भारत vs पाकिस्तान : कितनी है परमाणु ताकत और कितना अलग है Nuclear Doctrine? पढ़ें ये रिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा बीते 22 अप्रैल को कम-से-कम 26 निर्दोष नागरिकों को नृशंस हत्या कर दी गई है। भारत ने पाकिस्तान को इस घिनौने कृत्य का जवाब देने की कार्रवाई शुरू कर दी है और सिंधु जल समझौता रद्द करने जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। इन सबके बीच सैन्य गतिविधियां भी बढ़ गई हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि भारत जल्द ही कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई भी कर सकता है। इस कुकृत्य के बाद बौखलाया पाकिस्तान लगातार परमाणु बम की बात कर रहा है। दुनिया भर में इस बात की चर्चा की जा रही है कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच बड़ी सैन्य कार्रवाई हुई तो परमाणु बम का इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे में यह जानना बेहद ज़रूरी है कि दोनों देश की परमाणु ताकत कितनी है और परमाणु बम के इस्तेमाल को लेकर भारत-पाकिस्तान की क्या नीतियां हैं।

दुनिया में कितने हैं परमाणु हथियार?

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 की शुरुआत में 9 देशों- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) और इज़राइल के पास कुल मिलाकर लगभग 12,121 परमाणु हथियार थे, जिनमें से 9,585 को संभावित रूप से परिचालन के लिए उपलब्ध माना गया था। इनमें से अनुमानित 3,904 वारहेड्स को परिचालन बलों के साथ तैनात किया गया था। 

रिपोर्ट में दावा किया गया कि दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या में कमी हो रही है। हालांकि, यह केवल अमेरिका और रूस द्वारा सेवानिवृत्त हथियारों को नष्ट करने के चलते है। रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका और रूस, जिनके पास कुल परमाणु हथियारों का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा है उनके पास अपने परमाणु हथियारों, उनकी मिसाइल, विमान और पनडुब्बी वितरण प्रणालियों और उनके परमाणु हथियार उत्पादन सुविधाओं को बदलने और आधुनिक बनाने के लिए व्यापक कार्यक्रम चल रहे हैं।

वहीं, फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 की शुरुआत तक नौ देशों के पास लगभग 12,331 परमाणु हथियार थे। संयुक्त रूप से अमेरिका और रूस के पास अब दुनिया के परमाणु हथियारों के कुल भंडार का लगभग 88% और सेना द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध भंडारित हथियारों का 84% है। वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों का कुल भंडार घट रहा है लेकिन पिछले 30 वर्षों की तुलना में कमी की गति धीमी है।

भारत-पाकिस्तान की परमाणु क्षमता कितनी है?

भारत- भारत की परमाणु क्षमता की बात करें तो यह पाकिस्तान के मुकाबले अधिक है। SIPRI की 2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2024 की शुरुआत में 172 परमाणु हथियार थे और यह संख्या 2023 में 164 थी। इसमें कहा गया कि भारत के परमाणु प्रतिरोध का मुख्य केंद्र पाकिस्तान ही बना हुआ है लेकिन फिर भी भारत लंबी दूरी के हथियारों पर अधिक जोर दे रहा है जिनमें पूरे चीन तक पहुंचने में सक्षम हथियार भी शामिल हैं। इसमें कहा गया कि इन परमाणु हथियारों को विमान, भूमि-आधारित मिसाइलों और परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (SSBN) में लगाया गया है। भारत सरकार ने अपने परमाणु बलों के आकार के बारे में बहुत कम सार्वजनिक जानकारी दी है। वहीं, अगर FAS की रिपोर्ट की बात करें तो इसमें बताया गया है कि भारत में 2025 में 180 परमाणु बम हैं।

पाकिस्तान- पाकिस्तान ने लंबे समय तक परमाणु हथियार बनाए हैं लेकिन पिछले कुछ समय से इसमें कमी आई है। SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्ता के पास 2024 की शुरुआत में 170 परमाणु हथियार थे। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की यह संख्या 2023 में भी इतनी ही थी। SIPRI के अनुसार, ये हथियार पाकिस्तान के विमान, जमीन से प्रक्षेपित बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों और समुद्र से प्रक्षेपित क्रूज मिसाइलों पर तैनात किए गए हैं। पाकिस्तानी सरकार ने कभी भी अपने परमाणु शस्त्रागार के आकार का सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया है। FAS की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में भी पाकिस्तान के पास 170 परमाणु बम ही हैं।

भारत-पाक के परमाणु सिद्धांतों में क्या है अंतर?

