कुनबे से पूछताछ में सामने आएगा हथियारों का सच… इतिहास छिपाकर हथियाए असलहा लाइसेंस

  • अखिलेश दुबे के शस्त्र लाइसेंस निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू
  • लाइसेंस हासिल करने से पहले का इतिहास नजरअंदाज हुआ
  • निखिलेश दुबे को एक ही तारीख में दो शहरों से मिले लाइसेंस
  • साकेत दरबार के पास डेढ़ दर्जन से ज्यादा हथियारों का जखीरा

भास्कर ब्यूरो
कानपुर। साकेत दरबार में हथियारों का दबदबा था। प्रारंभिक छानबीन में दुबे कुटुंब के पास डेढ़ दर्जन से ज्यादा लाइसेंसी हथियारों की जानकारी हासिल हुई है। अखिलेश दुबे के साथ-साथ अन्य तीनों भाइयों, परिवार की महिलाओं और बच्चों के नाम डबल बैरल बंदूक तथा रिवाल्वर के लाइसेंस जारी हुए हैं। तफ्तीश में सामने आया है कि, अखिलेश एंड ब्रदर्स के तमाम हथियार पंजाब में आतंकवाद के दौर में काला इतिहास छिपाकर तत्कालीन पुलिस अफसरों की मेहरबानी से जारी हुए थे। अव्वल पंजाब के शहरों में निवास के कूटरचित दस्तावेज बनाए गए, साथ ही मूल निवास जनपद के सत्यापन में मुकदमों का इतिहास उजागर नहीं किया गया। फिलहाल, अखिलेश दुबे के खिलाफ तमाम मुकदमों और गंभीर शिकायतों के बाद शस्त्र लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हुई है। कमिश्नरेट पुलिस जल्द ही पारिवारिक सदस्यों को बुलाकर पंजाब से लाइसेंस हासिल करने के सच का बेपर्दा करेगी।

40 साल पहले हासिल किया शस्त्र लाइसेंस
पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, पंजाब में आतंकवाद के दौर में लुधियाना जिले से अखिलेश दुबे ने 02 अगस्त 1984 में शस्त्र लाइसेंस संख्या 262 के जरिए रिवाल्वर खरीदी थी, जबकि इसी वर्ष पहली फरवरी को कानपुर से जारी लाइसेंस संख्या 105 के जरिए डबल बैरल बंदूक खरीदी थी। सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया है कि, अखिलेश दुबे और उसके भाई कभी पंजाब के लुधियाना और पटियाला शहर में स्थाई तौर पर नहीं रहे, लेकिन निवास के फर्जीवाड़े के कागजात और पंजाब के अफसरों की मिलीभगत के कारण दुबे कुटुंब को आतंक की आग में झुलसते पंजाब की तत्कालीन हथियार नीति के कारण असलहों के लाइसेंस धड़ल्ले से जारी हुए। अखिलेश के खिलाफ मोर्चा संभाले आशीष शुक्ला ने पुराने रिकार्डों के हवाले से दावा किया है कि, अखिलेश दुबे के खिलाफ मेरठ जनपद के रेलवे रोड थाने में हत्यायुक्त डकैती का मुकदमा दर्ज है, जिसका क्राइम नंबर 593/79 है। इसी प्रकार वर्ष 1984 में किदवईनगर थाने में दंगों में लूटपाट का मामले में थाने के रजिस्टर में नाम अंकित है।

मुकदमों के बावजूद असलहा लाइसेंस कैसे
सवाल उठता है कि, यदि दावा सही है तो प्रदेश के दो शहरों में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बावजूद, अखिलेश दुबे को पंजाब से शस्त्र लाइसेंस कैसे जारी हुए। व्यवस्था के मुताबिक, यदि पंजाब में निवास का सत्यापन हुआ था तो स्थाई पते पर भी सत्यापन अनिवार्य है। कयास है कि, कानपुर में खाकी के नेटवर्क के कारण लाइसेंस के लिए कथित काले इतिहास को नजरअंदाज किया गया था। फिलहाल, एडीसीपी राजेश पाण्डेय के मुताबिक, अखिलेश दुबे के आतंक और तमाम गंभीर मुकदमों के मद्देनजर कानपुर से जारी डबल बैरल बंदूक के लाइसेंस को निरस्त करने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई। जल्द ही पंजाब पुलिस के मार्फत लुधियाना-पटियाला से बने दुबे कुटुंब के असलहा लाइसेंस में गड़बड़झाले को सामने लाया जाएगा।

एक ही तारीख में दो शहरों में भाई का निवास
पुलिस की प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया है कि, अखिलेश दुबे के छोटे भाई निखिलेश को 04 अगस्त 1990 में पटियाला से लाइसेंस संख्या 137 तथा इसी तारीख में लुधियाना से लाइसेंस संख्या 526 जारी हुए थे। सवाल लाजिमी है कि, असलहा लाइसेंस जारी करते समय शपथपत्र पर घोषणा करनी होती है कि, आवेदन की तारीख पर प्रार्थी अमुक पते का ही निवासी है। ऐसे में एक ही वक्त-तारीख में निखिलेश दो शहरों के कैसे निवासी थे, इस सवाल का जवाब पुलिस तलाश रही है। अखिलेश के छोटे भाई सर्वेश दुबे को भी 13 फरवरी 1992 को लुधियाना से रिवाल्वर का लाइसेंस (263) जारी हुआ था।

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