भास्कर समाचार सेवा
नई दिल्ली। आध्यात्मिक संत, परम पूजनीय गुरुजी श्री अर्णव के किसी भी कार्यकलाप पर जब कभी लिखने बैठता हूं तो एक आध्यात्मिक चेतना का संचार मन – मस्तिष्क में होने लगता है। यूं तो संपूर्ण विश्व में,’ गुरुओं के गुरु’ संबोधन से आदरपूर्वक संबोधित किए जाने वाले गुरुजी श्री अर्णव पवित्र ज्योतिष रत्न के रहस्य और रत्न चिकित्सा के प्रवर्तक हैं तथा सही गुणों वाले दुर्लभ ज्योतिष रत्नों की प्राप्ति के लिए जेम्सस्टोनयुनीवर्स.काॅम के संरक्षक हैं, लेकिन उनका एक अलग दिव्य व्यक्तित्व है। विश्व की अनेक हस्तियां स्वीकार करती हैं कि गुरुजी श्री अर्णव द्वारा प्रदत्त ज्योतिष रत्नों से उनके जीवन में आश्चर्यजनक सफलताएं मिली हैं तथा कठिन से कठिन समस्याओं का निवारण हुआ है। सर्वकालिक महान अभिनेता अमिताभ बच्चन भी उनके सानिध्य में दिखते हैं, मगर यह तो गुरुजी श्री अर्णव का सांसारिक कार्यकलाप हैं, इनसे परे वे गुज़रते दौर के सबसे बड़े आध्यात्मिक ज्ञाता हैं। विश्व की अनेक महत्वपूर्ण घटनाएं हैं, जिनके घटित होने के पूर्व ही गुरुजी श्री अर्णव ने, अपने दिव्य दृष्टि से, भविष्य द्रष्टा के रूप में, उन घटनाओं की निर्विघ्न पूर्णता के लिए अनुष्ठान किया है, साथ ही अपनी अलौकिक उपस्थिति से महत्वपूर्ण घटनाओं को दिशा भी दिया है।
यह निर्विवाद रूप से स्थापित हो चुका है कि उनके मौलिक 3, 6, 9 ,12 के गुणांक सूत्र के अनुसार ही विश्व को प्रभावित करने वाली घटनाएं संचालित होती हैं। मैंने चंद माहों पूर्व ही अयोध्या में स्थापित श्रीराम मंदिर तथा प्रभु राम लला की मूर्ति की प्राण – प्रतिष्ठा के सन्दर्भ में
3, 6, 9, 12 के गुणांक सूत्र का उल्लेख अपने एक लेख में किया है, साथ ही यह भी उल्लेख किया है कि मंदिर की स्थापना के पूर्व ही गुरुजी श्री अर्णव ने थाइलैंड – लाओस की सीमा पर एक अनुष्ठान किया था। अभी मैं नरेन्द्र मोदी जी के शपथ-ग्रहण समारोह और महान संत गुरुजी श्री अर्णव की दिव्य उपस्थिति तथा शुभ वचनों का उल्लेख कर रहा हूं।
9 जून की रात्रि का पहर। दिल्ली स्थित भारतीय राष्ट्रपति-भवन के विशाल परिसर में देश-विदेश के गणमान्य की गरिमामय उपस्थिति में, 7. 23 बजे श्री नरेन्द्र मोदी, तीसरी बार प्रधानमंत्री का शपथ ले रहे थे, ठीक उसी शुभ मुहूर्त में, चंद पलों के लिए, राष्ट्रीय चैनल के पर्दे पर, दाहिनी ओर , दैवी आभा से कांत गुरुजी श्री अर्णव की तस्वीर प्रकट हुई थीं। समारोह में रिपोर्टिंग कर रहे थाइलैंड के प्रतिष्ठित पत्रकार श्री अपिचेट तीर्रथ तथा एक और नामचीन पत्रकार सुश्री प्रियंवद ने बताया कि गुरुजी श्री अर्णव की तस्वीर मात्र के दर्शन ही से चंद
पलों के लिए यह प्रतीत हुआ कि व्योम से गूंज रहा है, “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मनं सृजाम्यहम ।” ( श्रीमद्भागवत गीता के इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, ” हे भारत , जब-जब धर्म का लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है , तब – तब मैं धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयं की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं। ” यही श्लोक गुरुजी श्री अर्णव की तस्वीर के नीचे ही लिखा हुआ था।
गुरुजी श्री अर्णव ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। अनेकता में एकता भारतीय जीवनशैली की विशिष्टता है । इसका संविधान संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए है, यह भारत के सभी नागरिकों को समान अवसर सुनिश्चित करता है। माननीय श्री नरेन्द्र मोदी का तीसरी मर्तबा प्रधानमंत्री बनने से भारत की सोच और संविधान की मूल अवधारणा अक्षुण्ण रहेंगे। श्री नरेन्द्र मोदी एक अवतारी पुरुष सरीखे हैं।
3 , 6 , 9 ,12 के गुणांक सूत्र की चर्चा करते हुए महान विचारक गुरुजी श्री अर्णव लिखते हैं, 1. शपथ-ग्रहण 9 जून को संपन्न हुआ था। 2. शपथ ग्रहण वर्ष के 6वें माह में हुआ था। 3. शपथ-ग्रहण 7 : 23 PM IST में शुरू हुआ था यानी 0 + 7 + 2 + 3 = 12, 4. कुल 72 मंत्रियों ने शपथ लिया यानी (7+ 2 = 9)
- शपथ लेने वालों में नए मंत्रियों की संख्या 33 है यानी (3 + 6) 6. पं. जवाहरलाल नेहरू के पश्चात श्री नरेन्द्र एकमात्र प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने लगातार 3 मर्तबा शपथ लिया है 7.भारतीय संविधान, जिसको साक्षी मानकर शपथ लिया जाता है, में कल 234 पृष्ठ हैं यानी 2 + 3 + 4 = 9शपथ- ग्रहणसमारोह के पूर्व ही परमज्ञानी,भविष्य द्रष्टा गुरुजी श्री अर्णव ने अपने शिष्यों को संबोधित करते हुए जो कुछ कहा था शपथ ग्रहण समारोह के दिन उसकी पुष्टि हुई।