
डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति ने दुनियाभर के शेयर बाजारों को हिला कर रख दिया है. भारत में भी इसका असर देखने को मिला. सेंसेक्स और निफ़्टी में भारी गिरावट दर्ज की गई. सेंसेक्स 3,340.45 अंक की गिरावट के साथ 72,024 और निफ़्टी 931.90 अंक की गिरावट के साथ 21,972 पर खुला. इसके साथ ही एशिया से लेकर अमेरिका तक स्टॉक्स में भारी गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों में घबराहट फैल गई है. जापान, कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे बाजारों में 5% से 9% तक की गिरावट दर्ज की गई, जबकि अमेरिका की नैस्डैक 6% तक फिसल गई. भारत में भी ‘ब्लैक मंडे’ की आशंका जताई जा रही है.
जापान के निक्केई इंडेक्स में जहां 7.1% की गिरावट रही, वहीं दक्षिण कोरिया का कोस्पी 5.5% लुढ़क गया. ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग के शेयर बाजार भी धराशायी हो गए, जिससे साफ हो गया है कि ट्रंप की नीतियों का असर क्षेत्रीय सीमाओं से कहीं आगे तक जा रहा है. यह गिरावट केवल इक्विटी मार्केट तक सीमित नहीं रही, क्रिप्टोकरेंसी बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा और बिटकॉइन जैसी डिजिटल मुद्राएं भी तेजी से नीचे गिरीं.
ट्रंप ने क्या कहा?
जब ट्रंप से वैश्विक बाजारों की इस गिरावट पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने अपनी नीतियों का बचाव करते हुए कहा, “कभी-कभी इलाज के लिए कड़वी दवा जरूरी होती है.” उनके इस बयान से साफ है कि वे अल्पकालिक आर्थिक झटकों को दीर्घकालिक सुधार की प्रक्रिया मान रहे हैं. हालांकि, आर्थिक विश्लेषक इस सोच पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि टैरिफ से महंगाई बढ़ने और मंदी की संभावना से निवेशकों में डर है.
ब्लैक मंडे का क्या है इतिहास?
‘ब्लैक मंडे’ शब्द अक्सर शेयर बाजार की बड़ी गिरावट के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसकी शुरुआत 19 अक्टूबर 1987 से मानी जाती है. उस सोमवार को अमेरिकी शेयर बाजार में ऐसा भूचाल आया कि Dow Jones Industrial Average एक ही दिन में 22.6% गिर गया था. इसी दिन S&P 500 इंडेक्स में भी 20.4% की बड़ी गिरावट दर्ज की गई. यह गिरावट सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी गूंज पूरी दुनिया के बाजारों में सुनाई दी थी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अब आर्थिक विशेषज्ञ जिम क्रेमर ने चेतावनी दी है कि डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियां 1987 के ‘ब्लैक मंडे’ जैसी ही तबाही दोहरा सकती हैं. उनका कहना है कि ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था को गहरे संकट में डाल सकती हैं, जैसा 1987 में देखा गया था. अगर इतिहास से कोई सीख लेनी हो, तो ‘ब्लैक मंडे’ हमें यही सिखाता है कि जब वैश्विक बाज़ार अनिश्चितता और नीतिगत झटकों से घिरते हैं, तो उनका असर बहुत व्यापक और विनाशकारी हो सकता है.