सीतापुर : सोमवती अमावस्या पर्व पर तीर्थ में दिखेगा आस्था का संगम

सीतापुर। नैमिषारण्य इस बार सावन मास के दूसरे सोमवार को सोमवती अमावस्या का संयोग मिल रहा है। इस बार 17 जुलाई दिन सोमवार को सोमवती अमावस्या का योग बन रहा है। इस दिन नैमिषारण्य तीर्थ सहित सभी पौराणिक तीर्थों और नदियों में स्नान, दान शांति पाठ करने से चंद्र ग्रह बलवान होता है एवं संकल्प लिए हुए कार्य सिद्ध होते हैं। आचार्य सदानंद द्विवेदी व आचार्य रमेश शास्त्री बताते हैं कि 16 जुलाई रात को 10:08 से सोमवती अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी यह संयोग दूसरे दिन सोमवार को देर शाम तक रहेगा।

इस बार सोमवती अमावस्या के दिन पुनर्वसु नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण होगा। ज्ञात हो कि पुनर्वसु नक्षत्र अमावस्या से अगले दिन सुबह 05:11 तक रहेगा वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग अमावस्या के अगले दिन सुबह 05:11 से सुबह 05:35 तक रहेगा। इसके साथ हर्षण योग का भी निर्माण हो रहा है जो सुबह 08:58 से शुरू होगा। मान्यता है सोमवती अमावस्या वृत रखने वाली महिलाओं को सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त होता है , साथ ही महिलाओं के पति और संतान की आयु लंबी होती है।

दूध में पानी व काले तिल के साठ पीपल की पूजा का है विशेष महत्व

मान्यता है कि पीपल के पेड़ में सभी पितृ और सभी देवों का वास होता है इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन दूध में पानी और काले तिल मिलाकर सुबह पीपल पर चढ़ाने की मान्यता है, जिससे पितृदोष से मुक्ति की बात कही जाती है, इसके बाद पीपल की पूजा और परिक्रमा करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। ग्रंथों में भी मान्यता है कि पीपल की परिक्रमा करने से महिलाओं का सौभाग्य भी बढ़ता है इसलिए शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा गया है, इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने का भी महत्व है।

महाभारत में आता है सोमवती अमावस्या का वर्णन

सोमवती अमावस्या का वर्णन महाभारत में प्राप्त होता है इसमें पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व बताते हुए कहा था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त हो जाता है। वही एक मान्यता ये भी है कि नैमिषारण्य तीर्थ में जब पांच पांडव आए थे तो उन्होंने कई वर्षों तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा की और उस दौरान सोमवती अमावस्या का योग ही नहीं पड़ा जिसके बाद पांडवों ने सोमवती अमावस्या को श्राप दिया कि भविष्य में वर्ष में कई बार आप का योग बनेगा और जिस पुण्य के लिए हमें वर्षो इंतजार करना पड़ा है वह कलयुग में सभी को नैमिषारण्य में सोमवती अमावस्या तिथि पर स्नान दान पूजन करने से प्राप्त होता रहेगा।

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