
ब्राजील में BRICS शिखर सम्मेलन में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्लोबल साउथ की आवाज़ बुलंद कर रहे थे, उसी वक्त वॉशिंगटन से एक धमकी भरा संदेश आया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को चेतावनी देते हुए कहा कि जो देश BRICS की ‘अमेरिका विरोधी नीतियों’ से जुड़ेंगे, उन पर 10% अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया जाएगा. यह बयान उन्होंने ‘ट्रुथ सोशल’ पर जारी कर वैश्विक बाजारों और कूटनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी.
ट्रंप ने अपने बयान में किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह सीधा संकेत भारत की ओर था. भारत ब्रिक्स का अहम स्तंभ है और वह रूस से एस-400 जैसी सैन्य खरीद में अमेरिका की अनदेखी कर चुका है. ऐसे में ट्रंप का यह बयान, भारत जैसे साझेदार देशों पर परोक्ष दबाव बनाने की कोशिश भी माना जा रहा है. हालांकि, भारत को लेकर अमेरिका पहले भी ‘अपवाद’ बरतता रहा है, लेकिन ट्रंप की नई रणनीति में उस लचीलापन का अभाव दिखाई देता है.
ट्रंप की नीति WTO के खिलाफ: ब्रिक्स
ट्रंप की धमकी से पहले ही ब्रिक्स नेताओं ने अमेरिका की ‘एकतरफा टैरिफ नीति’ पर करारा हमला बोला. रियो में जारी संयुक्त बयान में उन्होंने ऐसी नीतियों को वैश्विक व्यापार और WTO की मूल भावना के खिलाफ बताया. ब्रिक्स नेताओं ने बिना नाम लिए ट्रंप की टैरिफ रणनीति को ‘विश्व व्यापार स्थिरता के लिए घातक’ कहा. इससे साफ है कि अमेरिका और ब्रिक्स के बीच व्यापारिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है.
मोदी की भूमिका और भारत का संतुलन
ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका अहम रही. उन्होंने लूला डी सिल्वा को आयोजन की सफलता पर बधाई दी और BRICS विस्तार में इंडोनेशिया जैसे देशों के शामिल होने का स्वागत किया. साथ ही उन्होंने ग्लोबल साउथ के हक में आवाज़ उठाई. मोदी की कोशिश रही कि भारत BRICS में अपनी भागीदारी को अमेरिका या चीन के खांचे से बाहर रखकर, एक स्वतंत्र धारा के रूप में पेश करे. लेकिन ट्रंप की धमकी ने इस संतुलन को भी परीक्षा में डाल दिया है.
अमेरिका-भारत संबंधों पर क्या पड़ेगा असर?
ट्रंप के टैरिफ बयान से भारत-अमेरिका संबंधों में खिंचाव की आशंका भी पैदा हो गई है. हालांकि दोनों देशों ने पिछले दशक में रणनीतिक और रक्षा सहयोग में गहराई लाई है, लेकिन ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीति भारत जैसे देशों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है. अब यह देखना होगा कि क्या वाशिंगटन आने वाले दिनों में भारत के साथ ‘अपवाद’ की नीति जारी रखेगा या दबाव की रणनीति अपनाएगा.
नई वैश्विक व्यवस्था की आहट?
ट्रंप की धमकी और ब्रिक्स का पलटवार इस बात का संकेत है कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था एक बार फिर दो ध्रुवों में बंटती दिख रही है. एक तरफ अमेरिका अपनी शर्तों पर व्यापार तय करना चाहता है, तो दूसरी ओर ब्रिक्स विकासशील देशों की आवाज़ को मंच देने का दावा कर रहा है. ऐसे में भारत जैसे देशों के सामने चुनौती है- कूटनीतिक संतुलन बनाए रखते हुए अपने हितों की रक्षा करना. अगले कुछ हफ्तों में इस टकराव का असर वैश्विक बाजारों और भविष्य की कूटनीति पर साफ दिखाई देने की संभावना है.