आरिफ़ का सफर: कैसे बेंगलुरु का एक युवा ग्लांस स्मार्ट लॉक का इस्तेमाल अपनी आईएएस परीक्षा की तैयारी और न्याय के प्रति जुनून को सशक्त बनाने के लिए कर रहा है

आरिफ़ का सफर: कैसे बेंगलुरु का एक युवा ग्लांस स्मार्ट लॉक का इस्तेमाल अपनी आईएएस परीक्षा की तैयारी और न्याय के प्रति जुनून को सशक्त बनाने के लिए कर रहा है

हलचल भरे शहर बेंगलुरु में रहने वाला, कानून की पढ़ाई के दूसरे वर्ष का छात्र आरिफ समाज की कठोर परिस्थितियों से अछूता नहीं है। एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने के चलते उसने काफ़ी नज़दीकी से कई सामाजिक चुनौतियाँ देखी हैं। वह उस भयावह रात को याद करते हुए सिहर जाता है, जब उसके घर से कुछ दूर एक युवती एक ख़ौफ़नाक अपराध का शिकार हो गई थी। उस मनहूस शाम को आरिफ़ ने अपनी रोज़ाना रात की सैर ना करने का फ़ैसला लिया था और अब इसके चलते उन्हें पछतावे से जूझना पड़ रहा है, जिसके चलते उनमें न्याय पाने के लिए एक ज्वलंत जुनून और समाज पर प्रभाव डालने के लिए कुछ सार्थक करने की गहरी इच्छा को बल मिल गया है। वह इस गहरे कष्ट देने वाली घटना को याद करते हुए कहते हैं, “मैं आमतौर पर अपनी कॉलोनी में रात को लंबी सैर करने के लिए निकल जाता हूं। और मैं हमेशा उस लेन को पार करता हूँ, जहां ये घटना घटी। हालाँकि, उस रात मैं अपनी रोज़ाना की सैर पर नहीं गया था। और आज तक मुझे इसका काफ़ी पछतावा है। अगर उस दिन मैं वहां होता, तो शायद मैं उसे बचा सकता था।”

आरिफ़ के अंदर एक आग धधक रही है, न्याय के लिए एक कभी ना बुझने वाली मशाल सा जुनून है और समाज और बड़े पैमाने पर देश में कुछ बदलाव लाने की गहरी इच्छा है। इस घटना के बाद, आरिफ ने भारत में महिला सुरक्षा की संकटपूर्ण स्थिति को गहराई से देखा और विचारा। महिलाओं की सुरक्षा पर रिपोर्ट किए जाने वाले और कभी न दर्ज कराए गए मामलों की चिंताजनक संख्या से वह परेशान हैं और नतीजतन उन्होंने बदलाव लाने के लिए एक परिवर्तनकारी मार्ग अपनाने का संकल्प लिया। उनका पहला कदम कानून की पढ़ाई करके डिग्री हासिल करना और अंततः एक आईएएस अधिकारी बनने का इरादा है, जो उपेक्षा का उन्मूलन करने की प्रतिबद्धता और सामाजिक बदलाव को सक्षम बनाने से प्रेरित एक फ़ैसला है।

आरिफ का सफर सिर्फ किताबों से घिरे रहने और परीक्षा की तैयारी के बारे में ही नहीं है; यह दृढ़ संकल्प और कार्रवाई के लिए कुछ करने की एक की कहानी है। चूँकि वह अपना ज़्यादातर वक्त आईएएस परीक्षा में सफल होने के लिए समर्पित करते हैं, इसलिए उन्हें इस बात का पूरा एहसास है कि सिर्फ़ कठिन अध्ययन ही करना है पर्याप्त नहीं होगा। उसे समाज में सक्रिय रूप से हिस्सेदारी लेने, समसामयिक विषयों और समाचारों की जानकारी के साथ विशेष रूप से उन्हें झकझोरने वाले मुद्दों के बारे में तरोताज़ा रहने की ज़रूरत है। और यहीं पर तकनीकी की भूमिका आन पड़ती है, जो उनकी सहायता करती है।

हाल ही में ग्लांस स्मार्ट लॉक स्क्रीन को देखने के बाद आरिफ़ को रीयल-टाइम अपडेट्स पाने की ज़रूरत का एक आसान सा समाधान मिल गया। यह अनोखा स्मार्ट लॉक स्क्रीन फीचर यह सुनिश्चित करता है कि जब भी वह अपने फोन की स्क्रीन को अनलॉक करता है तो समाचार और समसामयिक मामले बिना रुके लगातार प्रदर्शित होते रहें। इसके लिए कुछ भी खोजने, अनलॉक करने या डाउनलोड करने की भी कोई जरूरत नहीं पड़ती- बस ग्लांस देखा और आरिफ़ को तुरंत अपने फ़ोन की लॉक स्क्रीन पर नवीनतम समाचार और अपडेट मिल जाते हैं, जिससे उन्हें अपने आसपास की दुनिया के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है। इस नई खोज के बारे में आरिफ कहते हैं, “पहले, मैं अपडेट रहने के लिए गूगल पर निर्भर रहता था। लेकिन अब, ग्लांस स्मार्ट लॉक स्क्रीन खबरों के लिए बेहतरीन स्रोत के रूप में मेरी पसंद बन गई है।”

अपनी हथेली में तकनीक की शक्ति से लैस, आरिफ़ आसानी से देश में होने वाली हलचल के बारे में जानते हुए सभी से आगे रह सकता है। यह जानकारी उसे कानून व्यवस्था की जटिलताओं और सामाजिक कारकों को गहराई से समझने में सक्षम बनाती है। फिर उन्होंने ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरह की चर्चाओं और बहसों में भाग लेने के साथ इन मुद्दों से निपटने के तरीके के बारे में अपनी सोच और विचारों को व्यक्त करना शुरू कर दिया।

आरिफ की कहानी एक निजी सफर से कहीं ज्यादा है; यह दूसरों के लिए प्रेरणा है। वह अन्य लोगों को भी उनके फ़ायदे, ताज़ा जानकारी से अपडेट रहने और जिस चीज में वे भरोसा करते हैं उसके लिए खड़े होने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनकी कहानी तमाम चीजों को संभव बना देने वाली तकनीक के उस बेहतरीन तरीक़े के एक प्रमाण के रूप में मौजूद है, जो एक ऐसा उपकरण हो सकती है, जिसका दृढ़ संकल्प और उद्देश्य के साथ इस्तेमाल करने पर लोगों को उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

और इसलिए, आरिफ हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि कोई भी सपना बहुत बड़ा नहीं होता, कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता, खासकर जब वो ज्ञान, दृढ़ संकल्प और तकनीक के सही इस्तेमाल से प्रेरित हो अंत में वह यह कहते हुए चले जाते हैं, “मैं उस दिन को साकार करने की दिशा में काम कर रहा हूं जब हर महिला आत्मविश्वास से सामने आएगी और समाज में अपने अधिकार के लिए लड़ेगी।”

और यह केवल एक शुरुआत भर है।

*गोपनीयता बनाए रखने के लिए नाम बदल दिया गया है

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