देश की सर्वोच्च अदालत ने राफेल विमान सौदे पर दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच के इस फैसले के बाद केन्द्र सरकार को बड़ी राहत मिली है। राफेल विमान डील मामले में शीर्ष अदालत के 2018 के आदेश पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण समेत अन्य लोगों की ओर से पुनर्विचार के लिए याचिका दाखिल की गई थी।इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने फैसला सुनाया है।
अदालत में दायर याचिका में डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। साथ ही लीक दस्तावेजों के हवाले से आरोप लगाया गया था कि डील में पीएमओ ने रक्षा मंत्रालय को बिना भरोसे में लिए अपनी ओर से बातचीत की है। विमान डील की कीमत को लेकर भी कोर्ट में याचिका डाली गई थी। हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि बिना सबूतों के वह रक्षा सौदे में कोई दखल नहीं देगा।
वहीं राफेल सौदे में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल से जुड़ा है। अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा था कि हमने एक आईजीए पर हस्ताक्षर किया है। हम उसका पालन करने को मजबूर हैं, राफेल सजावट के लिए नहीं है। यह हम सभी की सुरक्षा के लिए जरूरी है। दुनिया में कहीं भी ऐसे मामले अदालत में नहीं जाते।
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से कहा था कि आईजीए के अनुच्छेद 10 के अनुसार, सौदे में मूल्य का खुलासा नहीं किया जा सकता। उन्होंने पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने पर जोर देते हुए कहा, यह मामला, भारत व फ्रांस के बीच अंतर सरकारी समझौते के गोपनीयता व रक्षा सौदों से जुड़ा है। राफेल सौदे का विरोध करते हुए याचिकाकर्ताओं ने एक रिज्वाइंडर दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार होना चाहिए, क्योंकि यह बहुत से झूठ व सामग्री व प्रासंगिक सूचनाओं के छिपाए जाने पर आधारित है।