अनुभव सक्सेना
पीलीभीत । गाँधी स्टेडियम परिसर में क्रीड़ाधिकारी एवं आगरा के ताइक्वांडो प्रशिक्षक श्री राजकुमार के निर्देशन में चल रहे बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यरत अनुदेशको और व्यायाम शिक्षको को एक अनूठे प्रयोग के तहत पंद्रह दिवसीय ताइक्वांडो प्रशिक्षण दिया जा रहा है । इस प्रयोग को अंजाम दे रहा है सर्व शिक्षा अभियान व राज्य परियाजना आयोग जिसके असल उद्देश्य है जूनियर कक्षाओं में शिक्षा प्राप्त कर रही बालिकाओ को आत्म रक्षा की कला का प्रशिक्षण देना ।
परन्तु क्या 32 वर्ष से 45 वर्ष की आयु या अधिक की उम्र पार कर चुके खेल अनुदेशको और व्यायाम प्रशिक्षकों को 15 दिन में ही आत्म रक्षा का पूर्ण प्रशिक्षण दिया जा सकता है या यह प्रयोग किसी समय की बर्वादी का सबब बनने बाला है ।हकीकत बयां होने पर पीलीभीत के क्रीड़ाधिकारी महोदय ने कहा कि यह संभव नहीं है कि 15 दिनों में कुशल प्रशिक्षित आत्म रक्षा प्रशिक्षकों कि फ़ौज तैयार हो सके ।

वास्तव मे गत वर्षों में कुछ ग्रीन बेल्ट प्रशिक्षण प्राप्त महिला प्रशिक्षकों की मदद से कराई जा रही ट्रेनिंग की सार्थकता को चुनौती देने की जो कोशिश राज्य परियोजना आयोग द्वारा की जा रही है वह धरातल पर क्षीण होती नज़र आ रही है । ये अपनी आयु की युवावस्था को पार कर चुके प्रशिक्षकों के लिए भी चुनौती से कम नहीं है साथ ही साथ फाइटिंग की प्रैक्टिस भी उनके शरीर के साथ एक नया प्रयोग है जो उन्हें बार बार यह चुनौती पूर्ण कार्य को करने के लिए बाध्य कर रहा है। जो कि पूर्व वर्षो कि भाति दिए जाने वाले प्रशिक्षित प्रशिक्षकों द्वारा दिए जाने वाले प्रशिक्षण को चुनौती दे सके ।
दरअसल राज्य परियोजना आयोग कि माने तो साप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे अर्थात प्राइवेट तौर पर बैकल्पिक रूप से विगत वर्षों में जिन प्रशिक्षकों से कार्य लिए गया उन्हें विगत वर्ष पूर्ण भुगतान भी न किया जा सका तथा राज्य परियोजना आयोग ने इस वर्ष इस पूरे कार्यक्रम का धरातल ही अस्तित्व विहीन कर दिया जिसके चलते न तो ये प्रशिक्षक स्वयं ही पूर्ण प्रशिक्षित हो सकेंगे और न ही उनके द्वारा इन बालिकाओ के समग्र विकास की दिशा में कोई सार्थक पहल ही हो सकेगी
पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव से जब इस सम्बन्ध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम प्रोग्राम में आने वाली दिक्कतों पर पूर्ण निगाह रखेंगे और प्रयास करेंगे कि वालिका रक्षा के लिए चलाये जा रहे इस प्रोग्राम को असफल नहीं होने दिया जाये और जरूरत पड़ने पर आवश्यक कदम उठाए जायेगे ।
अब प्रश्न यह है कि क्या ये सभी प्रशिक्षक एवं प्रशिक्षिकाये 15 दिन में बालिकाओ को किस कोटि का आत्म रक्षा प्रशिक्षण देने में समर्थ हो सकेंगे । क्या प्रशिक्षण प्राप्त वालिकाये अपनी रक्षा स्वयं करने में समर्थ हो सकेंगी या यह प्रयोग एक प्रश्न चिन्ह बन कर रह जायेगा क्योकि पूर्व वर्षों में कराये गए प्रशिक्षण को ग्रीन बेल्ट प्राप्त प्रशिक्षकों द्वारा अंजाम दिया गया जो अपने फाइट फन के कौशल से बालिकाओ को बन्दूक तक से बचने का प्रशिक्षण दे चुके है