भारत तिब्बत के आपसी सांस्कृतिक संबंधों पर टीपीएसीसी का अंतरराष्ट्रीय सेमिनार कल

सारनाथ के तिब्बती विश्वविद्यालय में आयोजित सेमिनार में देश-विदेश से भाग लेंगे विचारक, प्रस्तुत होंगे शोध पत्र

सारनाथ (वाराणसी)। तिब्बत पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन कमेटी (टीपीएसीसी) का एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार सोमवार 16 दिसंबर को स्थानीय सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ हायर तिब्बतन स्टडीज के आतिशा हॉल में होगा। इसमें देश-विदेश के प्रमुख विचारक अपने विचार रखेंगे। सेमिनार संयोजक प्रो सोनाली चतुर्वेदी (टीपीएससीसी की इंटरनेशनल को इंचार्ज), आयोजन सचिव डॉ सचिन श्रीवास्तव (टीपीएसएससी के इंटरनेशनल कोऑर्डिनेटर) तथा सेमिनार समन्वयक राजीव झा (भारत तिब्बत समन्वय संघ के वरिष्ठ अधिकारी ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि कल्चरल हार्मनी एंड एडवोकेसी : भारत तिब्बत पर्सपेक्टिव विषयक इस सेमिनार में तिब्बतोलॉजिस्ट विजय क्रांति (दिल्ली), प्रो रजनीश शुक्ला (पूर्व वीसी, वर्धा केन्द्रीय विश्वविद्यालय), प्रो राम मोहन पाठक (पूर्व वीसी, नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय), प्रो कुसुम राय (पूर्व वीसी, बोधगया विश्वविद्यालय), प्रो हरिकेश सिंह (पूर्व वीसी, जयप्रकाश विश्वविद्यालय), विश्व भूषण मिश्रा (सीईओ, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट), प्रो धर्म दत्त चतुर्वेदी (पूर्व डीन, सीआईएचटीएस, सारनाथ), सुश्री राजो मालवीय (राष्ट्रीय महामंत्री, बीटीएसएस,
भोपाल), मिस शिंग जुई, मानवाधिकार कार्यकर्ता, कनाडा और डॉ ए. आदित्यन जी, अमेरिका आदि विचार रखेंगे। इनके अतिरिक्त, सेमिनार के विविध सत्रों में कई शोध पत्र भी प्रस्तुत होंगे।
यह प्रतिष्ठित कार्यक्रम दुनिया भर से प्रसिद्ध शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, सामाजिक वैज्ञानिकों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करेगा। जो तिब्बत के मुद्दे के बारे में भावुक हैं। सेमिनार का उद्देश्य भारत और तिब्बत के बीच पारस्परिक सांस्कृतिक और सामाजिक हित के प्रमुख विषयों पर सहयोग, ज्ञान के आदान-प्रदान और वकालत को बढ़ावा देना है।
मुख्य उद्देश्य:

  1. भारतीय और तिब्बती शैक्षणिक संस्थानों के बीच अंतःविषय संबंधों को मजबूत करना।
  2. वैकल्पिक स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण के रूप में स्वदेशी तिब्बती औषधीय प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  3. भारत और तिब्बत के बीच सांस्कृतिक सहजीवन और समझ को बढ़ाना।
  4. भारत में औपचारिक तिब्बती दूतावास की स्थापना की वकालत।
    महत्व:
    यह सेमिनार तिब्बत की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक अमूल्य मंच प्रदान करता है। यह भारत और तिब्बत के बीच साझा सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक परंपराओं में निहित स्थायी संबंधों पर जोर देता है।
    सेमिनार की संयोजक प्रो. शोनाली चतुर्वेदी ने इस बात पर जोर दिया कि यह कार्यक्रम नवीन विचारों को उजागर करेगा और स्वतंत्र और शांतिपूर्ण तिब्बत की वकालत करते हुए तिब्बती संस्कृति और पहचान को संरक्षित करने के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देगा।

सेमिनार शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और तिब्बत के हित के लिए समर्पित किसी भी व्यक्ति के लिए खुला है। इस महत्वपूर्ण आयोजन में शामिल हों क्योंकि हम भारत और तिब्बत के भविष्य के लिए एक सामंजस्यपूर्ण और एकजुट दृष्टिकोण की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।