राष्ट्रपति मुर्मू ने जिन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया, क्या उन्हें आप जानते हैं?

-जानें सदानंदन मास्टर, डॉ. मीनाक्षी, उज्ज्वल निकम और हर्षवर्धन श्रृंगला के बारे में

नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 (1)(ए) के तहत चार प्रख्यात व्यक्तित्वों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इनमें केरल के शिक्षाविद्-सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर, इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन, वरिष्ठ विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम और पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर सभी को शुभकामनाएं दीं और उनके सार्वजनिक जीवन के योगदान की प्रशंसा की। आईये यहां इस खबर के जरिए जानते हैं इन प्रख्यात व्यक्तित्वों के बारे में-

शिक्षा और सामाजिक उत्थान से जुड़े सदानंदन मास्टर
त्रिशूर (केरल) के सरकारी हाई-स्कूल शिक्षक सदानंदन मास्टर ने शिक्षा और सामाजिक उत्थान को अपना जीवन समर्पित किया। 1994 में कन्नूर में राजनीतिक हिंसा के दौरान उनके दोनों पैर काट दिए गए, फिर भी वे सक्रिय सामाजिक-राजनीतिक जीवन में लौटे और युवाओं के लिए प्रेरणा बने। राष्ट्रीय शिक्षक संघ में अहम भूमिका निभाने वाले मास्टर अब वंचितों की आवाज़ संसद तक पहुंचाएंगे।

शिक्षा-साहित्य और इतिहास डॉ. मीनाक्षी जैन
दिल्ली विश्वविद्यालय के गर्गी कॉलेज की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जैन मध्यकालीन-औपनिवेशिक भारत तथा सांस्कृतिक इतिहास पर अपने शोध और पुस्तकों के लिए जानी जाती हैं। 2020 में उन्हें पद्म श्री मिला। उनके राज्यसभा प्रवेश से शिक्षा-साहित्य और इतिहास को नीतिनिर्माण में सुदृढ़ प्रतिनिधित्व मिलेगा।

सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम
26/11 मुंबई आतंकी हमले, 1993 सीरियल ब्लास्ट और शक्ति मिल्स सामूहिक दुष्कर्म जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों के विशेष सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम को 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उनकी कानूनी विशेषज्ञता और न्याय-व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए किये गये कार्य उच्च सदन में महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण जोड़ेंगे।

भारतीय विदेश सेवा में रहे हर्षवर्धन श्रृंगला
38 वर्षों तक भारतीय विदेश सेवा में रहते हुए अमेरिका, बांग्लादेश व थाइलैंड में राजदूत तथा 2020-22 के बीच भारत के विदेश सचिव रहे श्रृंगला ने कोविड-19 काल में वंदे भारत मिशन का समन्वय किया और 2023 के G-20 अध्यक्षत्व के मुख्य समन्वयक रहे। विश्व कूटनीति का यह अनुभव संसद में अंतरराष्ट्रीय मामलों की समझ बढ़ाएगा।

इन नियुक्तियों से विधायी सदन को कानून, कूटनीति, इतिहास-संस्कृति और सामाजिक क्षेत्र के विविध अनुभव एक साथ मिलेंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे संसद के विमर्श में समग्रता और गहराई आएगी।

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