गोवा में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से हुई दोगुनी, विपक्ष ने सीएम सावंत के खिलाफ खोला मोर्चा

भास्कर समाचार सेवा
गोवा
। गोवा इस समय बेरोजगारी के गंभीर संकट से जूझ रहा है. जहां बेरोज़गारी की दर राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है. 2023-24 के पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार, गोवा की बेरोजगारी दर 8.7% है, जबकि राष्ट्रीय औसत 4.5% है. यहां पर महिलाओं की स्थिति तो और भी खराब है, जहां महिला बेरोज़गारी दर 16.8% है, जबकि राष्ट्रीय औसत मात्र 4.9% है. यानी महिला बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से करीब 4 गुना ज्यादा है. इसके साथ ही गोवा की श्रम भागीदारी दर भी राष्ट्रीय औसत से कम है, जहां गोवा में यह 39% है जबकि भारत में 42.3% है.

गोवा में बेरोज़गारी के कारण

गोवा के विभिन्न उद्योगों में रोजगार बड़ी चुनौती बनी हुई है. राज्य की 55% आबादी सर्विस सेक्टर में है, वहीं, 19.7 फीसदी लोग कृषि क्षेत्र में हैं और 30.5% लोग दूसरे सेक्टर में काम कर रहे हैं, लेकिन इन उद्योगों में नौकरी चाहने वालों के लिए मुसीबत खड़ी हो रही है. खासकर युवाओं और महिलाओं के लिए नौकरी मिलनी बड़ी चुनौती हो रही है. इस वजह से राज्य में युवाओं और महिलाओं में निराशा और असंतोष का भाव पैदा होता जा रहा है.

ये है बढ़ती बेरोज़गारी की मुख्य वजह

गोवा में बेरोजगारी कैसे बढ़ी यह सबसे बड़ा सवाल है. पर्यटन की शान माने जाने वाले गोवा में बेरोजगारी दर आज देश में सबसे ज्यादा है. बेरोजगारी की समस्या केवल आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि इसके पीछे भ्रष्टाचार भी एक बड़ा कारण है. इसका सबसे मुख्य कारण सरकारी नौकरी भर्ती में कैश-फॉर-जॉब्स घोटाला सामने आया है. जिससे मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की सरकार विवादों में घिर गई है. विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकारी नौकरियां में जमकर भ्रष्टाचार और धांधली हुई है. मैरिट और योग्यता को दरकिनार कर पैसे वाले लोगों को सावंत सरकार ने नौकरी दी है. जिससे ईमानदार और योग्य उम्मीदवारों को सिस्टम से बाहर कर दिया गया है.

सरकार पर पैसे लेकर सरकारी नौकरी देने का आरोप

हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि लोअर डिविजन क्लर्क (LDC) पदों के लिए जो नौकरी दी गई हैं. उसमें जमकर धांधली हुई है. जिन उम्मीदवारों ने सबसे अधिक पैसे दिए उन्हें LDC पदों पर नौकरी दी गई है. विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सावंत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इतना ही नहीं इससे पहले भी उनके अपने निर्वाचन क्षेत्र संकेलिम से घोटाले की खबरें सामने आई थीं, जहां एक महिला पर लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था.

गोवा में बेरोजगारी संकट और गहराएगा- सरदेसाई

गोवा फॉरवर्ड पार्टी के प्रमुख विजय सरदेसाई ने सरकार की नौकरी भर्ती प्रक्रिया की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने “कैश-फॉर-जॉब्स” घोटालों की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा, “गोवा सरकार ने गोवा के होनहार युवाओं के भविष्य को खतरे में डाल दिया है.” सरदेसाई ने सरकार की सार्वजनिक संसाधनों के प्रबंधन पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने ज़ुआरी एग्रीकेमिकल्स का उदाहरण दिया, जहां 50 लाख वर्ग मीटर से अधिक भूमि को गोवा के युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के इरादे से आवंटित किया गया था, लेकिन सरकार ने इस भूमि का उपयोग गलत तरीके से किया. उन्होंने कहा, “इस सरकार ने इस भूमि को अमीरों को आवंटित कर दिया है. उन्होंने कहा कि सावंत सरकार ने इंडस्ट्री लगाने की जगह आवासीय प्लॉट में बदलकर अमीरों को बेच दिया है. विपक्षी नेता सरदेसाई ने कहा कि जो भूमि 25 पैसे प्रति वर्ग मीटर पर दी गई थी, उसे अब 1,19,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर में बेचा जा रहा है. सरकार युवाओं के साथ सीधा-सीधा खिलावाड़ कर रही है.

सरदेसाई ने कहा कि सरकारी नौकरियों की बिक्री केवल अमीर लोगों को रोजगार दिला रही है, जबकि योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि गोवा न केवल उच्च बेरोज़गारी से जूझ रहा है, बल्कि जो थोड़े बहुत अवसर हैं, वे भी आर्थिक रूप से सक्षम लोगों ने इस पर कब्जा जमा लिया है. इससे राज्य के शिक्षित युवा निराश हैं. सावंत सरकार इस भ्रष्टाचार को रोकने में नाकाम रही है, जिससे जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. यदि गोवा की सरकार मेरिट की जगह आर्थिक प्रभाव को प्राथमिकता देती रही, तो बेरोज़गारी संकट और गहराएगा.

भ्रष्टाचार से बढ़ रही बेरोजगारी- फर्नांडिस

वहीं, विपक्ष के नेता विरियातो फर्नांडिस ने गोवा में बढ़ती बेरोजगारी को रिश्वतखोरी से जोड़ दिया है. फर्नांडिस ने कहा कि यह भ्रष्टाचार सीधे तौर पर बेरोज़गारी संकट को बढ़ा रहा है, क्योंकि यह सरकार सिर्फ अमीरों के लिए काम कर रही है. इससे योग्य और होनहार युवा सरकारी नौकरी से वंचित हो रहे हैं।

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