
बहराइच l फाइलेरिया से बचाव के लिए आगामी 10 अगस्त से एमडीए यानि सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाएगा। इसमें स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराएंगे। दवा सेवन से कोई वंचित न रह जाय इसमें फाइलेरिया मरीज भी सहयोग करेंगे। इसकी पहल करते हुए स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान और सीफार (सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च) संस्था के सहयोग से शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जरवल में फाइलेरिया मरीजों को प्रशिक्षित किया गया । इस मौके पर 55 मरीजों को प्रभावित अंगो की देखभाल के लिए एमएमडीपी किट भी वितरित की गयी जिसमें बाल्टी मग एंटीसेप्टिक क्रीम तौलिया और साबुन था ।
फाइलेरिया मरीज हुए प्रशिक्षित ,करेंगे फाइलेरिया उन्मूलन में सहयोग
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सीएचसी अधीक्षक डॉ कुंवर रितेश ने कहा कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है जो मच्छर के काटने से होती है। इसे हाथीपांव या फीलपांव भी कहते हैं। गंभीर होने पर यह बीमारी व्यक्ति को अपाहिज बना देती है। याद रहे इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है, इसका बचाव आसान है ।
बस साल में सिर्फ एक बार सरकार द्वारा दी जाने वाली फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कर अपने आपको व अपने परिवार को इस बीमारी से बचाया जा सकता है। इसके लिए एमडीए अभियान के तहत 10 अगस्त से 28 अगस्त तक घर-घर फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जाएंगी । यह दवा सभी सरकारी अस्पतालों में भी निःशुल्क उपलब्ध है।
फाइलेरिया मरीज बताएंगे फाइलेरिया रोधी दवाओं का महत्व
स्टेट से आए सीफार प्रतिनिधि डॉ सतीश कुमार पांडेय ने कहा कि सभी लोग इन दवाओं का सेवन कर लें इसके लिए फाइलेरिया मरीजों को प्रशिक्षित कर अभियान में शामिल करने की पहल की गयी है। आगामी 10 अगस्त से शुरू हो रहे एमडीए अभियान में सभी प्रशिक्षित फाइलेरिया मरीज लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रेरित करेंगे ।
हमने जो गलती की आप न करें
मौके पर आए फाइलेरिया मरीजों ने कहा कि किसी कारणवश हमने फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन नहीं किया था। जिसकी वजह से आज हम इस बीमारी को झेल रहे हैं। हम नहीं चाहते कि यह बीमारी हमारे परिवार में किसी और को हो। इसके लिए हम अपने परिवार के सभी सदस्यों को तो दवा सेवन कराएंगे साथ ही गांव के सभी व्यक्तियों को इस दवा का महत्व भी बताएंगे, ताकि जो गलती हमने की अब कोई और न करे ।
साँप बिच्छू तक कटवाया ठीक नहीं हुई फाइलेरिया
कार्यक्रम में आए परसा निवासी 61 वर्षीय विजय कुमार ने बताया कि उनके बायें पैर में फाइलेरिया है , इसकी वजह से इसमें काफी सूजन रहती है । इसके लिए उन्होने झाड फूँक से लेकर कई निजी चिकित्सकों के यहां इलाज किया। कोई फायदा न होने पर एक बार किसी के कहने पर पैर में साँप बिच्छू तक कटवाया। लेकिन यह बीमारी ठीक नहीं हुई । हालत यह है कि अब यह दूसरे पैर में भी हो गयी है जिसकी वजह से दैनिक दिनचर्या के साथ चलने में भी परेशानी है । फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी दीपमाला ने कहा कि आमतौर पर मच्छरों के काटने से फाइलेरिया का संक्रमण व्यक्ति को बचपन में ही हो जाता है। लेकिन इसके लक्षण 05 से 15 साल बाद प्रकट होते हैं।
55 मरीजों को प्रभावित अंगो की देखभाल के लिए वितरित की गयी एमएमडीपी किट
फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन साल में एक बार और लगातार 5 साल तक सभी के सेवन करने से फाइलेरिया बीमारी का उन्मूलन किया जा सकता है। यह दवा दो साल से अधिक उम्र के सभी लोगों (गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर) को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी । इस बार एक से दो साल तक के बच्चों को भी पेट के कीड़े मारने की दवा खिलाई जाएगी।