भारत का परमाणु सिद्धांत

भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण राजस्थान के पोखरण में 18 मई 1974 को किया था और इसे ‘स्माइलिंग बुद्धा’ (Smiling Buddha) नाम दिया गया था। यह परीक्षण भारत का पहला शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण (Peaceful Nuclear Explosion) था। भारत ने 1974 में परमाणु परीक्षण कर लिया था लेकिन खुद को एक पूर्ण परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र (Nuclear Weapons State) के रूप में भारत ने 1998 में घोषित किया। 1998 में भारत ने पोखरण में पोखरण-II (Pokhran-II) नामक श्रृंखला में 5 परमाणु परीक्षण किए। ये परीक्षण 11 और 13 मई 1998 को किए गए थे और इन्हें ‘ऑपरेशन शक्ति’ (Operation Shakti) कहा गया था।

भारत ने 1999 से परमाणु हथियार का पहले प्रयोग ना करने ‘no-first-use (NFU)’ की नीति का पालन किया है और 2003 में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने परमाणु सिद्धांत में इसको और पुष्ट किया था। भारत के परमाणु सिद्धांत में कहा गया है

  • विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध शक्ति बनाए रखना यानि भारत का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि उसके पास इतना परमाणु बल हो जिससे कोई भी दुश्मन हमला करने से पहले सौ बार सोचे।
  • पहले हमला नहीं करेगा (No First Use) यानी भारत कभी भी किसी देश पर सबसे पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ तब करेगा जब उस पर या उसकी सेना पर परमाणु हमला हो।
  • अगर भारत पर परमाणु हमला होता है, तो भारत का जवाब बहुत बड़ा और विनाशकारी होगा ताकि दुश्मन को अस्वीकार्य क्षति पहुंचे।
  • भारत किसी ऐसे देश पर परमाणु हमला नहीं करेगा जिसके पास परमाणु हथियार नहीं हैं।
  • यदि भारत या उसकी सेना पर किसी देश ने रासायनिक या जैविक हथियारों से बड़ा हमला किया तो भारत परमाणु हमला कर सकता है।

पाकिस्तान का परमाणु सिद्धांत

पाकिस्तान ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 28 मई 1998 को बलूचिस्तान के चागाई में रास कोह पहाड़ियों में किया था। इस परीक्षण श्रृंखला को ‘चागाई-I’ (Chagai-I) नाम दिया गया था। इसके दो दिन बाद 30 मई 1998 को पाकिस्तान ने ‘चागाई-II’ (Chagai-II) नामक एक और परीक्षण किया। इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका मुनीर अहमद खान और अब्दुल कदीर खान ने निभाई। अब्दुल कदीर खान ने यूरेनियम संवर्धन तकनीक के माध्यम से पाकिस्तान को परमाणु हथियार विकसित करने में मदद की। माना जाता है कि पाकिस्तान के दक्षिणी भाग में केंद्रीय भंडारण सुविधाओं में परमाणु हथियार मौजूद हैं

आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान का कोई परमाणु सिद्धांत नहीं है लेकिन पाकिस्तान युद्ध के समय परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल करने का अधिकार रखता है। पाकिस्तान ‘no-first-use (NFU)’ की नीति का पालन नहीं करता है और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह भारत के सापेक्ष अपनी पारंपरिक सेनाओं की ताकत में असमानता का अहसास होता है। हालांकि, पाकिस्तान के पास कोई NFU सिद्धांत नहीं है फिर भी वह UN में लगातार उन प्रस्तावों के साथ रहा है जिनका उद्देश्य गैर-परमाणु-सशस्त्र राज्यों को आश्वस्त करना है कि वह उनके विरुद्ध परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेगा या प्रयोग करने की धमकी नहीं देगा।

कैसे परमाणु हमला कर सकता है भारत?

