पीलीभीत। क्षेत्र के महोफ जंगल टाइगर रिजर्व की अंतर्गत आता है। वन विभाग के वन कर्मियों की उदासीनता के चलते टाइगर रिजर्व में किसी तरह की कोई सतर्कता नहीं बरती जा रही है। कहने को तो टाइगर रिजर्व के जंगल में घुसने पर पाबंदी है लेकिन दूसरी तरफ इन दिनों जंगल से बड़े पैमाने पर घास व कीमती लकड़ी व जलौनी लकड़ी वन विभाग की मिलीभगत से धडल्ले से निकाली जा रही है।
वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते ग्रामीण ट्रैक्टर ट्राली में घास की आड़ में लकड़ी भी अंदर दबा ले जाते है। न्यूरिया के महोफ जंगल से घास उत्तराखंड के सितारगंज में बड़े पैमाने पर सप्लाई की जा रही है ।
जंगल के अन्दर वन्य जीव अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं। शोर गुल बाहर होता है वैसे ही जंगल के अन्दर, जिसके कारण वन जीव जंगल से निकल कर बाहर आबादी वाले क्षेत्र में निकल आते हैं। वन माफियाओं की जंगल के अंदर गतिविधियों के चलते ही आए दिन एक न एक व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ती हैं और जंगल के रक्षक ही बने भक्षक हैं। बताया जाता है कि वन अधिकारी और कर्मचारी जंगल में लेवर से काम कराने के बाद मजदूरी के पैसों की जगह लकड़ी ले जाने की छूट दे रहे है और वह मजदूर जंगल में काट कर ले जाते हैं। जिससे पर्यावरण को नष्ट करने का भरपूर काम किया जाता है। न्यूरिया व आस.पास के क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक जंगल की लकड़ी की अवैध टाले वन विभाग के रहमो करम से संचालित है पूरे मामले में वन विभाग के अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं है।