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डोनाल्ड ट्रंप लगातार यूक्रेन युद्ध खत्म करने का दबाव बना रहे हैं, लेकिन इसके पीछे उनका असली मकसद कुछ और ही नजर आ रहा है. असल में ट्रंप की निगाहें यूक्रेन के बेशकीमती खनिज संसाधनों पर टिकी हैं, जिनकी वैश्विक बाजार में भारी मांग है. यूक्रेन सरकार के एक मंत्री के मुताबिक, राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और अमेरिकी सरकार के बीच खनिज भंडारों को लेकर एक अहम सौदा लगभग तय हो चुका है. बस दस्तखत बाकी हैं और यह डील कभी भी पूरी हो सकती है.
यूक्रेन के पास दुर्लभ धातुओं और महत्वपूर्ण खनिजों का विशाल भंडार है, जिसमें ग्रेफाइट, लिथियम, टाइटेनियम और दुर्लभ अर्थ एलिमेंट्स शामिल हैं. ये खनिज आधुनिक तकनीक, रक्षा उपकरण और ऊर्जा उत्पादन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सवाल उठता है कि क्या अमेरिका की यूक्रेन को समर्थन देने की असली वजह यही खनिज भंडार हैं?
यूक्रेन के पास कौन-कौन से खनिज भंडार हैं?
1. ग्रेफाइट का विशाल भंडार
यूक्रेन के पास दुनिया के लगभग 5% महत्वपूर्ण खनिज हैं. देश में 19 मिलियन टन से भी अधिक ग्रेफाइट के भंडार हैं, जिससे यह ग्रेफाइट उत्पादन में दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल है. ग्रेफाइट का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी में किया जाता है, जिससे इसकी वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है.
2. यूरोप का सबसे बड़ा लिथियम भंडार
यूक्रेन यूरोप के कुल लिथियम भंडारों का एक तिहाई हिस्सा अपने पास रखता है. लिथियम का उपयोग बैटरियों के निर्माण में होता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और ग्रीन एनर्जी सेक्टर के लिए अहम है.
3. टाइटेनियम उत्पादन में बड़ी ताकत
रूस के आक्रमण से पहले, यूक्रेन वैश्विक स्तर पर 7% टाइटेनियम का उत्पादन करता था. टाइटेनियम एक हल्की लेकिन मजबूत धातु है, जिसका उपयोग हवाई जहाज, सैन्य उपकरणों और ऊर्जा संयंत्रों में किया जाता है.
4. दुर्लभ पृथ्वी धातुओं का भंडार
यूक्रेन दुर्लभ धातुओं (Rare Earth Elements) का भी प्रमुख स्रोत है. ये 17 प्रकार की धातुएं होती हैं, जिनका उपयोग उन्नत हथियारों, इलेक्ट्रॉनिक्स, पवन टर्बाइनों और हाई-टेक इंडस्ट्री में किया जाता है. हालांकि, रूस ने इनमें से कई खनिज संसाधनों पर कब्जा जमा लिया है.
रूस ने हथिया लिए हैं यूक्रेन के कई संसाधन
यूक्रेनी अर्थव्यवस्था मंत्री यूलिया स्विरीडेन्को के अनुसार, रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों में लगभग 350 बिलियन डॉलर मूल्य के खनिज मौजूद हैं.
कनाडा स्थित एक संस्था द्वारा 2022 में किए गए एक सर्वे के मुताबिक, रूस ने यूक्रेन की कोयला खदानों के 63% हिस्से पर कब्जा कर लिया है. इसके अलावा, रूस ने यूक्रेन के मैंगनीज, सीज़ियम, टैंटालम और दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के लगभग आधे भंडार पर भी नियंत्रण कर लिया है.
खनिजों के लिए क्यों हो रही है वैश्विक होड़?
ग्रेफाइट, लिथियम और अन्य महत्वपूर्ण खनिज आज की अर्थव्यवस्था की नींव बन चुके हैं. इनका इस्तेमाल ग्रीन एनर्जी, रक्षा, औद्योगिक उत्पादन और हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स में बड़े पैमाने पर किया जाता है. जिन देशों के पास ये खनिज भंडार अधिक मात्रा में हैं, वे रणनीतिक रूप से भी बेहद मजबूत माने जाते हैं.
यूक्रेन स्थित खनन सलाहकार फर्म जियोलॉजिकल इन्वेस्टमेंट ग्रुप की सीईओ इरीना सुप्रुन ने बीबीसी से कहा, “इन खनिजों को बनाया नहीं जा सकता, या इन्हें बनाना बेहद महंगा है. यही कारण है कि अमेरिकी निवेशकों की इन पर खास नजर है. इससे सिर्फ पैसा ही नहीं बल्कि नौकरियां भी मिलती हैं.”
अमेरिका और यूक्रेन के बीच खनिजों पर डील क्यों अहम?
– अगर अमेरिका को यूक्रेन के इन खनिजों पर नियंत्रण मिल जाता है, तो यह उसे चीन और रूस के खिलाफ व्यापारिक और सैन्य बढ़त दिला सकता है.
– अमेरिका पहले ही ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जिसके लिए लिथियम और ग्रेफाइट की मांग लगातार बढ़ रही है.
– दुर्लभ धातुओं के बिना हाई-टेक सैन्य उपकरणों, मिसाइलों और आधुनिक हथियारों का उत्पादन संभव नहीं है.