
India Pakistan Ceasefire: जब आसमान में मिसाइलों की गड़गड़ाहट गूंज रही थी। धरती खून से लाल हो रही थी तब चार दिन की भीषण जंग के बाद युद्धविराम की घोषणा ने दुनिया को राहत की सांस दी। कहते हैं कि सब्र का फल मीठा होता है। भारत के सब्र का बांध जब टूटा तो ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया और भारत की मिसाइलें रावलपिंडी तक पहुंच गईं। आखिरकार पाकिस्तान को झुकने में ही भलाई नजर आई। आखिर क्या थी वो वजह कि मरते दम तक लड़ने की गीदड़भभकी देने वाला पाकिस्तान अमेरिका की शरण में पहुंच गया? आइए, जानें कैसे भारत ने न सिर्फ युद्ध के मैदान में बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी बाजी मारी।
चार दिनों तक आसमान से बरसे ब्रह्मोस और कूटनीति के मोर्चे पर चले शतरंजी चालों ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया। भारत के प्रचंड रूप को देखकर पाकिस्तान इस कदर खौफजदा हो गया कि उसे अपनी खैर सीजफायर में ही नजर आने लगी। आनन-फानन में पाकिस्तानी सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने भारत से हॉटलाइन पर संपर्क साधा और युद्धविराम पर सहमति बनी।
भारत के निशाने पर था पाकिस्तान का परमाणु कमांड
चार दिन तक ड्रोन, मिसाइल और फाइटर जेट्स की गर्जना ने भारत-पाक सीमा को युद्ध का रणक्षेत्र बना दिया। चौथे दिन कुछ ऐसा हुआ कि पाकिस्तान को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। बताया जा रहा है कि भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तानी डिफेंस नेटवर्क में हाई अलर्ट मैसेज पकड़े है। इनमें चर्चा हो रही है कि भारत अगले कदम के रूप में पाकिस्तान के परमाणु कमांड को निशाना बना सकता है। ऐसे में इस्लामाबाद में हड़कंप मच गया। इसके बाद पाकिस्तान ने तुरंत अमेरिका से मध्यस्थता की गुहार लगाई और इधर भारत में फोन घुमा दिया।
ऑपरेशन सिंदूर का कमाल
भारत के इस सैन्य दबाव के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न केवल सैन्य पराक्रम दिखाया गया। बल्कि, कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत ने बड़ी सफलता हासिल की। आइये कुछ प्वाइंट में समझें कैसे बढ़ी कहानी?
- वायुसेना ने कमर तोड़ी: 10 मई की सुबह वायुसेना ने ब्रह्मोस-ए क्रूज मिसाइलों से हमला बोला। इससे रावलपिंडी के पास पाकिस्तान के एयरबेस और गोला बारूद भंडारों को भारी नुकसान पहुंचाया। इसके बाद जैकोबाबाद, भोलारी और स्कार्दू स्थित ठिकानों को निशाना बनाया गया।
- खतरे में थे परमाणु ठिकाने: भारत में पाकिस्तानी हाई अलर्ट संदेशों को इंटरसेप्ट किया गया। इसमें आशंका जताई गई थी कि भारत का पाकिस्तान के परमाणु कमांड और नियंत्रण ढांचे को निशाना बना सकता है। रावलपिंडी में खतरे की घंटी बजते ही पाकिस्तान में सुरक्षा प्रोटोकॉल बढ़ा दिया गया।
- अमेरिका से गुहार: अपनी हार को भांपते हुए पाकिस्तान ने तुरंत अमेरिका से मध्यस्थता करने की गुहार लगाई। हालांकि, अमेरिका पहले से ही दोनों पक्षों के संपर्क में था। परमाणु ठिकानों पर संभावित खतरे की जानकारी मिलते ही वाशिंगटन को और अधिक निर्णायक कदम उठाना पड़ा।
- अमेरिका का संदेश: अमेरिका ने तटस्थ रुख अपनाते हुए इस्लामाबाद को कड़ा संदेश दिया कि वह आधिकारिक सैन्य हॉटलाइन का उपयोग करे और बिना किसी देरी के तनाव कम करे। अमेरिका ने पाकिस्तान को भारतीय सेना के साथ सीधी लाइन सक्रिय करने और किसी भी देरी से बचने का सुझाव दिया।
- भारत का स्पष्ट रुख: भारत ने साफ किया कि प्रोटोकॉल से बाहर पाकिस्तान के साथ किसी भी वार्ता में शामिल नहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद भी दिल्ली ने मध्यस्थता से इनकार कर दिया। इससे साफ हो गया था कि भारतीय सशस्त्र बल अगले स्तर तक जाने के लिए तैयार हैं। इसमें पाकिस्तान के ऊर्जा और आर्थिक ठिकाने निशाने में हो सकते हैं।
- डीजीएमओ की हॉटलाइन वार्ता: 10 मई की दोपहर को भारत ने कई हमलों को नाकाम कर दिया तो पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने अपने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को सीधे फोन किया। इस कॉल के बाद युद्धविराम पर सहमति बनी, जिसकी पुष्टि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी की।
- वाटर स्ट्राइक जारी रहेगी: भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले के बाद लिया गया फैसला लागू रहेगा। सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित करने के फैसले को वापस लेने के लिए अभी कोई बात नहीं है। यानी वाटर स्ट्राइक जारी रहेगी।
- अगली बार एक्ट ऑफ वॉर: भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ की मुलाकात 12 मई को दोपहर 12 बजे निर्धारित है। इस बीच भारत ने साफ कर दिया है कि अगली बार कोई भी आतंकवादी हमला एक्ट ऑफ वॉर यानी युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। अगली बार कार्रवाई इससे भी भयानक होगी।
बिना लड़े अपनी शर्तों पर जंग जीती
इस पूरे घटनाक्रम में भारत की कूटनीतिक कुशलता भी देखने को मिली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को पाकिस्तान की परमाणु चाल और ‘सिविल फ्लाइट शील्ड’ के इस्तेमाल की जानकारी दी। एनएसए डोभाल ने बताया कि पाकिस्तान अपनी सैन्य विमानों की आवाजाही को यात्री विमानों के बीच छिपाकर भारत पर हमले की तैयारी कर रहा है। वहीं विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ किया कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहा है और यह वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है।
अमेरिका को यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान की सेना भारतीय सेना पर हमला करने के लिए अपनी सिविल फ्लाइट का इस्तेमाल कर रही है। इसी के बाद अमेरिका ने तत्काल हस्तक्षेप किया और दोनों देशों से बात कर पाकिस्तान की सेना को पीछे हटने पर मजबूर किया। हालांकि, भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता के बावजूद युद्धविराम की घोषणा अपनी शर्तों पर की है। खास बात ये कि इस पूरे अभियान के दौरान भारत को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।