
योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। एक के बाद एक हो रही महिला उत्पीडऩ की घटनाओं को लेकर प्रदेश की योगी सरकार इन दिनों सुर्खियों में है। राजधानी से सटे उन्नाव जनपद में हाल में एक बलात्कार पीडि़ता को जलाकर मार डालने का प्रयास किया गया,बाद में पीडि़ता की मौत भी हो गयी। यह पहला मौका नही है जब अपराधियों द्वारा इस तरह का प्रयास किया गयाा इससे पहले इसी तरह का दुस्साहस इसी जनपद में एक रेपपीडि़ता को एक्सीडेंट के जरिए मारने का प्रयास किया गया जिसमे सत्तारूढ़ दल के ही विधायक कुलदीप सेंगर इस समय तिहाड़ जेल में है। हैदराबाद की घटना को लेकर महिला संगठन गांधी प्रतिमा से लेकर विधानभवन के सामने तक धरनाप्रदर्शन करके विरोध जता ही रहे थे कि उन्नाव की हाल की घटना ने इन महिला संगठनों को और उग्र कर दिया। हाल में महिला उत्पीडऩ की घटनाओं के तेजी से बढ़े ग्राफ से सरकार की पेशानी पर बल डाल दिया है।
जिस सरकार में बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं का नारा दिया जाता हो उसी सरकार में बच्चियों के अलावा महिलाओं के साथ बलात्कार उन्हे मार देने की घटनाओं ने यूपी में विपक्ष को बड़ा हथियार दे दिया है। सदन से सड़क तक इस मुद्दे पर सरकार असहज है। हालांकि इस तरह की घटनाओं में सरकार द्वारा की जा रही त्वरित कार्रवाई के बावजूद सरकार की यह कार्रवाई नाकाफी लगती है। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस तरह की घटनाएं हो रही है इससे पहले इसी प्रदेश में इस तरह की घटनाओं ने एक सरकार की बलि तक ले ली थी। प्रदेश में इस तरह की घटना के चलते जहां एक मुख्यमंत्री को अपनी सरकार गंवानी पड़ी तो दूसरे मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था न संभाल पाने को मुद्दा बनाकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
बर्खास्त हुयी थी बनारसीदास सरकार
बात अस्सी के दशक से पहले की है। 1979-80 में प्रदेश में बनारसी दास के नेतृत्व वाली जनता पार्टी की सरकार के कार्यकाल में देवरिया में नारायणपुर के हाटा थाना क्षेत्र में हुई बलात्कार की घटना सरकार के पतन का कारण बनी। दास सरकार बर्खास्त कर दी गयी थी। इसके पले हुई शुभ्रा लाहिड़़ी कांड ने भी बनारसी दास सरकार बर्खास्तगी को ओर बल दिया। एमए की छात्रा शुभ्रा लखनऊ के आलमबाग पोस्ट आफिस से अगवा हुई थी। आठ-नौ दिन बाद उसकी अर्धनग्न लाश शहर के पॉश एरिया मॉलएवन्यू के नाले में बरामद की गयी थी। इस मामले की सीबीआई जांच हुई। जबकि नारायणपुर की घटना की गंभीरता को देखते हुए इंदिरा गांधी ने स्वयं नारायणपुर क्षेत्र का दौरा किया था।
सिसवां बाजार कांड में पूरा थाना हुआ था निलंबित
1981-82 में श्रीपति मिश्र के मुख्यमंत्रित्वकाल में बस्ती के सिसवा बाजार में गैंगरेप की घटना में पुलिसकर्मियों की ही संलिप्तता पाई गयी। पूरा थाना निलंबित हुआ। इसी प्रकारण विश्वनाथ प्रताप सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल में बागपत में माया त्यागी कांड को लेकर दिल्ली तक कोहराम मचा रहा। 16 जून 1980 की इस घटना में पुलिसकर्मियों ने माया त्यागी के साथ जो अमानुषिक कृत्य किया वो तो किया ही उसके भाइयों को भी डकैता बताकर उनके खिलाफ उत्पीडऩ की कार्रवाई की। इस घटना में माया त्यागी को निर्वस्त्र करके उसके साथ सादी वर्दी में पुलिसकर्मियो द्वारा गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया गया। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि इसकी जांच के लिए विधिवत पीएन राय आयोग का गठन किया गया। जिसमें घटना को सही पाते हुए पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया गया। मामला अदालत पहुंचा और आरोपियों को सजा हुई।
इस मामले में आरोपी एक सब इंस्पेक्टर की हत्या कर दी गयी। सजा पाने वालों में पुुलिसकर्मी शामिल थे। कांग्रेेस के ही शासनकाल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऊषा धीमान नाम की महिला से बलात्कार की घटना को लेकर काफ ी बवाल मचा। इस घटना में पहले उसके बलात्कार की घटना को अंजाम दिया फिर उसे घुमाया गया। महिला उत्पीडऩ की घटना के अलावा कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने में विफल होने की पूर्व प्रधामंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपने भाई की हत्या के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कालपी के बेहमई में दस्यु सुंदरी फूलन देवी द्वारा 22 ठाकुरों का सामूहिक संहार किये जाने के बाद वीपी सिंह सरकार द्वारा चलाए गए दस्यु उन्मूलन के बाद श्री सिंह के न्यायाधीश भाई की इलाहाबाद में हत्या कर दी गई थी।
मुलायम कार्यकाल में फतेहपुर में हुई बड़ी घटना
़ृ1990 में जब प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह हुआ करते थे। तब उनके निर्वाचन क्षेत्र फतेहपुर में सातों गांव में कुच्ची देवी नाम की दलित महिला से गांव के दबंगों ने बलात्काार का प्रयास किया। जान बचाने के लिए वह तालाब में कूद गयी। जिसके बाद उसकी मौत हो गयी। प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र होने के कारण यह मामला उस खासा सुर्खियों में रहा।
सुर्खियों में रही अखिलेश राज में हुई हत्याएं
तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में सर्वाधिक चर्चित रहा मोहनलालगंज का कांड। जहां के बलखेड़ा सिंह स्थित प्राथमिक विद्यालय में एक नग्न महिला का शव 16 जुलाई 2014 को पाया गया। इस घटना को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई। इस मामलें में आरोपी को सजा हो चुकी है। जबकि अखिलेश सरकार में ही 2फरवरी 2015 को गौरी श्रीवास्तव की हत्या कर उसकी लाश कई टुकड़ों में अलग-अलग स्थानों से बरामद की गई थी।अखिलेश सरकार के ही कार्यकाल में 10 अगस्त 2015 को सीतापुर की महमूदाबाद कोतवाली के शौचालय में एक युवती की अर्धनग्न लाश बरामद हुई थी।
मायावती सरकार में हुई थी निघासन में बड़ी घटना
महिला उत्पीडऩ की घटना को लेकर हर सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाली बसपा प्रमुख मायावती के कार्यकाल में 10 जून 2011 को लखीमपुर के निघासन में एक लड़की की बलात्कार कर हत्या किए जाने के बाद उसकी लाश पेड़ से लटका दी गयी थी। इस घटना को लेकर सदन से सड़क तक मायावती सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। इस मामलें सीबीआई जांच भी हुई थी। इस मामलें में हालांकि मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने को लेकर काफी तत्परता दिखाई थी।