मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में पुलिस बर्बरता का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. चोरी के शक में नौगांव थाना पुलिस ने चार आदिवासी युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन इस दौरान उनके साथ कथित रूप से अमानवीय व्यवहार किया गया. आरोप है कि पूछताछ के नाम पर युवकों के गुप्तांगों में मिर्च पाउडर डाला गया और बेरहमी से पिटाई की गई.
यह मामला सामने आने के बाद भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव किया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पीड़ितों से मुलाकात कर सरकार पर सवाल खड़े किए.
'आदिवासी विरोधी भाजपा'
मप्र के छतरपुर में आदिवासी युवकों को चोरी कबूलवाने के लिए पुलिस ने गुप्तांगों में मिर्ची डाली और बेल्ट से पीटा। क्या पुलिस आदिवासियों की सुरक्षा के लिए है या सत्ता के इशारे पर अत्याचार के लिए? pic.twitter.com/nkaCM8dd8A— Adivasi Congress (@INCAdivasi) July 20, 2025
क्या है पूरा मामला?
नौगांव थाना क्षेत्र के ग्राम धर्मपुरा निवासी प्रताप आदिवासी ने बताया कि वह और तीन अन्य, श्रीराम, रितु और बालंदी, 15 जुलाई की शाम शिकारपुरा रोड पर झाड़ू बनाने के लिए सामग्री लेने गए थे. इसी दौरान पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और थाने ले जाकर पूछताछ की. उस रात करीब 10:30 बजे उन्हें छोड़ दिया गया.
16 जुलाई को दोबारा थाने बुलाया गया और देर रात तक हिरासत में रखा गया. इसके बाद 17 जुलाई को फिर से थाने लाकर ट्रांसफार्मर तेल चोरी के आरोप में कथित रूप से बर्बरता की गई. पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने न केवल उन्हें पीटा, बल्कि गुप्तांगों में मिर्च डालकर प्रताड़ित किया. इसके बाद उन्हें थाने से भगा दिया गया.
पुलिस की सफाई और कार्रवाई
नौगांव थाना प्रभारी सतीश सिंह ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि युवकों को सिर्फ पूछताछ के लिए लाया गया था और बाद में छोड़ दिया गया. वहीं, छतरपुर के पुलिस अधीक्षक आगम जैन ने कार्रवाई करते हुए एएसआई शिव दयाल वाल्मीकि, राम जाट और अरविंद शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
सरकार की प्रतिक्रिया
प्रदेश के पर्यटन मंत्री दिलीप आहिरवार ने कहा कि मामले की गंभीरता से जांच कराई जा रही है. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. वहीं विपक्ष ने इस घटना को आदिवासी उत्पीड़न का प्रतीक बताते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया है.
यह मामला न केवल पुलिसिया अमानवीयता का नमूना है, बल्कि आदिवासी समुदाय के प्रति सिस्टम की बेरुखी को भी उजागर करता है. अब देखना यह होगा कि इस मामले में निष्पक्ष न्याय होता है या यह भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा.