प्रदेश में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, कूड़ा निस्तारण केंद्र, विद्युत संस्थान, बस अड्डे समेत विभिन्न सरकारी योजनाओं को समय पर पूरा करने में कृषि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन बाधा नहीं बनेगा। इसके लिए भू-कानून की धारा-143 में संशोधन को मंत्रिमंडल ने हरी झंडी दिखा दी। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण को ली जाने वाली सरकारी भूमि पर कई वर्षों से अवैध कब्जाधारियों के निर्माण को हटाने के एवज में मुआवजा देने का निर्णय कैबिनेट ने लिया है।
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में अब देरी नहीं
सरकारी प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश व भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 (अनुकूलन और उपांतरण आदेश 2001) (संशोधन) अधिनियम की धारा-143 में संशोधन को कैबिनेट ने मंजूरी दी। धारा-143 में कृषि भूमि के अन्य कार्यों में इस्तेमाल के लिए भू-उपयोग परिवर्तन कराना अनिवार्य है।
औद्योगिक प्रयोजन के लिए भूमि का इस्तेमाल होने पर धारा-143 में खुद परिवर्तन मानने का प्रविधान है। अब सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, ट्रेंचिंग मैदान, सुलभ शौचालय, बस अड्डा, पार्क, बहद्देश्यीय भवन आदि के लिए भूमि को कृषि से अकृषि करने में दिक्कतें हैं। इसमें काफी वक्त जाया हो रहा है। ऐसी दशा में कार्यों को समय पर पूरा करने में वक्त लग रहा है। इसे देखते हुए धारा-143 में संशोधन कर धारा-143 (ख) का प्राविधान करने पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी। इससे उक्त प्रयोजन के लिए कृषि भूमि को अकृषि होने में अब देर नहीं लेगी।
प्रदेश में वर्ग-चार की भूमि के अवैध कब्जाधारकों व वर्ग-तीन भूमि के पट्टाधारकों को भूमिधरी अधिकार देने को सरकार ने वर्ष 2016 में आदेश जारी किया था। इसके मुताबिक तुरंत भूमिधरी अधिकार लेने के लिए आवेदन करने वालों को वर्ष 2000 के सर्किल रेट के आधार पर शुल्क जमा कराना था। छह माह बाद आवेदन करने की स्थिति में वर्तमान सर्किल रेट के मुताबिक भुगतान करने का प्राविधान किया गया था। इस प्राविधान को सरकार लगातार बढ़ाती रही है। अब यह प्राविधान 25 फरवरी, 2020 तक लागू है।
अभी करीब एक हजार कब्जाधारक व पट्टेदार ऐसे हैं, जिन्होंने भूमिधरी अधिकार नहीं लिया है। इनके बारे में फैसला लेने को कैबिनेट ने मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में सबकमेटी गठित की है। इसमें मंत्री अरविंद पांडे भी शामिल हैं। सबकमेटी उक्त संबंध में अपनी रिपोर्ट देगी। इसीतरह स्टोन क्रशर लगाने के लिए नदी तट से तीन किमी की दूरी के प्राविधान में भी संशोधन की जरूरत बताई जा रही है। इस वजह से क्रशर लगने में दिक्कतें आ रही हैं। इनका अध्ययन कर रिपोर्ट देने को काबीना मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में सबकमेटी गठित की गई है।
एक नजर
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट समेत सरकारी योजनाओं को कृषि भूमि का गैर कृषि में भू-उपयोग परिवर्तन
उत्तराखंड श्रम सेवा नियमावली-2020 को मंजूरी
पीडब्ल्यूडी के वर्कचार्ज कर्मचारियों को को पेंशन एरियर तीन महीने में देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में राहत पाने को फिर कोर्ट में दस्तक देगी सरकार
केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों के लिए कंसल्टेंसी फीस अब दो फीसद होगी, पहले 3.2 फीसद थी
जयहरीखाल में आवासीय विद्यालय का संचालन ट्रस्ट करेगा, मुख्यमंत्री अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। हंस फाउंडेशन का 60 फीसद अंशदान
आइडीपीएल ऋषिकेश की 830 एकड़ भूमि की लीज मार्च में खत्म, राज्य को भूमि वापस करेगा केंद्र, 200 एकड़ ऋषिकेश एम्स को देंगे
नैनीसार, अल्मोड़ा में निजी आवासीय स्कूल को दी गई 4 करोड़ लागत की 7.06 हेक्टेयर की भूमि के प्रस्ताव पर पुनर्विचार का निर्णय, पांच वर्ष में भूमि उपयोग की ली जाएगी जानकारी
