
“ दलगत सियासत से ऊपर उठकर सभी 47 राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को पत्र लिखकर की भावुक अपील”
“संसद और विधानसभाओं में महिलाओं का बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व अधिक न्यायसंगत और संतुलित राजनीतिक परिदृश्य बनाने का एक साधन है: एमएलसी कल्वकुंतला कविता”
भास्कर समाचार सेवा
नई दिल्ली/हैदराबाद। आगामी 18 सितम्बर से शुरू हो रहे संसद के विशेष सत्र से पहले भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की लोकप्रिय नेता व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) कविता एक बार फिर महिलाओं आरक्षण के लिए सामने आईं हैं।
उन्होंने देश के सभी राजनीतिक दलों से जोरदार भावुक अपील करते हुए आह्वान किया है कि देश की आधी आबादी को सशक्त बनाने के लिए उनका संसद और विधानसभाओं में जनप्रतिनिधित्व बढ़ना बेहद जरूरी है। निजामाबाद की पूर्व सांसद के कविता ने भारतीय संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी 47 राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को पत्र भेजकर यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसमें उनसे आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होने और लंबे समय से प्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक को संसद के इसी विशेष सत्र में पारित करने का आग्रह किया है। उल्लेखनीय है कि यह महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करता है। लैंगिक समानता और समावेशी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होने के बावजूद, यह विधेयक बहुत लंबे समय से विधायी अधर में लटका हुआ है। सभी राजनीतिक दल इस बिल के समर्थन की बात तो करते हैं लेकिन इसके लिए पहल कोई नहीं करता। इस विधेयक को संसद में पेश करने की कई बार कोशिश की गई है लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाया। अब के कविता ने इसकी फिर से अगुवाई की है। इससे पहले केकविता, महिला आरक्षण विधेयक की मांग उठाने वाली प्रमुख आवाज रही हैं।अतीत में, वह महिला आरक्षण विधेयक को पेश करने और पारित करने की मांग को लेकर मार्च में भूख हड़ताल पर बैठी थीं और विधेयक की मांग को बढ़ाने के लिए पूरे भारत में राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों के साथ बातचीत कर रही थीं।
“इन नेताओं को लिखी है के कविता ने चिट्ठी”

जिन 47 राजनीतिक दलों के प्रमुखों को उन्होंने चिट्ठी लिखी है उनमें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे,आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, राकांपा के शरद पवार, जेडीयू के नितीश कुमार, बीजू जनता दल के नवीन पटनायक, वाई एसआर के जगन मोहन रेड्डी, टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ,आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, सीपीआई के सीताराम येचुरी सहित कुल 47 दलों के अध्यक्ष शामिल हैं।
महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता के लिए जानी जाने वाली लोकप्रिय महिला नेता एमएलसी कविता ने इस पत्र में, एमएलसी कविता ने भारतीय विमर्श में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और विधायी निकायों में उनके प्रतिनिधित्व की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है। वह सार्वजनिक जीवन में पहले से ही सक्रिय 14 लाख महिलाओं द्वारा प्रदान की गई अवधारणा के प्रमाण पर प्रकाश डालती है, जो प्रभावी ढंग से नेतृत्व करने और शासन करने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन करती है। श्रीमती कविता ने लोकतंत्र में समावेशिता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि कि महिलाओं का बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व विशिष्टता का मामला नहीं है, बल्कि अधिक न्यायसंगत और संतुलित राजनीतिक परिदृश्य बनाने का एक साधन है। वह सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करती हैं कि वे इस मामले की तात्कालिकता को पहचानें और महिला आरक्षण विधेयक के पीछे अपना पूरा जोर लगाएं।
“ये है के कविता की महिला आरक्षण के लिए भावुक अपील”

यह भावुक अपील कार्रवाई का आह्वान है, न केवल राजनेताओं के लिए बल्कि हर उस नागरिक के लिए जो अधिक समावेशी और प्रतिनिधि लोकतंत्र में विश्वास करता है। एमएलसी कविता का संदेश समानता और सामाजिक न्याय के मूल्यों से मेल खाता है, जो भारत के लोकतांत्रिक आदर्शों के मूल में हैं। उन्होंने कहा है कि जैसा कि देश इस अपील पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है, यह स्पष्ट है कि एमएलसी कविता के प्रयासों ने भारतीय राजनीति में लैंगिक समानता के लिए आशा की एक नई लहर जगाई है। राजनीतिक दलों की सामूहिक प्रतिक्रिया यह निर्धारित करेगी कि क्या भारत अपनी महिलाओं को सशक्त बनाने और विधायी चर्चा में उनका उचित स्थान सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाता है या नहीं।