बिजुआ खीरी। परिषद स्कूलों में अध्यनरत छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म जूता मोजा के लिए शासन ने अभिभावकों के खाते में धनराशि भेजी थी। आधा सत्र बीत जाने के बाद भी बच्चे रंग बिरंगी पोशाक पहन कर स्कूलों में दिखाई देते हैं। अभिभावकों के साथ ही अध्यापक भी इस बात से बेखबर हैं।
परिषदीय स्कूलों में आधा सत्र बीत जाने के बाद अर्धवार्षिक परीक्षा होने को हैं लेकिन अभी तक स्कूलों के समस्त बच्चे यूनिफॉर्म में नहीं पहुंच पाए हैं। इसके बावजूद कहीं कहीं बच्चों के अभिभावक धनराशि मिलने के बाद भी यूनिफॉर्म खरीद नहीं पा रहे हैं तो कहीं धनराशि डीबीटी के माध्यम से बच्चों के खाते में ही नहीं पहुंच पाई है।
बिजुआ ब्लॉक क्षेत्र के अधिकांश स्कूलों में लगभग 20 प्रतिशत बच्चे पुरानी यूनिफॉर्म या रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर बैग के स्थान पर झोला टांगे हवाई चप्पलों में स्कूल पहुंच रहे हैं।
स्कूलों में बच्चों की स्कूल ड्रेस और अन्य सामान के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की तरफ से छात्रों के अभिभावकों के खातों में 1200 रुपए की धनराशि पहुंचाई जाती है जिससे वह अपने बच्चों के लिए यूनिफॉर्म,जूता,मोजा,बैग और जरूरी स्टेशनरी की खरीदारी करते हैं। देखा जा रहा है कि आज भी बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो धनराशि मिलने के बाद भी बगैर यूनिफॉर्म अन्य कपड़ों में स्कूल पहुंच रहे हैं। जिन पर ना ही स्कूल के अध्यापक ध्यान दे रहे हैं और न ही अभिभावक ध्यान दे रहे हैं।
अभिभावकों के खाते में1200 रुपए की धनराशि भेजी जाती है जिसमें स्कूल यूनिफॉर्म के लिए600 रुपए , स्वेटर के लिए 200 रुपए, जूते मोजे के लिए 150 रुपए, स्कूल बैग के लिए 150 रुपए और कॉपियों के लिए100 रुपए मिलते हैं। परंतु रुपए मिलने के बाद भी कुछ अभिभावक अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस और यह सामान नहीं लेकर देते जिसका रुपया अपने प्रयोग में ले लेते हैं। जिस कारण बच्चे धनराशि मिलने के बाद भी स्कूल में बगैर यूनिफॉर्म पहुंच रहे हैं।
वर्जन:-
अभिभावकों के खातों में रुपया पहुंचता है। जिसे वह अन्य कार्यों में खर्च कर लेते हैं जिस कारण बच्चे यूनिफॉर्म से वंचित रह जाते हैं बिजुआ ब्लॉक क्षेत्र में लगभग 800 बच्चे रह गए हैं जिनके आधार में कमियां है। बैच बन रहे हैं काम चल रहा है। शीघ्र ही उनके भी रुपए भेजे जाएंगे।
*नागेंद्र प्रताप चौधरी खंड शिक्षा अधिकारी बिजुआ*