
जम्मू। पहलगाम आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद कश्मीर में सुरक्षा कारणों से 48 प्रमुख पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया है, जिनमें गुरेज़ घाटी भी शामिल है। इस फैसले से सबसे अधिक प्रभावित वे छोटे ढाबा मालिक हैं जो हर साल गर्मियों में आने वाले सैलानियों पर निर्भर रहते हैं।
गुरेज़-बांदीपोरा रोड पर एक ढाबा चलाने वाले 38 वर्षीय तारिक अहमद ने बताया, मैंने इस सीज़न के लिए दो लाख रुपये उधार लिए थे। अब हालत यह है कि दिनभर में पचास रुपये भी कमाना मुश्किल हो गया है।
गुरेज घाटी में साल भर आते थे लाखों सैलानी
गुरेज़ घाटी, जो हर साल लाखों सैलानियों को आकर्षित करती है, आज वीरान है। खाली कुर्सियों और ठंडे तंदूरों के बीच खड़े तारिक कहते हैं, पिछले साल इस समय तक 200 ग्राहक रोज़ आते थे, अब कोई नहीं आता। तारिक का दर्द सिर्फ आर्थिक नहीं, भावनात्मक भी है। मेरे घर में पांच बेटियाँ हैं। हर शाम खाली हाथ लौटना किसी भी पिता के लिए एक धीमी मौत की तरह है।
पहलगाम हमले के बाद ढाबा मालिक बोले- हम भूख से मर जाएंगे
ढाबा मालिकों का कहना है कि आतंकवादी हमला सिर्फ पर्यटकों पर नहीं, बल्कि लाखों कश्मीरियों की रोज़ी-रोटी पर भी हमला था। हम घटना की निंदा करते हैं, लेकिन पर्यटकों से अपील करते हैं कि घाटी में लौटें। राजदान पास के पास ढाबा चलाने वाले शबीर लोन कहते हैं, हमने महीनों तैयारी की थी। अब सब बर्बाद हो गया। यही सीज़न होता है, जब हम पूरे साल के लिए कमाई करते हैं।
प्रशासन का कहना है कि घाटी को एहतियात के तौर पर बंद किया गया है, लेकिन धरातल पर इसका असर बेहद गंभीर है। छोटे ढाबा मालिकों के पास न तो कोई बीमा है, न ही आर्थिक सुरक्षा। तारिक की आंखों में आंसू छलकते हैं। वे कहते हैं, सुरक्षा ज़रूरी है, हम मानते हैं। लेकिन हम यहां भूख से मर रहे हैं, न कि गोलियों से। गुरेज़ की सड़कों पर पसरा सन्नाटा आज उस उम्मीद को दर्शाता है जो वक्त से पहले ही दम तोड़ चुकी है।