कुंभ मेला-2021 के लिए 31 पदों को स्वीकृति
वेलनेस समिट के लिए भारतीय उद्योग संघ होगा सरकार का पार्टनर, अप्रैल 2020 में होगा आयोजन
वर्ग-चार की भूमि में अवैध कब्जाधारकों व वर्ग-तीन भूमि के पट्टाधारकों को भूमिधरी अधिकार देने को भूमि शुल्क या सर्किल रेट तय करने को काबीना मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी गठित
स्टोन क्रशर की स्थापना के मौजूदा प्राविधानों में संशोधन की संभावना तलाश करने को कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में कैबिनेट सबकमेटी गठित
सेवा का अधिकार आयोग की 2017-18 व 2018-19 वार्षिक रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत करने को मंजूरी
प्रदेश में अप्रैल में प्रस्तावित वेलनेस समिट में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) को नेशनल पार्टनर बनाया जाएगा। कैबिनेट ने इसके लिए मंजूरी प्रदान कर दी है। सीआइआइ इससे पूर्व वर्ष 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट में भी नेशनल पार्टनर रह चुका है।
सीआइआइ ने बीते वर्ष प्रदेश सरकार को वेलनेस समिट में पार्टनर बनने का प्रस्ताव सौंपा था। नवंबर में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति देते हुए मंत्रिमंडल के सम्मुख प्रस्तुत करने का निर्णय लिया था। इसे गुरुवार को मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान कर दी है। इस समिट के मुख्य आयोजन में 40 लाख व तीन रोड व एक राउंड टेबल कान्फ्रेंस में 20 लाख, यानी कुल 60 लाख रुपये खर्च होगा। इसके अलावा अन्य चार रोड शो पर 80 लाख रुपये खर्च आएगा जिसकी पूतिपूर्ति सीआइआइ के माध्यम से राज्य सरकार करेगी।
ऋषिकेश में बनने वाले कन्वेंशन सेंटर और वेलनेस सिटी के लिए आइडीपीएल की 833 एकड़ जमीन पर्यटन विभाग को आवंटित की जाएगी। दरअसल, यह जमीन वर्ष 1961 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने लीज पर आइडीपीएल को दी थी। यह लीज नवंबर 2021 में समाप्त हो रही है। आइडीपीएल फैक्ट्री के बंद होने के कारण इस जमीन का कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। ऐसे में अब इसे पर्यटन विभाग को दिया जा रहा है।
केदारनाथ के द्वितीय चरण के कार्यों को करने के लिए कैबिनेट ने विशेषज्ञ कंसलटेंट की सेवाएं लेने को मंजूरी प्रदान कर दी है। केदारनाथ में द्वितीय चरण में 150 करोड़ के कार्य करने को केदारनाथ चेरिटेबल ट्रस्ट ने मंजूरी प्रदान कर दी है। अब कंसलटेंट की तैनाती नए कार्यों के लिए सभी सर्वे, ड्राफ्ट मास्टर प्लान, अब तक किए गए कायों के तकनीकी मानक, डिजाइन व डीपीआर बनाने का कार्य किया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट ने प्रथम चरण में कंसलटेंसी की सेवाएं देने वाले कंसलटेंट को ही रखने को मंजूरी प्रदान की है ताकि कार्यों में एकरूपता बनी रहे।
निर्मल गंगा एवं प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण अभियान के तहत सचिवालय एथलेटिक्स एवं फिटनेस क्लब सचिवालय से हरिद्वार तक 60 किमी की अखंड मैराथन का आयोजन कर रहा है। इसमें सचिवालय के 24 अधिकारी व कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं।
गुरुवार को क्लब के प्रतिनिधिमंडल ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मिलकर यह जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि यह मैराथन एक फरवरी को सचिवालय गेट से सुबह साढ़े छह बजे शुरू होगी। इसे अपर सचिव देवेंद्र पालीवाल हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। दौड़ दोपहर तकरीबन एक बजे हरिद्वार मेला नियंत्रण कक्ष पर पहुंच कर समाप्त होगी। अभियान के प्रतिभागी इसके बाद हरिद्वार में गंगा सफाई भी करेंगे। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस अभियान की प्रशंसा करते हुए सुरक्षित तरीके से इसे पूरा कराने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण के लिए जन जागरूकता फैलेगी। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग पर रोक के अभियान को भी बल मिलेगा।