कानपुर। केस्को की ऑनलाइन व्यवस्था में सेंधमारी करके डेड़ करोड़ का चूना लगाने वाले शातिरों को आखिरकार कानपुर पुलिस कमिश्नरेट ने धर दबोचा। गेटवे के यूआरएल में सेंधमारी करके बिजली कम्पनी में ग्राहकों का जमा होने वाला पैसा शातिरों ने 22 फर्जी खातों में ट्रान्सफर करके नेपाल घूमने जा रहे थे कि पुलिस ने उन्हें अचानक धर-दबोच लिया। पूरा गैंग बागपत से संचालित हो रहा था। अपने आप में नये तरह के इस साइबर फ्राड के बाद सुरक्षा एंजेसियों को भी चौकन्ना होने की जरूरत है क्योंकि सभी बड़ी सरकारी संस्थाओं में ऑनलाइन पेमेंट बड़ा आधार होता है ग्राहक और सरकार के बीच गुडवर्क में शामिल टीम को एक एक लाख का इनाम दिये जाने की घोषणा की गयी है।
पुलिस आयुक्त ने पीसी करके दी जानकारी
कानपुर विद्युत निगम केस्को में ग्राहक बिजली बिल समेत अन्य कार्यो का पैसा ऑनलाइन, चेक, ड्राफ्ट के जरिये आईसीआईसी बैंक में जमा किया जाता है। ऑनलाइन सारा पैसा आईसीआईसी के गेटवे के जरिये केस्को तक पहुंचता है। इस पूरी प्रक्रिया में ही साइबर ठगों ने सेंध लगाते हुए केस्को इलेक्ट्रानिक के नाम से बागपत में एक करंट खाता खुलवाया गया। इसी खाते में केस्को का डेड़ करोड़ रूपये गेटवे के यूरअल में छेड़छाड़ करके ट्रान्सफर कर दिया था। पुलिस आयुक्त बीपी जोगदड़ ने बताया कि इस नये तरह के साइबर फ्राड में दिल्ली निवासी आईटी एक्सपर्ट सुहेल खान, बागपत निवासी विवेक शर्मा, अनिल कुमार योगेन्द्र कुमार, शक्ति और महिला सुमन को दबोचा गया।
पुलिस अफसरों के अनुसार केस्को का खाता आईसीआईसी बैंक में है जहां सालों से करोड़ों रूपया ग्राहक जमा करते आये है। पर हजारों ग्राहकों को नहीं पता था इस बार उनका जमा किया हुआ पैसा केसको नहीं बल्कि फेक खाते में जा रहा है। पुलिस अधिकारी की माने तो इस पूरे नेटवर्क के तार नेपाल, एक अन्य प्रदेश तक जुड़ रहे है। नेटवर्क में शामिल सोहेल और ठेकेदार योगेन्द्र की अहम भूमिका है। बिजली विभाग में ठेकेदार योगेन्द्र ने अपने मजदूरों के नाम पर बैंक में 22 खाते खोले थे जिसका एटीएम भी बनवाया। इन्ही 22 खातों में केस्को का पैसा ट्रान्सफर करके मौज उड़ायी जा रही थी।