बस 2 दिन का वक्त : क्या यमन में फांसी से बच पाएगी निमिषा? आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली:  यमन की राजधानी सना की एक सख्त पहरे वाली जेल में, भारत की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया हर पल मौत का सामना कर रही हैं. यहां की अदालत ने उनके गले में फांसी की रस्सी डालने की तारीख तय कर दी है — 16 जुलाई. अब बस सिर्फ दो दिन बाद उनका जीवन खत्म हो सकता है. इस बीच केरल सीएम पिनराई विजयन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर केरल की नर्स निमिषा की जान बचाने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. वहीं सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और विपक्षी कांग्रेस ने भी केंद्र से तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया है. जब निमिषा को फांसी के तख्त पर चढ़ाने में महज दो दिन बचे हैं तब क्या उनके पास कोई ऐसा रास्ता है, जिससे उन्हें बचाया जा सकें. केरल की नर्स को आखिर किस मामले में मौत की सजा सुनाई गई है, यहां जानिए उनकी पूरी कहानी

निमिषा को क्यों मिली मौत की सजा

केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 38 वर्षीय निमिषा प्रिया, साल 2008 में नर्स की नौकरी के लिए यमन गई थीं. वहां निमिषा ने एक क्लिनिक खोला. लेकिन यमन के कानून के तहत, विदेशी को स्थानीय साझेदार रखना अनिवार्य है. इसलिए निमिषा ने एक यमन के नागरिक तलाल अब्दो मेहदी को अपना साझेदार बनाया. आरोपों के मुताबिक मेहदी ने उसके साथ धोखाधड़ी की, पैसे हड़पे और यहां तक कि उस पर शादी का झूठा दावा भी किया. परिवार की याचिका बताती है कि मेहदी ने निमिषा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया. नतीजतन साल 2017 में, निमिषा ने मेहदी को बेहोश कर पासपोर्ट वापस लेने की योजना बनाई पर ड्रग की ओवरडोज से मेहदी की मौत हो गई. घबराहट में निमिषा और उसकी साथी नर्स ने शव के टुकड़े कर उसे पानी की टंकी में फेंक दिया.

निमिषा ने कबूल लिया है अपना जुर्म

यमन की अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, निमिषा प्रिया ने जुलाई 2017 में कथित तौर पर अपने स्थानीय व्यापारिक साझेदार तलाल अब्दो मेहदी को नशीला पदार्थ देकर उसकी हत्या कर दी और एक अन्य नर्स की मदद से उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. इसके बाद उसने उसके क्षत-विक्षत अंगों को एक अडंरग्राउंड टैंक में फेंक दिया. सूत्रों ने बताया कि मेहदी की हत्या का पता चलने के बाद निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया और उसने कथित तौर पर अपने एक बयान में हत्या की बात कबूल कर ली. सना की अधीनस्थ अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई है,  उसने इस फैसले को यमन की सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी, लेकिन उसकी अपील खारिज कर दी गई और मौत की सजा बरकरार रखी गई.

निमिषा को फांसी से बचाने का रास्ता

सूत्रों ने बताया कि निमिषा ने फिर यमन के राष्ट्रपति से दया की अपील की, लेकिन उन्होंने उसे माफी देने से इनकार कर दिया. एक सूत्र ने कहा, ‘‘मृतक तलाल अब्दो मेहदी का परिवार हत्या के अपराध को माफ करने के बदले पैसा (ब्लड मनी) लेने को भी तैयार नहीं है. दरअसल निमिषा प्रिया के लिए सभी कानूनी प्रयास किए गए, लेकिन उसके खिलाफ आरोप इतने गंभीर थे कि सभी प्रयास विफल रहे.” लेकिन विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन खासकर उसके गृह राज्य केरल के, निमिषा प्रिया को मौत की सजा से बचाने के लिए भारत सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं. जिस पर आज कोर्ट में भी सुनवाई होनी है. यमन का न्याय इस्लामी शरीया पर आधारित है, वहां “दिया” यानी ब्लड मनी की व्यवस्था लागू है — अगर मृतक का परिवार तय रकम ले ले, तो फिर दोषी को फांसी नहीं दी जाती. 

  • शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को ‘‘ब्लड मनी” के माध्यम से क्षमादान पर विचार किया जा सकता है.
  • ‘‘ब्लड मनी” का मतलब दंड से बचने के लिए दिये जाने वाले उस आर्थिक मुआवजे से है, जो दोषी की तरफ से पीड़ित परिवार को दिया जाता है.
  • अगर ‘‘ब्लड मनी” का भुगतान किया जाता है, तो मृतक का परिवार केरल की नर्स को माफ कर सकता है.
  • निमिषा के मामले में, उनके परिवार और Save Nimisha Priya Action Council ने लगभग $1 मिलियन (₹8.5 करोड़) की पेशकश की है.
  • कई केरल के नेता, सांसद और सामाजिक संगठन भी पैसे जुटाने में लगे हैं, बॉबी चेम्मनुर जैसे कारोबारी ने भी ₹1 करोड़ की राशि जुटाई है.

निमिषा को फांसी से बचाने में क्यों आ रही दिक्कत 

निमिषा के मामले में समस्या ये है कि मृतक मेहदी का परिवार ब्लड मनी लेने को राजी नहीं हो रहा. बिना उनके सहमत हुए यमन की अदालत या राष्ट्रपति कोई माफी नहीं दे सकते.  भारत सरकार ने भी विदेश मंत्रालय के माध्यम से यमन में तमाम दरवाजे खटखटाए हैं, मगर वहां चल रहे गृहयुद्ध और हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण के कारण ये प्रयास बेहद कठिन हो गए हैं. अब उम्मीद इस बात पर टिकी है कि भारत सरकार या सुप्रीम कोर्ट की पहल पर कोई राजनयिक चमत्कार हो जाए — जिससे यमन में प्रभावशाली शेख, स्थानीय नेता या धार्मिक नेता मृतक के परिवार को मानाने में मदद करें. अगर ऐसा हुआ, तो निमिषा को जिंदगी मिल सकती है, वरना 16 जुलाई की सुबह यमन की जेल में भारतीय नर्स का नाम हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा.

निमिषा के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह हरसंभव मदद मुहैया करा रहा है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट आज उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र को भारतीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ इस मामले की सुनवाई कर सकती है. सूत्रों ने बताया कि निमिषा प्रिया 2008 से यमन में नर्स के तौर पर काम कर रही थी. उन्होंने बताया कि 2011 में शादी के बाद वह अपने पति टॉमी थॉमस के साथ यमन पहुंची थी. 2014 में यमन में छिड़े गृहयुद्ध के कारण उसके पति अपनी बेटी के साथ केरल लौट आए, जबकि निमिषा यमन में ही रही.

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक क्या बेहतर – नौकरी या फिर बिजनेस पेट्स के साथ डेजी का डे आउट