यूं बढ़ेगी फाइबर जैकेट की मांग, खंडवा का धागा, बुरहानपुर का कपड़ा और भोपाल में फाइबर बनाने का काम

नई दिल्ली (ईएमएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूज्ड प्लास्टिक बोतल और अन्य सामान से फाइबर तैयार किया जा रहा है। ऐसे ही फाइबर से धागा बनाने का काम खंडवा में हो रहा है। इसके बाद बुरहानपुर में कपड़ा बनाना भी शुरू हो गया है। देशभर के अनेक शहरों से फाइबर धागे डिमांड भी आने लग गई है। कुछ समय में फाइबर कपड़े की डिमांग भी देखने को मिल सकती है। इसके लिए फाइबर जैकेट बनाकर विक्रय के लिए बाजार में लाने की देरी है। यदि इसे सुनियोजित ढंग से प्रचारित और प्रसारित किया गया तो देशभर के प्रमुख शहरों से इसकी मांग आने लग जाएगी। ठंड के सीजन में कम दाम वाले गरम कपड़ों की मांग बढ़ जाती है, ऐसे में फाइबर जैकेट इसका बेहतर हल हो सकता है।

पहले कभी व्यक्ति यह सोच भी नहीं सकता था कि जिस प्लास्टिक को यूज करके वह कचरे के तौर पर फेंक देता था, उससे फाइबर, धागा और कपड़ा भी बन सकता है। आज उसी कचरे वाले प्लास्टिक से फाइबर, धागा और कपड़ा बनाने का काम तेजी से हो रहा है। आज उससे तरह-तरह के कपड़े बनाए जा सकते हैं और खास बात यह कि एक शानदार जैकेट जो आपके जिस्म को ठंड में गर्म रखने के लिए कारगर साबित हो सकती है भी बनाई जा सकती है। दरअसल यहां हम बात कर रहे हैं भोपाल के उस बेहतर कार्य की जिसके तहत यूज्ड प्लास्टिक की बोतल व अन्य प्लास्टिक सामान से फाइबर बनाने का काम किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि बोतल बंद पानी को पीने के बाद जिस प्लास्टिक की बोतल को फेंक दिया जाता था, उसका बेहतर उपयोग कर फाइबर बनाने का बड़ा काम भोपाल में किया जा रहा है। भोपाल में बने फाइबर से खंडवा की अग्रवाल ओवरसीज कंपनी धागा बनाने का काम करती है। प्रतिमाह 150 टन धागा बनाने की बात कही जा रही है। इस प्रकार प्रतिदिन पांच टन धागे का उत्पादन किया जा रहा है। खंडवा में तैयार धागे को बुरहानपुर भेजकर पावरलूम्स फैक्ट्रियों में कपड़ा बनाने का कार्य भी किया जा रहा है।

जानकारी अनुसार इस धागे की डिमांड देश के प्रमुख शहरों जिसमें दिल्ली-सूरत शामिल है में बहुतायत में है। बताया जाता है कि इस कपड़े से जैकेट बनाने का काम भी दिल्ली और सूरत में हो रहा है। इस उद्योग में लगे लोगों ने इसे सुखद बताया है कि उनके उत्पाद की मांग बढ़ रही है। मांग बढ़ने पर अन्य कंपनियां भी इस ओर कदम बढ़ा सकती हैं। इससे जुड़े अन्य उद्योग भी मध्य प्रदेश का रुख कर सकते हैं। इसलिए इसे प्रचारित और प्रसारित करने पर जोर दिया जा रहा है। इसे पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहतर बताया गया है। इसलिए भविष्य में फाइबर, धागा और कपड़ा के साथ ही साथ इसके डिजाइनर जैकेट की मांग बढ़ने की संभावना बनी हुई है।

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