भारत के पास ऐसे कई लड़ाकू विमान हैं जिनकी क्षमता उन्हें परमाणु हथियार ले जाने के लिए उपयुक्त बनाती है। इनमें मिराज 2000H, जैगुआर IS और राफेल जैसे विमान शामिल हैं। SIPRI के मुताबिक, जनवरी 2024 तक भारत के लड़ाकू विमानों के लिए लगभग 48 परमाणु ग्रैविटी बम (गिराकर मारने वाले बम) तय किए गए थे। भारतीय सेना की स्ट्रैटेजिक फोर्सेज़ कमांड के पास पांच प्रकार की ज़मीन से दागी जाने वाली परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। इनमें छोटी दूरी की मिसाइलें पृथ्वी-II और अग्नि-I, मध्यम दूरी की अग्नि-II और मध्यवर्ती दूरी की अग्नि-III और अग्नि-IV शामिल हैं। SIPRI के अनुसार, जनवरी 2024 तक भारत के पास करीब 80 ऑपरेशनल बैलिस्टिक मिसाइलें थीं।

भारत के पास नभ और थल के अलावा जल से भी परमाणु हमला करने की क्षमता है। माना जाता है कि भारत के पास 4-6 परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक पनडुब्बी (SSBNs) हैं। इनमें आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात शामिल हैं। SIPRI ने उपग्रह से मिली तस्वीरों के आधार पर बताय है कि हर पनडुब्बी में चार ट्यूब वाला वर्टिकल लॉन्च सिस्टम लगाया गया है और हर पनडुब्बी में दो चरणों वाली कम दूरी की 12 K-15 SLBMs (Submarine-Launched Ballistic Missile) ले जाने की क्षमता हो सकती है। इन मिसाइलों को अब B-05 नाम दिया गया है।

भारत की परमाणु क्षमता पर SIPRI की रिपोर्ट

पाकिस्तान के पास क्या हैं विकल्प?

भारत की तरह ही पाकिस्तान के पास भी थल, जल और नभ से परमाणु हमला करने की क्षमता है। पाकिस्तान के पास कई तरह के लड़ाकू विमान हैं जिनकी क्षमताएं उन्हें परमाणु हथियार ले जाने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में उपयुक्त बनाती हैं। इनमें मिराज III, मिराज V, F-16 और JF-17 जैसे विमान शामिल हैं। जनवरी 2024 तक पाकिस्तान के पास सीमित संख्या में परमाणु ग्रैविटी बम होने का अनुमान था। SIPRI के मुताबिक, मिराज III और संभवतः मिराज V ही सबसे ज्यादा संभावित परमाणु हथियार ले जाने वाले विमान हैं। भविष्य में जब मिराज विमान सेवा से बाहर हो जाएंगे तब यह संभावना है कि JF-17 विमान इनकी परमाणु भूमिका को संभालेगा।

पाकिस्तान के पास करीब 125 छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलें है। पाकिस्तान के पास छोटी दूरी की अब्दाली (जिसे Hatf-2 कहते हैं), ग़ज़नवी (Hatf-3), शाहीन-I/IA (Hatf-4) और नसर (Hatf-9) बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। वहीं, मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें ग़ौरी (Hatf-5) और शाहीन-II (Hatf-6) भी हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के पास लंबी दूरी की शाहीन-III मिसाइल भी है इसकी सीमा 2750 किलोमीटर मानी जाती है। अक्टूबर 2023 में पाकिस्तान ने अबाबील मिसाइल का भी परीक्षण किया है। जो MIRV तकनीक से लैस है यानी यह यह एक साथ कई स्वतंत्र रूप से लक्ष्य साधने वाले वॉरहेड (Multiple Independently-Targetable Re-entry Vehicles) ले जा सकती है। पाकिस्तान ने एक न्यूक्लियर ट्रायड बनाने की कोशिश की है जिसके तहत सबमरीन-लॉन्च क्रूज़ मिसाइल (SLCM) बाबर-3 का परीक्षण किया गया है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान नौसेना के तीन अगोस्ता-90B डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के लिए परमाणु क्षमता स्थापित करना है।

पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर SIPRI की रिपोर्ट

भारत और पाकिस्तान के पास परमाणु ताकत लगभग समान है लेकिन दोनों के पास मौजूद परमाणु हथियारों की क्षमता में बहुत अंतर माना जाता है। भारत के पास मौजूद परमाणु बम से जो तबाही हो सकती है वो पाकिस्तान की तुलना में कई गुना तक ज्यादा है। भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र हैं लेकिन उनके परमाणु सिद्धांत, रणनीति और क्षमता में बड़ा अंतर है। भारत ‘नो फर्स्ट यूज़’ की नीति अपनाकर संयमित और जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में सामने आता है, जबकि पाकिस्तान अपनी पारंपरिक सैन्य कमजोरी के चलते पहले परमाणु हमले का विकल्प खुला रखता है। यह स्थिति क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए अत्यधिक संवेदनशील बन जाती है। लेकिन पाकिस्तान जिस तरह की हरकतें कर रहा है उससे साफ है कि वो शांति के रास्ते पर चलना ही नहीं चाहता है।

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