RTI के सिलसिलेवार जवाबों से हुआ ख़ुलासा, जानिए अपने वादों पर कितनी खरी उतरी केजरीवाल सरकार ?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने शासनकाल के दौरान जनता को ठगने का काम किया है। ऐसा हम नहीं बल्कि सूचना के अधिकार (RTI) के तहत पूछे गए सवालों के वो जवाब कह रहे हैं, जिनके सामने आने पर उनके वादों की पोल खुल गई है।

मीडिया एक्सक्लूसिव ख़बर के माध्यम से उन सभी सवालों के जवाब को सिलसिलेवार तरीके से जनता के सामने रखा है। इन सवालों के जवाब देखने के बाद आपको पता चल जाएगा कि आम आदमी पार्टी (AAP), झुग्गी झोपड़ी (जेजे) क्लस्टर के निवासियों की शिक्षा, परिवहन, स्वास्थ्य सेवा और पुनर्वास के मोर्चों पर किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही है।

RTI के जवाबों में, जेजे कॉलोनी में रहने वाले निवासियों के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी होने का ख़ुलासा हुआ है। जेजे कॉलानी में विकास को लेकर किए गए सर्वेक्षण के लिए नोडल प्राधिकरण, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) ने केजरीवाल सरकार को एक प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया था। जबकि इसकी सच्चाई यह है कि ऐसा कोई सर्वेक्षण हुआ ही नहीं था, जिसके लिए केजरीवाल सरकार को सम्मानित किया गया। दरअसल, अपने चुनावी घोषणा-पत्र में, AAP ने वादा किया था कि वो शहर के सर्वेक्षण में शामिल होने के बाद उसी स्थान पर जेजे निवासियों को घरों के निर्माण की मंज़ूरी देगी, जहाँ वो रह रहे थे।

नई दिल्ली स्थित RTI कार्यकर्ता तेजपाल सिंह ने 2019 में RTI के तहत कुछ सवाल पूछे थे। उन्हें आधिकारिक तौर पर जो जवाब दिए गए उनकी इमेज नीचे लगाई गई है।

फेक सर्वेक्षण प्रमाण-पत्र से सम्मानित दिल्ली सरकार का सच

सूचना के अधिकार के माध्यम से यह पता चला कि सरकार ने 1 फरवरी, 2015 से 30 सितंबर, 2019 के बीच 3,00,000 जेजे क्लस्टर के निवासियों के पुनर्वास के लिए कोई निर्माण शुरू नहीं किया। जबकि दिल्ली सरकार को इसके लिए सर्वेक्षण पूरा करने संबंधी प्रमाण-पत्र दिया गया। RTI से पता चला है कि उक्त तारीखों के दौरान ऐसा कोई सर्वेक्षण हुआ ही नहीं था। सर्वेक्षण पूरा करने वाले प्रमाण-पत्रों में से एक इमेज जेजे निवासी द्वारा शेयर की गई।

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इसके अलावा, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) की ओर से 21 नवंबर, 2019 को दिए गए RTI जवाब में बताया गया था, “1 फरवरी, 2015 से 30 सितंबर, 2019 के बीच किसी भी जेजे क्लस्टर में कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया था।”

पकड़ा गया हेल्थकेयर का झूठ

RTI के जवाबों से पता चला है कि सरकार 900 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने और दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में 30,000 बेड जोड़ने के अपने अभियान में पिछड़ गई।

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इसके अलावा, एक अन्य RTI जवाब से पता चलता है कि 1 अप्रैल, 2015 और 31 मार्च, 2019 के बीच न कोई नया अस्पताल शुरू हुआ और न ही निर्माण हुआ।

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दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय से 3 जुलाई, 2019 को एक RTI जवाब में बताया, “अप्रैल 2015 और 31 मार्च, 2019 के बीच कोई नया अस्पताल नहीं बनाया गया।”

2015 की तुलना में दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली डीटीसी बसें कम हुईं

जहाँ तक ​​डीटीसी बसों की बात है, उनकी संख्या 2015 से 2019 के बीच कम हो गई है। एक RTI के जवाब के मुताबिक़, 1 अप्रैल, 2015 में दिल्ली की सड़कों पर 4,705 बसें चल रही थीं। वहीं, 31 अगस्त 2019 को यह संख्या घटकर 3,796 हो गई थी। इसका जवाब, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के एक अधिकारी ने 3 दिसंबर, 2019 को दिया था।

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अपने घोषणा पत्र में, आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि वो 5,000 नई बसें खरीदेंगे।

सरकारी शिक्षकों के पद आज भी रिक्त

आम आदमी पार्टी ने 500 नए स्कूलों के निर्माण का वादा किया था, जबकि सच्चाई यह है कि 1 अप्रैल, 2015 से 31 अगस्त, 2019 के बीच केवल एक ही स्कूल के निर्माण को मँजूरी दी गई।

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RTI के एक अन्य जवाब में बताया गया कि 1 फरवरी 2015 को 9,598 शिक्षक पद रिक्त थे, 30 सितंबर 2019 तक यह संख्या बढ़कर 15,702 पहुँच गई।

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RTI कार्यकर्ता तेजपाल सिंह का कहना है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव पर मतदान होने से पहले केजरीवाल की यह सच्चाई जनता के सामने आना बेहद ज़रूरी है। ताकि जनता को यह पता चल सके कि केजरीवाल ने दिल्ली के निवासियों से एक नहीं कई झूठ बोले हैं, जिन पर उनकी जवाबदेही बनती है।

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