
निखिलखंडेलवाल – संस्थापक – दिव्यमकैपिटलइन्वेस्टमेंट
फैक्टर इन्वेस्टिंग का मुख्य उद्देश्य ऐसा पोर्टफोलियो बनाना है, जो वैल्यू, क्वॉलिटी, मोमेंटम, ग्रोथ, साइज, और कम अस्थिरता जैसे स्थापित निवेश पैटर्न को फॉलो करे। यह तरीका पारदर्शी और अनुशासित होता है और बिना किसी पूर्वाग्रह के विविध पोर्टफोलियो तैयार करने की क्षमता देता है। दशकों से, इसने विभिन्न बाजारों में बेहतर प्रदर्शन दिखाया है और पारंपरिक निवेश मॉडलों के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हुआ है।
हाल ही में फैक्टर इन्वेस्टिंग में कुछ नए रुझान देखने को मिले हैं। इसमें डेटा स्रोतों और मॉडलिंग तकनीकों में इनोवेशन शामिल है, जिससे पारंपरिक फैक्टर मॉडल और अधिक सटीक और प्रभावी बन रहे हैं। यह निवेशकों को बेहतर रिटर्न की संभावना प्रदान करता है।
एक और लोकप्रिय ट्रेंड है मल्टी-फैक्टर इन्वेस्टिंग, जिसमें वैल्यू, क्वॉलिटी और मोमेंटम जैसे कई फैक्टर्स को एक साथ जोड़ा जाता है। यह तरीका पोर्टफोलियो को अधिक स्थिर बनाता है और एक ही फैक्टर पर निर्भर रहने से होने वाले जोखिम को कम करता है।इसके अलावा, अब फैक्टर रणनीतियों को पारंपरिक परिसंपत्ति आवंटन प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है। इससे निवेश के पुराने तरीकों में बदलाव आ रहा है और सक्रिय निवेश के नए अवसर खुल रहे हैं। इस बदलाव से निवेशकों को ज्यादा संतुलित और स्थायी रिटर्न पाने में मदद मिल रही है।
फैक्टर इन्वेस्टिंग का यह नया दृष्टिकोण निवेशकों के लिए खासतौर से अहम हो गया है, क्योंकि वे आज की अनिश्चित आर्थिक परिस्थितियों जैसे संभावित मंदी या महंगाई को नियंत्रित करने के प्रयासों से जूझ रहे हैं। इन बदलते रुझानों को तकनीकी प्रगति, डेटा की उपलब्धता और रणनीतियों में सुधार ने और अधिक प्रासंगिक बना दिया है।
वैश्विक स्तर पर, वैल्यू फैक्टर 2000 के दशक की शुरुआत में बहुत प्रभावी था और एक दशक तक मोमेंटम और ग्रोथ फैक्टर के दबदबे के बाद 2021-22 में फिर से चर्चा में आया। वित्तीय मंदी के समय, क्वॉलिटी फैक्टर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।भारत में, ग्रोथ और क्वॉलिटी फैक्टर्स का प्रदर्शन पारंपरिक रूप से मजबूत रहा है। बाजार में गिरावट के समय क्वॉलिटी फैक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि ग्रोथ फैक्टर ने तेजी वाले बाजारों में निवेशकों को बेहतर लाभ दिलाया। हर फैक्टर की अपनी अलग रिस्क-रिटर्न विशेषताएं होती हैं। उदाहरण के लिए, क्वॉलिटी फैक्टर अधिक स्थिरता प्रदान करता है और गिरते बाजारों में बचाव के रूप में काम करता है। दूसरी ओर, वैल्यू और ग्रोथ फैक्टर तेजी वाले बाजारों में अधिक लाभ प्रदान करते हैं। इस साल क्वॉलिटी फैक्टर ने अन्य फैक्टर्स को पीछे छोड़ते हुए शानदार प्रदर्शन किया है।
मल्टी-फैक्टर दृष्टिकोण इस अस्थिरता को कम करता है और विविधीकरण सुनिश्चित करता है। यह बाजार में गिरावट के दौरान बड़े नुकसान से बचाव करता है। विभिन्न बाजार स्थितियों में इन फैक्टर्स को समझने से निवेशक अपने पोर्टफोलियो को बाजार के रुझानों के अनुरूप ढाल सकते हैं। यह न केवल पोर्टफोलियो की अस्थिरता को कम करता है बल्कि बाजार की बदलती स्थितियों से मिलने वाले अवसरों का भी पूरा लाभ उठाने में मदद करता है।
सही दृष्टिकोण अपनाने और व्यक्तिगत शैलियों के प्रति झुकाव से बचने से निवेशक तेजी से बदलते बाजार के माहौल में अधिक समझदारी से फैसले ले सकते हैं।नएनिवेशकअपनेपोर्टफोलियोमेंमल्टी-फैक्टरम्यूचुअलफंड्सकाप्रभावीढंगसेउपयोगकरसकतेहैंक्योंकिवेव्यक्तिगतफैक्टर्सकीअस्थिरताकोकमकरनेऔरबाजारमेंगिरावटकेदौरानबड़ीगिरावटकोकमकरनेमेंमददकरतेहैं।मल्टी-फैक्टरम्यूचुअलफंड्सकोशामिलकरके, निवेशकएकसंतुलितऔरलचीलापोर्टफोलियोबना सकते हैं,जो बाजार के अलग-अलग माहौल में अच्छे से ढल सकता है।