अगर मुझे शुद्धता पर जाना था तो फिर मैं अपनी ग़लती मानता हूं क्योंकि तब इसे संस्कृत में लिखना था और तब मैं लिखता ही नहीं क्योंकि मुझे संस्कृत लिखनी नहीं आती।