ताइवान ने बनाई पहली स्वदेशी पनडुब्बी, अब चीन को सिखाएगा सबक

ताइपे। ताइवान ने पहली स्वदेशी पनडुब्बी बना ली है। ये 12,481 करोड़ रुपए में बनकर तैयार हुई है। ताइवान के सेना अधिकारियों के मुताबिक, हाइकुन नाम की ये पनडुब्बी डीजल और बिजली से चलती है। टेस्टिंग के बाद 2024 के आखिर तक इसे नेवी को सौंप दिया जाएगा।

दरअसल, अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि चीन आने वाले कुछ सालों में ताइवान के खिलाफ जंग छेड़ सकता है। इसके बाद चीन की तरफ से होने वाले हमलों से बचने के लिए ताइवान अपनी मिलिट्री ताकत बढ़ा रहा है। चीन हमेशा से ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। यही वजह है कि चीन, ताइवान पर कब्जा करना चाहता है और कभी भी उस पर हमला कर सकता है।

प्रेसिडेंट बोलीं- ये एतिहासिक दिन

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने पहली स्वदेशी सबमरीन का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने कहा- ये एतिहासिक दिन है। स्वदेशी सबमरीन का आइडिया पहले नामुमकिन लगता था, लेकिन हमने कर दिखाया है। ऐसी ही एक और सबमरीन बन रही है। हमारा उद्देश्य 10 सबमरीन फ्लीट बनाने का है। इसमें दो ऐसी बोट भी शामिल हैं जिन पर मिसाइल लगाई जा सकती है।

2030 से 2035 के बीच हो सकता है ताइवान पर हमला

यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के एसओएस चाइना इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रो. स्टीव त्सांग का कहना है- शी जिनपिंग को जिस दिन लगेगा कि वह अमेरिका को हरा सकते हैं, तब ही हमला होगा। युद्ध 2030 से 2035 के बीच कभी हो सकता है। हालांकि, ये चीन के लिए भी खूनी संघर्ष साबित होगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके परिणाम सेकेंड वर्ल्ड वॉर से भी ज्यादा खतरनाक होंगे।

किन तरीकों से हमला कर सकता है चीन?

समुद्र के रास्ते
चीन अपनी नेवी का फायदा उठाते हुए समुद्र के रास्ते ताइवान पर हमला कर सकता है। चीन की नेवी के पास 360 कॉम्बेट शिप हैं। अमेरिका के पास 300 से कम हैं। चीन के पास एडवांस मर्चेंट फ्लीट और कोस्ट गार्ड भी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीनी सेना के पास कुछ ऐसे बोट्स भी हैं जो अनऑफिशियली सेना की मदद करती हैं। इनसे सैकड़ों सैनिक को जहाजों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा हजारों टैंक्स, गन, मिसाइलें, बख्तरबंद वाहन, रॉकेट लॉन्चर्स को भी ले जाया जा सकता है।

एयर पावर

चीन की एयर फोर्स के पास एडवांस जेट्स हैं। ऐसे में यूक्रेन पर रूसी हमले से सीख लेते हुए चीन, ताइवान पर कब्जा करने के लिए सीधे हवाई हमले करने का ऑप्शन चुनेगा। रूस-यूक्रेन जंग को करीब पांच महीने हो गए हैं, लेकिन रूसी सैनिक यूक्रेन के आधे हिस्से पर भी कब्जा नहीं कर पाए हैं।

वर्ल्ड एयर फोर्स की फ्लाइट ग्लोबल 2022 डायरेक्ट्री के मुताबिक, ताइवान के तुलना में चीन के पास दुनिया से इतर केवल अपने ही क्षेत्र में 1,600 लड़ाकू विमान हैं। जबकि ताइवान के पास सिर्फ 300 लड़ाकू विमान हैं। वहीं, अमेरिका के पास दुनियाभर में मौजूद उसकी सेना के कुल 2,700 विमान हैं।

ग्राउंड वॉर

ताइवान के पास लगभग 1,50,000 सैनिक हैं। इन्हें चीनी सैनिकों से मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया है। सबसे पहले तो चीनी सैनिकों को ताइपे के आस-पास सुरक्षित जगह तलाशनी होगी। जिससे वो खुद को डिफेंड करते हुए हमले कर सकें। हालांकि ये कठिन होगा, क्योंकि ताइवान के सैनिक अपनी सरजमीन को अच्छी तरह से जानते हैं। उन्हें हर तरह के बंकर्स और सुरंगों के बारे में जानकारी होगी।

जीत के लिए लंबा रास्ता अपनाएगा चीन

सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी का कहना है कि अगर ताइवान को बचाने के लिए चीन और अमेरिका के बीच जंग छिड़ती है, तो ये कुछ वक्त बाद गतिरोध में बदल जाएगी। ताइवान न्यूज के मुताबिक, चीन ताइवान के नेतृत्व को तेजी से गिराने की कोशिश करेगा। ऐसा करने पर, यह जापान और गुआम में अमेरिकी ठिकानों पर पहले हमला कर देगा। जिसके बाद अमेरिका चीनी बंदरगाहों पर हमला करेगा और अपने सहयोगियों को एकजुट करके जवाब देगा।

ऐसा करके चीन को नए सिरे से ताइवान पर हमला करने का वक्त मिल जाएगा। यानी आधी सेना अमेरिका से लड़ेगी और बाकी सेना ताइवान पर हमले करने के नए मौके तलाशेगी। NBC न्यूज ने वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी (CNAS) के एक्सपर्ट्स का हवाला देते हुए कहा- शुरुआती जंग में बीजिंग और वॉशिंगटन के फायदे में होनी की संभावनाएं कम हैं। ऐसे में ये जंग लंबी खिंचेगी। शायद उसी तरह, जिस तरह हम यूक्रेन-रूस के मामले में देख रहे हैं।

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