क्या था अनुच्छेद 370, क्यों उठे थे फैसले पर सवाल

अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था, जिसे 1949 में लाया गया था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता और विशेष अधिकार प्रदान किए गए थे। राज्य का अपना झंडा, संविधान और नागरिकता होती थी।

इसके साथ ही बाहरी लोग यहां जमीन नहीं खरीद सकते थे। अनुच्छेद 370 से ही अनुच्छेद 35A भी उपजा था, जिसमें राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करके उन्हें विशेषाधिकार प्रदान दिए गए थे। ये भी अनुच्छेद 370 के साथ रद्द हो गया था।

याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि केवल संविधान सभा के पास ही अनुच्छेद 370 में बदलाव करने की शक्ति थी और इसके भंग होने के साथ ही ये एक स्थायी प्रावधान बन गया था।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी बदलाव के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की अनुमति की आवश्यकता होती है, लेकिन जब अनुच्छेद 370 रद्द किया गया, तब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था। ऐसे में राष्ट्रपति ने केंद्र से ही मंजूरी लेकर इसे रद्द कर दिया।

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