फाइल फोटो
अमेरिका की परमाणु पनडुब्बी मध्य पूर्व पहुंच चुकी है। आखिर दुनिया को क्या बताना चाहता है सबसे शक्तिशाली माना जाने वाला देश अमेरिका? क्या हमास आतंकियों को बताना चाहता है कि इजरायल के खिलाफ अगर उसने युद्ध जारी रखा तो आगे कुछ भी हो सकता है। साथ ही ये भी संकेत दे रहा है कि इजरायल के खिलाफ अरब देश युद्ध में कूदे तो अमेरिका भी तैयार है।
यूएस सेंट्रल कमांड का पोस्ट
यूएस सेंट्रल कमांड ने एक्स पोस्ट कर सबमरिन को स्वेज नहर को चीर आगे बढ़ते दिखाया है। स्वेज नहर से ये तस्वीर साझा कर लिखा है- 5 नवंबर 2023 को ओहियो क्लास पनडुब्बी अमेरिकी प्रभाव क्षेत्र में पहुंच गई है।
On November 5, 2023, an Ohio-class submarine arrived in the U.S. Central Command area of responsibility. pic.twitter.com/iDgUFp4enp
— U.S. Central Command (@CENTCOM) November 5, 2023
टाइम्स ऑफ इजरायल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस कमांड क्षेत्र में भूमध्य सागर, लाल सागर, फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी शामिल है।
ओहियो की खूबियां अपार
ओहियो क्लास की इस परमाणु पनडुब्बी की पहचान का फिलहाल खुलासा नहीं किया गया है। ये भी कि ये टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों को ले जाने वाली चार पनडुब्बियों में से एक है या फिर ट्राइडेंट- II बैलिस्टिक मिसाइलों को पहुंचाने वाली 14 पनडुब्बियों में से एक! ट्राइडेंट- II अमेरिका की परमाणु मिसाइल है, जिसमें एक साथ कई वॉरहेड ले जाने की क्षमता है।
चौंकाने वाली है खबर
अमेरिकी नौसेना ने अप्रत्याशित रूप से सोशल प्लेटफॉर्म पर जानकारी दे सबको हैरान कर दिया है। आमतौर पर पनडुब्बियों की गतिविधियों को काफी गुप्त रखा जाता है। पारम्परिक तौर पर माना जाता है कि पनडुब्बियां दुश्मन की निगाहों में नहीं आनी चाहिए। ऐसे में अमेरिका के इस असामान्य ऐलान ने रक्षा विशेषज्ञों को भी हैरान कर दिया है। परमाणु पनडुब्बी के तैनाती के पीछे की कहानी क्या है?
संकेतों को समझें तो!
अमेरिका ने खुलासा नहीं किया है महज रणनीतिक चाल भर चली है और दुनिया में हड़कंप मचा दिया है। तैनाती के जरिए किसी देश को आंखें दिखाई जा रही हैं या अपनी ताकत दिखा दूसरे देशों को अपने दम खम का एहसास कराने की कोशिश की जा रही है या फिर खुद को दुश्मनों के हमले से बचाने के लिए सारा परिश्रम किया जा रहा है।
इससे पहले भी दिखाया था दम
द टाइम्स ऑफ इजरायल की खबर के मुताबिक अमेरिकी नौसेना ने कुछ स्पष्ट नहीं किया है। लेकिन इस क्षेत्र में सबमरिन की तैनाती को उस यूएस रणनीति से अलग कर नहीं देखा जा सकता जिसमें उसने इजरायल के पक्ष में एक बड़ा कदम उठाया था। ईरान और उसके मददगारों को रोकने के लिए दो carrier strike ग्रुप्स को भेजा था।
टाइमिंग भी कुछ कहती है
इस बीच सीआईए प्रमुख विलियम बर्न्स भी इजरायल पहुंच चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बर्न्स हमास के खिलाफ लड़ाई जारी रखने और बंधकों के मुद्दे पर बातचीत करेंगे। बर्न्स को मध्य पूर्व का अच्छा खासा अनुभव है। वो काफी समय तक इस इलाके में काम कर चुके हैं। अमेरिका ने पहले ही इजरायल को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। हर पल यूएस साथ खड़ा दिख रहा है। ऐसे में अमेरिकी खुफिया एजेंसी के प्रमुख की इजरायल यात्रा और सबमरिन की तैनाती हमास के खिलाफ युद्ध को और ज्यादा तेज होने के संकेत देती है। टाइमिंग अहम है।