पीजीआई ने वर्ष 2023 में हासिल किये नये आयाम, बतायी उपलब्धियां

नये वर्ष 2024 में भी रचेंगे इतिहास,लिया संकल्प

एसजीपीजीआई के आपातकालीन चिकित्सा और गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र (ईएमआरटीसी) ने वर्ष 2023 के आखिरी महीने में बीते साल की संस्थान कीजिये प्रगति रिपोर्ट जारी की है।पीजीआई ने बीते वर्ष की हासिल की गई उपलब्धियों को गिनाते हुए आने वाले नये वर्ष में नये कीर्तिमान स्थापित करने का संकल्प पत्र भी जारी किया है।

आपातकालीन मेडिसिन, नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग इस केंद्र का हिस्सा हैं। वर्तमान समय में प्रदान की जा रही सेवाओं में आपातकालीन सेवाएं, डायलिसिस और गुर्दे का प्रत्यारोपण शामिल हैं ।ईएमआरटीसी के यूरोलॉजी विभाग में 117 सामान्य बेड और 33 किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट बेड और 6 ऑपरेशन थिएटर हैं। नेफ्रोलॉजी विभाग में 97 सामान्य बेड,111 डायलिसिस स्टेशन और 11 आईसीयू बेड्स हैं।नेफ्रोलॉजी विभाग ‘इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी’ सेवाएं प्रदान करने वाला देश में पहला विभाग है और इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजी में पोस्ट-डॉक्टरल फैलोशिप भी प्रदान कर रहा है। इसकी क्षमता प्रति सप्ताह 10-20 किडनी प्रत्यारोपण करने की है।आपातकालीन चिकित्सा में 90 बिस्तर क्रियाशील हैं और जल्द ही इसे 210 बिस्तरों तक बढ़ाया जाएगा।ईएमआरटीसी के रेडियोलॉजी विंग में जल्द ही आपातकालीन रोगियों के लिए पीपीपी मॉडल पर 3-टेस्ला एमआरआई और 128-स्लाइस सीटी स्कैन सुविधा होगी।समर्पित ब्लड ट्रांसफ्यूजन इकाई और 24 घंटे चलने वाली प्रयोगशाला भी कामकर रही है।

क्रिटिकल केयर मेडिसिन में बिस्तरों की संख्या 20 से बढ़ाकर 40 तक की जा रही है वहीं सर्जिकल एंडोक्रिनोलॉजी विभाग बिस्तरों की संख्या 30 से बढ़ाकर 60 करने जा रहा है और अब गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में भी बिस्तरों की संख्या 60 से बढ़ाकर 90 बिस्तर की जा रही है। संकाय की भर्ती के लिये संस्थान में बैकलॉग सहित सभी संकाय पदों को विज्ञापित किया गया है और चयन की प्रक्रिया जारी है।
गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती लंबे समय के बाद की गई है और इसमें कार्यकारी रजिस्ट्रार, प्रिंसिपल, नर्सिंग कॉलेज के लेक्चरार जैसे कई पद शामिल हैं।1849 रिक्तियों का विज्ञापन दिया गया था और शासन की सहमति के बाद भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
एसजीपीजीआई ने इस वर्ष शुरू किये गये नये पाठ्यक्रमों की लिस्ट भी जारी की है –
कॉलेज ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी एसजीपीजीआई द्वारा “न्यूक्लियर मेडिसिन” में एमएससी
पैथोलॉजी विभाग में “हेपेटिक पैथोलॉजी” में पीडीसीसी
एनेस्थीसिया विभाग में “ऑर्गन ट्रांसप्लांट एनेस्थीसिया एंड क्रिटिकल केयर” में डीएम और “पेन मेडिसिन” में डी एम
सीसीएम विभाग में “पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर मेडिसिन” में पीडीसीसी
नेफ्रोलॉजी विभाग में “रीनल न्यूट्रीशन में एडवांस सर्टीफिकेट कोर्स”।
मेडिकल टेक्नोलॉजी कॉलेज के तहत “डिप्लोमा इन डायलिसिस थेरेपी टेक्नोलॉजी (डीडीटीटी)”।
ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन में “मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी” में स्नातक कोर्स।
एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में “ट्रॉमा एनेस्थीसिया और इन्टेनसिव केयर” में पीडीसीसी

पीजीआई द्वारा जारी 2024 के लिए संकल्प पत्र –

प्रेस वार्ता के दौरान एसजीपीजीआई के निदेशक आरके धीमन ने बताया कि जब से मैं संस्थान परिवार में शामिल हुआ हूं, हमारा मकसद स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को इस हद तक बेहतर बनाना है कि किसी भी मरीज को इलाज के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़े। इस प्रकार हमारे संस्थान के पास इष्टतम जनशक्ति के साथ गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा होना चाहिए।

