यमन में फांसी के साए में भारत की बेटी….कोर्ट ने दी ये तारीख, क्या है आखिरी विकल्प?

केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 2017 में एक स्थानीय नागरिक की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था. अब मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 16 जुलाई 2025 को उसे फांसी दी जाएगी. यह पुष्टि मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम ने की है, जो निमिषा की मां प्रेमा कुमारी की ओर से अधिकार पत्र लेकर यमन प्रशासन से जुड़े हुए हैं.

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस मामले को लेकर गंभीरता दिखाई है. मंत्रालय के सूत्रों ने कहा, ‘तब से हम इस मामले पर बारीकी से नज़र रखे हुए हैं। हम स्थानीय अधिकारियों और उसके परिवार के सदस्यों के साथ नियमित संपर्क में हैं और हर संभव सहायता प्रदान की है। हम मामले पर बारीकी से नज़र बनाए हुए हैं.

कौन हैं निमिषा प्रिया?

निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं. उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2011 में नौकरी के लिए यमन का रुख किया था. शुरुआत में उन्होंने कई अस्पतालों में दिन-रात काम किया और फिर खुद का क्लिनिक खोलने का सपना देखा. इसी दौरान 2014 में उनकी मुलाकात तालाल अब्दो महदी नामक यमनी नागरिक से हुई, जिसने स्थानीय बिजनेस कानून के तहत क्लिनिक खोलने में मदद का वादा किया. 

साझेदारी से प्रताड़ना तक

2015 में दोनों ने मिलकर क्लिनिक शुरू किया, लेकिन जल्द ही मतभेद शुरू हो गए. निमिषा ने महदी पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया. उसने निमिषा का पासपोर्ट भी ज़ब्त कर लिया, जिससे वह यमन छोड़कर भारत नहीं लौट सकी. 2016 में निमिषा ने महदी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और उसे कुछ समय के लिए गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन जल्द ही उसे रिहा कर दिया गया.

हत्या का मामला और गिरफ्तारी

2017 में एक और विवाद के दौरान निमिषा ने एक स्थानीय जेल वार्डन की सलाह पर महदी को बेहोश करने के लिए उसे इंजेक्शन दिया, ताकि वह अपना पासपोर्ट वापस ले सके। लेकिन ओवरडोज़ के कारण महदी की मौत हो गई. इसके बाद निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमा चला. 2020 में यमनी अदालत ने उसे मौत की सज़ा सुनाई, जिसे 2023 में यमन के सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा. राष्ट्रपति राशद अल-आलीमी ने भी इस फांसी की पुष्टि कर दी थी.

भारत सरकार की कोशिशें और परिवार की अपील

निमिषा की मां प्रेमा कुमारी ने यमन की अदालतों में कई अपीलें कीं, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली. इस बीच भारत सरकार भी स्थानीय प्रशासन से लगातार संपर्क में रही. विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, हम इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और परिवार को हर संभव सहायता दी जा रही है.

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