कोलकाता में अवैध निर्माण का खतरा : प्रशासनिक चाबुक कब?

भास्कर समाचार सेवा

कोलकाता में दिन-प्रतिदिन अवैध निर्माण के मामले चिंता का विषय बनते जा रहे है। 18 मार्च को एक इमारत के गिरने से जहां प्रशासन को जवाब देना भारी पड़ गया और उनकी इन अनदेखी को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया था । परंतु, इस तरह के अवैध निर्माण कार्य पश्चिम बंगाल की राजधानी में लापरवाही से चल रहे हैं, जो कि आने वाली अप्रिय घटनाओं के लिए एक संकेत हैं। कोलकाता के न्यू अलीपोर की प्रसिद्ध सोसाइटी “आइडियल एक्सोटिका” में भी ऐसे ही अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं। एक ओर पार्किंग और मंजिलों पर अतिक्रमण के मामले में बिल्डर्स द्वारा गुप्त रूप से कार्य किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मानचित्र के खिलाफ ऊपरी मंजिलों पर अवैध निर्माण कार्य चल रहा है। स्थानीय एवम क्षेत्रीय जनता का कहना है कि इन अवैध निर्माण में बिल्डर नकुल हिमत सिंगका, पार्षद और अधिकारियों का नेक्सेस बना हुआ है, जिनकी मिलीभगत से ऐसा हो रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि यहां नियम, कायदे, कानून सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए है और अधिकारियों को निलंबन जैसे कार्यवाही से भी फर्क नही पड़ रहा है। इन सोसाइटी में लगभग करोड़ों रुपए की फ्लैटों के दाम होने के बावजूद, बुनियादी सुविधाओं की कमी है। पानी की समस्या, लिफ्ट की स्थिति, जनरेटर के बैकअप की अभाव, इन सभी समस्याओं से लोग परेशान हैं। बिल्डर ने अपने वादों के खिलाफ सुविधाओं की पूर्ति नहीं की है। इस मुद्दे पर येस बैंक ने भी कड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने बिल्डर की कई सौ-करोड़ से अधिक की संपत्ति को ले लिया है। यह समस्या न केवल शहर की बदनामी का कारण बन रही है, बल्कि लोगों की जीवन को भी खतरे में डाल रही है। प्रशासन को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, ताकि अवैध निर्माण कार्य को रोका जा सके और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। या फिर मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी अगर इसकी गोपनीय जांच कराते हुए दोषी अधिकारियों की सेवाएं समाप्त करते हुए न केवल इस अवैध नेक्सेस को ध्वस्त कर अपितु जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए बिल्डर्स को भी दंडित करने का काम करे, ताको लोगो को लुटने से बचाया जा सके।

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