पीजीआई द्वारा स्थापित नए केंद्र –

एडवांस डायबिटिक सेंटर

एक ही छत के नीचे मधुमेह रोग की सभी जटिलताओं के प्रबंधन सहित व्यापक देखभाल प्रदान करना। यह फरवरी 2024 में क्रियाशील होगा।

एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर –
नवजात से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चे और किशोर उत्तर प्रदेश की आबादी का लगभग 40% हैं। उन्हें अपनी वृद्धि और विकास के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है। इस वित्तीय वर्ष में एसजीपीजीआई में मेडिकल और सर्जिकल बाल चिकित्सा सुपर-स्पेशलिटी के साथ 22 विभागों और 4 इकाइयों से युक्त 573 बिस्तरों वाला ‘उन्नत बाल चिकित्सा केंद्र’ शुरू होने की संभावना है।

जन्मजात हृदय रोग के साथ जन्मे बच्चों के लिए उत्कृष्टता केंद्र

एसजीपीजीआई, सलोनी हार्ट फाउंडेशन, यूएसए के सहयोग से जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) के साथ पैदा हुए बच्चों को सर्वोत्तम हृदय स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए एक विश्व स्तरीय उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) का निर्माण करेगा। इस सेंटर को बनाने में सलोनी हार्ट फाउंडेशन, यूएसए 60 मिलियन डॉलर (500 करोड़ रुपये) खर्च करेगा। यह हर साल 5000 congenital heart disease से ग्रस्त बच्चों का शल्य चिकित्सा उपचार करेगा और 10,000 बच्चों का चिकित्सकीय प्रबंधन करेगा। इस केंद्र का प्रथम चरण पहले ही शुरू हो चुका है।

टेली-आईसीयू परियोजना-

टेली-आईसीयू सेवा हब और स्कोप माडल पर आधारित है, जिसमें एसजीपीजीआई हब और यूपी के 06 पुराने राज्य मेडिकल कॉलेज [गोरखपुर, प्रयागराज, कानपुर, आगरा, झांसी और मेरठ] हब है। पूरा नेटवर्क 100 बेड का होगा. पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने 17 करोड़ रुपये का सीएसआर अनुदान दिया है। बाद में इस परियोजना का विस्तार यूपी के आगामी मेडिकल कॉलेजों में किया जाएगा। यह फरवरी 2024 से कार्यशील होगा।

2024 में एसजीपीजीआई में चार नए विभाग शुरू किए जाएंगे

  1. मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग, 2. संक्रामक रोग विभाग, 3. हेड एन्ड नैक सर्जरी विभाग और 4. पीडियाट्रिक एंडोक्रिनोलॉजी विभाग।

उपर्युक्त अतिरिक्त सुविधाओं से बिस्तरों की संख्या 1609 से बढ़कर 3045 हो जाएगी।

भारत का सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपीआई) [इन्क्यूबेशन सेंटर]

यह सेंटर अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा प्रदान करके मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वास्थ्य सूचना विज्ञान में प्रौद्योगिकी-आधारित स्टार्टअप की स्थापना और विकास को प्रोत्साहित करेगा। 28 स्टार्ट-अप तैयारी में हैं, 7 प्रक्रिया में हैं, और हमारा लक्ष्य 50 तक पहुंचना है।

एसजीपीजीआई में रोबोटिक सर्जरी कार्यक्रम
यह संस्थान उत्तर प्रदेश राज्य में रोबोटिक सर्जरी में अग्रणी है और एक वर्ष में लगभग 400 रोबोटिक सर्जरी के साथ एक बहुत ही सफल कार्यक्रम चला रहा है। 5 विभाग नियमित रूप से रोबोटिक सर्जरी कर रहे हैं, जिनमें यूरोलॉजी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और कार्डियोवास्कुलर और थोरैसिक सर्जरी विभाग शामिल हैं।
संस्थान रोबोटिक सिस्टम के साथ समर्पित 3 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर के साथ अत्याधुनिक ‘रोबोटिक सर्जरी केंद्र’ बनवा रहा है।

गामा नाइफ
गामा नाइफ रेडियोसर्जरी एक प्रकार की रेडियेशन थेरेपी है, जो अत्यधिक सटीकता के साथ ट्यूमर पर रेडियेशन को केंद्रित करती है।केन्द्रित विकिरण का स्वस्थ ऊतकों पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार रेडियेशन की एक मजबूत डोज उस स्थान पर पहुंचाई जाती है जहां केन्द्रित विकिरण होता है। पीजीआई में वर्ष 2024 में गामा नाइफ स्थापित किया जाएगा।