
अमेरिका। डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ विरोध का एक नया दौर शुरू हो चुका है। शनिवार को अमेरिका के 50 राज्यों और 1200 से ज्यादा शहरों में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे। यह विरोध 2017 के महिला मार्च और 2020 के ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के बाद से ट्रंप के खिलाफ सबसे बड़े प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ट्रंप का शासन देश को एक खतरनाक दिशा में ले जा रहा है, खासकर आर्थिक, श्रमिक, आव्रजन और मानवाधिकारों के मुद्दों पर उनकी नीतियों के कारण।
प्रदर्शन में 150 से अधिक समूहों के नागरिक अधिकार संगठनों, श्रमिक संघों, एलजीबीटीक्यू+ अधिवक्ताओं और चुनाव कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। अमेरिका के विभिन्न हिस्सों जैसे मिडटाउन मैनहट्टन से लेकर एंकोरेज, अलास्का तक प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की नीतियों का विरोध किया। उनका कहना था कि इन दोनों की नीतियाँ अमेरिकी लोकतंत्र और समाज के लिए खतरा बन गई हैं।
प्रदर्शनकारियों ने ‘हैंड्स ऑफ’ रैलियों के जरिए ट्रंप प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई, जिनमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों ने मिलकर ट्रंप के शासन के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार किया। इन रैलियों का मुख्य मुद्दा छंटनी, बढ़ती बेरोजगारी, ट्रंप के आव्रजन संबंधी कड़े कदम और मानवाधिकारों के उल्लंघन की नीतियाँ थीं।
एलन मस्क को भी विरोध का सामना करना पड़ा, और उन्हें अमेरिकी लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बताया गया। विरोधकारियों का कहना है कि मस्क की बढ़ती राजनीतिक शक्ति और उनके विचार समाज में असंतुलन और विभाजन पैदा कर रहे हैं।
इन विरोधों ने ट्रंप प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, और यह संदेश दिया है कि अमेरिकी नागरिक उनके नेतृत्व से खुश नहीं हैं और बदलाव की मांग कर रहे हैं।